★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{मूर्धन्य पत्रकार पी साईनाथ ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में काम करने वाले पत्रकार ही सही मायनों में करते हैं पत्रकारिता, हमले भी इन्ही पर होते हैं}
[मीडिया और पत्रकारिता में होता है अंतर,मीडिया कॉरपोरेट घरानों के लिए काम करती है तो पत्रकारिता आम आदमी के लिए कहा वरिष्ठ पत्रकार पी साईनाथ ने]
(कार्यक्रमअध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार/लेखक सुभाष राय ने कहा ग्रामीण पत्रकारों के समक्ष चुनौतियां बढ़ी है, मुकाबले के लिए सभी संगठनों को आना होगा एक मन्च पर)
♂÷देश के जाने-माने पत्रकार पी.साईंनाथ ने कहा कि आंचलिक पत्रकारों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। ग्रामीण इलाकों में काम करने वाले पत्रकार सही मायने में काम कर रहे हैं। हमले भी इन्हीं पत्रकारों पर हो रहे हैं। हाल के सालों में जितने में पत्रकारों की हत्याएं हुईं उनमें सभी ग्रामीण पत्रकार थे और वो क्षेत्रीय भाषाओं में काम करते थे। अंग्रेजी अखबारों में काम करने वाले पत्रकारों पर हमले होते ही नहीं।
श्री साईनाथ शुक्रवार को पराड़कर भवन में पत्रकारों पर होने वाले हमलों के खिलाफ गठित समिति काज की उत्तर प्रदेश इकाई की ओर से आयोजित संवाद कार्यक्रम में बोल रहे थे। कितनी आजाद है ग्रामीण पत्रकारों की कलम विषयक एकल संवाद में वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में पत्रकारिता के बुनियादी सवालों को उठाते हुए साईनाथ ने आंचलिक इलाकों के पत्रकारों की समस्याओं को रेखांकित किया और कहा कि देश में ऐसा कोई भी आंकड़ा मौजूद नहीं है, जिससे इनकी आर्थिक स्थित में सुधार आया हो।
वरिष्ठ पत्रकार पी साईनाथ ने कहा कि सियासी दल और माफिया गिरोह अंचलों में काम करने वाले पत्रकारों को ही निशाना बनाते रहे हैं। यह स्थिति बेहद चिंताजनक है। पत्रकारों को सतर्क रहने की बात कहते हुए कहा कि ग्रामीण पत्रकारों पर हमले की घटनाएं बढ़ सकती हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया और पत्रकारिता में अंतर है। मीडिया कारपोरेट घरानों के लिए काम करती है और पत्रकारिता आम आदमी के लिए। दोनों के फर्क को समझना अब बेहद जरूरी है।
मिर्जापुर जिले के मिड डे मील प्रकरण में पत्रकार पवन जायसवाल का मुद्दा उठाते हुए साईनाथ ने कहा कि इस तरह की दिलेरी कम ही पत्रकार दिखाते हैं। इस मामले में पवन को मैं धन्यवाद देना चाहूंगा। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता की चुनौतियां बढ़ती जा रही है इसे समझने की जरूरत है।
श्री साईनाथ ने इस बात पर भी चिंता जताई कि देश के किसान अपने ही खेतों में मज़दूर बनकर रह गए हैं। सरकार ने किसानों को कारपोरेट घरानों की कठपुतली बना दिया है। गांवों में रहने वाला हर आदमी अब कॉरपोरेट घरानों के फ़ायदे के लिए काम कर रहा है। लगता है कि गांवों में किसानों को गुलाम बनाने और कारपोरेट घरानों के लिए खेती का अवसर सुलभ कराने के लिए मुफीद वातावरण तैयार किया जा रहा है। उन्होंने किसानों के मुद्दों को भी जोरदार ढंग से उठाया और कहा कि कृषि की लागत बढ़ रही है और सरकार अपनी ज़िम्मेदारियों से बच रही है। कृषि को किसानों के लिए घाटे का सौदा बनाया जा रहा है, ताकि किसान खेती-बाड़ी छोड़ दें और फिर कृषि कारपोरेट के लिए बेतहाशा फ़ायदे का सौदा हो जाए। देश में बीज, उर्वरक, कीटनाशक और साथ ही कृषि यंत्रों की कीमत उदारीकरण के बाद तेजी से बढ़ी है। पिछले तीन सालों में कृषि से जुड़ी आय में भारी कमी आई है, जबकि लागत तेजी से बढ़ी है। पिछले दो दशकों से लागत लगातार बढ़ रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 4-5 लोगों वाले किसान परिवार की एक महीने की आय लगभग छह हज़ार रुपये है। कृषि संकट सिर्फ़ ग्रामीण भारत का संकट नहीं है, इसका समूचे देश पर व्यापक असर होगा।
इस मौके पर यूपी जर्नलिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष रतन दीक्षित ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में पत्रकारिता कठिन हो गई है। आंचलिक पत्रकारों की चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। इसके लिए अब लंबी लड़ाई लड़नी होगी। ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के प्रदेश अधध्यक्ष सौरभ श्रीवास्तव ने कहा कि ग्रामीण पत्रकारों के दम पर भारत में पत्रकारिता जिंदा है। सच लिखते हैं इसीलिए उन पर हमले ज्यादा होते हैं। पत्रकार प्रेस क्लब के प्रदेश अध्यक्ष घनश्याम पाठक ने कहा कि पत्रकारों पर होने वाले हमलों के खिलाफ उनका संगठन लंबी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है। अगर सत्ता जानबूझकर पत्रकारों की आवाज दबाएगी तो उसके खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जाने-माने पत्रकार-लेखक सुभाष राय न कहा कि ग्रामीण पत्रकारों के समक्ष चुनौतियां बढ़ी हैं जिनका मुकाबला करने के लिए सभी पत्रकार संगठनों को एक मंच पर आना होगा। उन्होंने कहा कि आंचलिक इलाकों में ही पत्रकारिता जिंदा है। शहरों में कुछ घरानों और कारपोरेटरों के लिए पत्रकारिता की जा रही है। यह स्थिति ठीक नहीं है।
इससे पहले वरिष्ठ पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव की पुस्तक ‘देशगांव’ का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार जितेंद्र कुमार, अनिल चौधरी, डा. राजकुमार सिंह, रामजी यादव, प्रभाशंकर मिश्र, जगन्नाथ कुशवाहा, बल्लभाचार्य, विकास दत्त मिश्र, मिथिलेश कुशवाहा, प्रदीप श्रीवास्तव, अंकुर जायसवाल, अमन कुमार, मंदीप सिंह, नित्यानंद, अनिल अग्रवाल, रिजवाना तबस्सुम, दीपक सिंह, तारकेश्वर सिंह एके लारी, शिवदास, अमित राय, पवन जायसवाल, वैभव मिश्रा,समेत समूचे पूर्वांचल के पत्रकार उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में काज के यूपी के कोआर्डिनेटर एवं वरिष्ठ पत्रकार विजय विनीत ने अतिथियों और पत्रकारों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पत्रकारों ने भाग लिया।