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सीबीआई ने अदालत से कहा- हम आगे की जांच किए जाने की इजाजत मांगने वाली याचिका वापस लेते हैंअदालत ने सीबीआई को याचिका वापस लेने की मंजूरी दी, कहा- हमारी इजाजत जरूरी नहीं थी
नई दिल्ली. सीबीआई ने गुरुवार को कहा कि बोफोर्स सौदे में 64 करोड़ की घूस लिए जाने की जांच जारी रहेगी। जांच एजेंसी ने बयान देने से कुछ घंटे पहले ही विशेष न्यायालय से अपनी वह याचिका वापस ले ली थी, जिसमें उसने मामले की आगे जांच किए जाने की मंजूरी मांगी थी। चीफ मेट्रोपॉलिटिन मजिस्ट्रेट नवीन कश्यप ने सीबीआई को याचिका वापस लेने की मंजूरी देते हुए कहा कि इसके लिए इजाजत की जरूरत नहीं थी। केवल हमें जानकारी दे देना ही काफी था।
एजेंसी तय करेगी आगे कार्रवाई- सीबीआई
- सीबीआई और वकील अजय अग्रवाल की तरफ से इस मामले में आगे की जांच के लिए मंजूरी दिए जाने की याचिका दाखिल की गई थी। सीबीआई के वकील अनिल तंवर ने अदालत को बताया कि हम अपनी याचिका वापस लेना चाहते हैं। इस मामले में आगे की कार्रवाई जांच एजेंसी द्वारा तय की जाएगी।
- अग्रवाल से भी कोर्ट ने सवाल किया तो उन्होंने भी याचिका वापस लेने की बात की। कोर्ट ने उन्हें भी इसकी इजाजत दे दी। मामले की अगली सुनवाई 6 जुलाई को होगी। एजेंसी ने बताया कि निजी जासूस माइकल हेर्शमैन ने कुछ खुलासे किए थे, इसके बाद हमने ट्रायल कोर्ट में बोफोर्स मामले में आगे की जांच के लिए इजाजत मांगी थी।
- हालांकि, 8 मई को सुनवाई में चीफ मेट्रोपॉलिटिन मजिस्ट्रेट कोर्ट(सीएमएम) ने कहा था, “जब आगे की जांच के लिए सीबीआई के पास स्वतंत्र अधिकार और शक्तियां मौजूद हैं, तब यह उसके खुद के विवेक पर निर्भर करता है कि क्या ऐसा करना जरूरी है। इस तरह की याचिका क्यों दायर की गई।’
- इसके बाद कोर्ट ने 16 मई को सुनवाई की तारीख तय कर दी थी।सीबीआई ने कहा, “कानूनी सलाह लेने के बाद सीबीआई ने 16 मई को सीएमएम कोर्ट में एक और याचिका दाखिल की। इस मामले की जांच के लिए अदालत की इजाजत जरूरी नहीं है, केवल कोर्ट को जानकारी दे देना ही पर्याप्त है।”
- नवंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें एजेंसी ने 2005 में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को चुनौती दी थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में हिंदुजा बंधुओं एसपी, हिंदुजा, जीपी हिंदुजा, पीपी हिंदुजा और अन्य के खिलाफ लगे सभी आरोप खारिज कर दिए थे।
- 16 अप्रैल 1987 में बोफोर्स में दलाली का खुलासा हुआ1986 में हथियार बनाने वाली स्वीडन की कंपनी बोफोर्स ने भारतीय सेना को 155 mm की 400 तोपें सप्लाई करने का सौदा किया था। यह डील 1.3 अरब डॉलर की थी। स्वीडिश रेडियो ने सबसे पहले 16 अप्रैल 1987 में बोफोर्स में 64 करोड़ रुपए दलाली का खुलासा किया। इसे बोफोर्स घोटाला या बोफोर्स कांड के नाम से जाना जाता है।