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वित्त मंत्रालय ने कहा- स्विट्जरलैंड से मिली कालेधन की जानकारी प्रक्रिया का हिस्सा2019 से भारतीय नागरिक के विदेशी अकाउंट में मौजूद धन की जानकारी मिलने लगेगी 2011 में यूपीए सरकार ने दिया था रिपोर्ट तैयार करने का जिम्मा
नई दिल्ली. सरकार ने कालेधन पर स्विट्जरलैंड से मिली जानकारी को आरटीआई के अंतर्गत साझा करने से इनकार किया है। वित्त मंत्रालय ने कहा कि यह गोपनीय मामला है। इन मामलों में जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ती है, भारत और स्विट्जरलैंड जानकारी साझा करते रहते हैं। यह एक सतत प्रक्रिया है।
दरअसल, एक न्यूज एजेंसी के पत्रकार ने यह आरटीआई लगाई थी। इसमें स्विट्जरलैंड के द्वारा कालेधन पर साझा की गई सूचनाएं, इससे जुड़े लोग, कंपनियां और उन पर की गई मंत्रालय की कार्रवाई से संबंधित जानकारी मांगी गई थीं।
अघोषित संपत्ति टैक्स के दायरे में आएगी
- भारत और स्विट्जरलैंड ने 22 नवंबर 2016 को एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किया था। इसके अंतर्गत दोनों देश फाइनेंशियल अकाउंट से संबंधित जानकारियां साझा करते हैं। मंत्रालय के मुताबिक, ‘‘इस बारे में कानूनी प्रक्रिया जल्द ही पूरी होगी। 2019 से स्विट्जरलैंड में मौजूद भारतीय नागरिक के फाइनेंशियल अकाउंट से संबंधित जानकारी सरकार को मिलेगी।’’
- इससे न सिर्फ भारतीय नागरिकों की आय से अधिक संपत्ति का हिसाब मिलेगा बल्कि उसे टैक्स के दायरे में लाया जा सकेगा। हालांकि, मंत्रालय ने कहा कि फिलहाल देश के अंदर और बाहर भेजे गए कालेधन को लेकर कोई स्पष्ट आंकड़ा मौजूद नहीं है। वित्त मंत्रालय से कालेधन से जुड़ी वह जानकारी भी मांगी गई जो उसे अन्य देशों से मिली।
- मंत्रालय ने कहा, ‘‘इन मामलों में 8,465 करोड़ रुपए की अघोषित आय को टैक्स के दायरे में लाया गया। यह बिना सूचना के विदेशी खातों में जमा की गई थी। ऐसे 427 मामलों का मूल्यांकन हुआ। 162 मामलों में 1,291 करोड़ रुपए की पेनल्टी लगाई गई।’’ यह सूचना फ्रांस ने भारत के साथ इंडो-फ्रेंच डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस कन्वेंशन के अंतर्गत साझा की।
- मंत्रालय ने कालेधन पर तैयार की गई 3 रिपोर्ट्स की कॉपियां भी आरटीआई में साझा करने से इनकार किया था। इनमें देश और विदेश में भारतीयों के पास मौजूद कालेधन की जानकारी थी। मगर मंत्रालय का कहना था कि रिपोर्ट्स को संसदीय पैनल पहले देखेगी। यह रिपोर्ट्स सरकार को चार साल पहले दी गई थी।
- यूपीए सरकार ने 2011 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी(दिल्ली), नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (दिल्ली) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंशियल मैनेजमेंट (फरीदाबाद) को रिपोर्ट तैयार करने का काम सौंपा था। सरकार को यह रिपोर्ट 30 दिसंबर 2013, 18 जुलाई 2014 और 21 अगस्त 2014 में मिली।
- मंत्रालय ने स्टडीज के मामले पर कहा, ‘‘बीते कुछ समय में कालेधन के मामले ने जनता और मीडिया का ध्यान खींचा है। हालांकि देश में और देश के बाहर कितना कालाधन मौजूद है, इसे लेकर कोई भरोसेमंद आंकड़ा अभी तक सामने नहीं आ पाया है।’’ ऐसे में इस स्टडी की योजना बनाई गई। इसका उद्देश्य कालाधन कहां से आ रहा है? इसके क्या कारण हैं? इससे जुड़े और कौन से मामले हैं? आदि बातों का जवाब खोजना था।