(संजय राय)
(नई दिल्ली)
पाथ फाइंडर रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, ग्रेटर नोएडा सभागार में हुआ रज्जू भैया की पुण्यतिथि पर संगोष्ठी का आयोजन
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं मुख्य सचेतक डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा है कि रज्जू भैया सिद्धांतों के प्रतीक थे। उन्होंने कहा है कि देश के युवाओं को रज्जू भैया के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सर संघ चालक राजेंद्र प्रसाद सिंह (रज्जू भैया) की पुण्यतिथि पर पाथ फाइंडर रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, ग्रेटर नोएडा द्वारा आयोजित बौद्धिक संगोष्ठी को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए उन्होंने ये उद्गार व्यक्त किए।
कार्यक्रम के विशेष अतिथि नोएडा के सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने रज्जू भैया के शैक्षिक योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि उनका जीवन भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय चेतना की जीवंत मिसाल है। इस अवसर पर लोक पहल राष्ट्रीय संयोजक प्रो. विजय कुमार ने रज्जू भैया की जीवनशैली, सादगी और विचारधारा को जनमानस के लिए अनुकरणीय बताया।
भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य एवं पूर्व आईआरएस अधिकारी डॉ. सुनीता दुग्गल ने कहा कि रज्जू भैया जैसे व्यक्तित्व समाज को दिशा देने वाले स्तंभ होते हैं, जिनकी स्मृति हमें सदैव प्रेरित करती है। कार्यक्रम के अध्यक्ष मेट्रो विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा के कुलपति प्रो. राजेश कुमार पाठक ने कहा कि रज्जू भैया का जीवन हमें शिक्षित, संस्कारित और संगठित समाज के निर्माण की दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।

कार्यक्रम का आयोजन, संयोजन और मार्गदर्शन डॉ संदीप श्रीवास्तव और डॉ. आशुतोष तोमर ने ‘विशेष पहल’ संस्था के माध्यम से किया। उन्होंने रज्जू भैया के विचारों को आज के सामाजिक और शैक्षिक संदर्भ में प्रासंगिक बताते हुए युवाओं से जुड़ाव की आवश्यकता पर बल दिया।

पाथफाइंडर इंस्टीट्यूट के चेयरमैन प्रणव जी एवं उनकी धर्मपत्नी डॉ. मीना जी, डॉ संदीप श्रीवास्तव और अरुण कुमार ने पूर्ण समर्पण, गरिमा और भारतीय परंपरा के अनुरूप समस्त तैयारियां कीं और सभी अतिथियों का आत्मीय स्वागत करते हुए कार्यक्रम को अत्यंत सफल बनाया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र, शिक्षाविद्, सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी एवं आम नागरिक उपस्थित रहे। गोष्ठी में रज्जू भैया के जीवन, दर्शन और वर्तमान संदर्भ में उनके विचारों की उपयोगिता पर सारगर्भित विमर्श हुआ।