★मुकेश सेठ★
{ओमप्रकाश राजभर एन्ड टीम को सरकार से चलता कर बजरिये योगी सरकार ने बताया नही”सहेंगे लाल आँखे”}
[सत्ता के साथ भी सत्ता के बाद भी की राजनीति में ओमप्रकाश ख़ुद को शिवसेना प्रमुख मान मुग़ालते में बयानबाजी कर दिखाते रहे मोदी-शाह-योगी को आँखे]
♂÷देश की सत्ता में पुनः एक
बार पूर्ण बहुमत के साथ मोदी सरकार की वापसी के अनुमानों ने बीजेपी ने पूर्णतः मोदी-शाह के चरणों मे नतमस्तक होकर ये कहन शुरू ही कर दिया कि अब पार्टी में वही होगा-चलेगा जो”मोदी-शाह ने रच राखा”।
इसकी पहली ही झलक आज अपने बॉस मोदी व पार्टी प्रमुख शाह के इशारे पर यूपी के सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रिमंडल से कैबिनेट फ्रेंड ओमप्रकाश राजभर व उनके साथ ही उनके राज्यमन्त्री, निगमो के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष जो कि राज्यमन्त्री दर्जा प्राप्त थे को बजरिये गवर्नर बाहर का रास्ता एक झटके दिखाकर मोदी-शाह की जोड़ी ने अन्य प्रांतों में भी सहयोगियों को कड़े सन्देश देने में सफल रही कि”अब बस नही किया जाएगा बर्दाश्त”।
यूपी के विधानसभा चुनाव पूर्व के गठबन्धन साथी बन सत्ता के साझेदार बन सत्तासुख लेते रहे भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओमप्रकाश राजभर ने राजभरों की ताकत को एकजुट कर खुद को यूपी की राजनीति में अपने को स्थापित कर लिए है और विधानसभा इलेक्शन के बाद अद्भुत बहुमत पाकर मोदी-शाह की बीजेपी ने सूबे की कमान कट्टर व तल्ख तेवर वाले दबंग राजनेता माने जाने वाले योगी आदित्यनाथ के हाथों में सौपी थी किन्तु उनको मोदी के मुक़ाबिल न होने देने के लिए यूपी के लिए अपने विश्वास प्राप्त संगठन मंत्री सुनील बन्सल को कथित सुपर सीएम बनाकर पर्दे के पीछे से योगी सरकार चलाई जा रही है।
जब से यूपी में योगी सरकार ने कमान संभाली है तो पहले ही दिन से सत्ता के साझेदार बने ओमप्रकाश राजभर ने अपने बयानों के जरिये मोदी-शाह-योगी-बीजेपी की बखिया उधेड़ने में कोई भी मौका हाथ से न जाने दिया।

राजभर ने भले ही अपने को सत्ता में रहकर भी बीजेपी-मोदी-योगी के कट्टर विरोधी वाली छवि बनाने में लग गए कि अगर वक़्त जरूरत पर वह चाहे तो मोदी-शाह-बीजेपी के विरोधियों के साथ सुविधानुसार राजनैतिक गलबहियां कर पॉवर चेयर फ़िक्स की जा सके किन्तु ओमप्रकाश राजभर या तो मोदी-शाह की बीजेपी के रूप को समझने व आंकलन करने में चूक गए या फ़िर ख़ुद को शिवसेना या शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे मानने की भूल कर बैठे।
ओमप्रकाश राजभर को ये सत्ता का गणित दिमाग़ में रखना चाहिए था कि यूपी में योगी सरकार को प्रचण्ड बहुमत जनता ने दे रखा है और उनको जो भी कैबिनेट मिनिस्टर समेत राज्यमन्त्री व निगमों के अध्यक्ष उपाध्यक्ष बनाकर मोदी-शाह ने राजनैतिक रूतबा बख्शा था वो उनकी मेहरबानी थी न कि बीजेपी को सरकार चलाने में राजभर व उनकी पार्टी के समर्थन की जरूरत थी।
यहीं पर गच्चा खाते चले गए ओमप्रकाश राजभर ये नही समझ पाए कि महाराष्ट्र की फड़नवीस सरकार शिवसेना के बूते चल रही है और इसीलिए एक रणनीति के तहत महाराष्ट्र में शिवसेना व उनके मंत्रियों के शब्द बाण झेलती है तो शिवसेना”सत्ता के साथ भी व सत्ता के बाद भी”वाली राजनीति के मद्देनजर बीजेपी के साथ अंदरखाने मिलकर विपक्षियों काँग्रेस,राष्ट्रवादी काँग्रेस पार्टी,मनसे आदि को महाराष्ट्र की विपक्षी राजनीति में धकिया खुद को स्थापित कर बीजेपी व सरकार विरोधी वोटरों खासकर अल्पसंख्यक मतदाताओं को भी शिवसेना अपने पीछे खड़े कर चुकी है।

याद होना चाहिए कि फड़नवीस सरकार के महाराष्ट्र की सत्ता संभालने के पहले ही दिन से सख़्त रक़ीबों वाली भूमिका निभाने वाली शिवसेना ने अनगिनत बार ऐसे माहौल महाराष्ट्र व देश मे बना दिये थे कि अगले ही घण्टे बीजेपी की महाराष्ट्र सरकार उद्धव ठाकरे चलता कर सत्ता को लात मार देंगे किन्तु बीजेपी शिवसेना की बेहतरीन राजनीति के चक्रव्यूह में फँसकर अपने कोर मतदाताओं को खोते चले जाने वाले विपक्षियो के कमी को शिवसेना बखूबी पूरी कर बीएमसी-विधानसभा व लोकसभा में भी अपने महापौर-सांसद-विधायक-नगरसेवक की संख्या विपक्षियों की कीमत पर बढ़ाती जा रही है तो वही मोदी-शाह की बीजेपी भी काँग्रेस-एनसीपी समेत अन्य दलों के सवर्ण व बैकवर्ड वोटबैंक को साफ़ करने में सफल होती दिख रही है।
कहना गलत नही होगा कि आज़ादी के बाद से जो बादशाही व तानाशाही राजनीति करने की आदि रही नेहरू गाँधी परिवार के ऑक्सीजन पर जिंदा रहकर लगातार सत्ता के सुल्तान बनने वाली काँग्रेस के राजनैतिक जादू टोने व तलवार के बूते सत्ता को चेरी बनाने की कला में मोदी-शाह पारंगत हो चुके है।
सोमवार सुबह तक सत्ता सुख लेते रहने वाले ओमप्रकाश राजभर एंड टीम को बड़े ही निर्मम तरीके से बेआबरू करके एक झटके में बजरिये योगी आदित्यनाथ के द्वारा सड़क पर खड़ा कर दिए जाने से मोदी-शाह ने अपने सहयोगियों को ये मजबूत सन्देश देने में कामयाब रहे है कि आधुनिक भारत की राजनीति के अजेय योद्धा कृष्ण-अर्जुन की जोड़ी से मत टकराना वरना एक झटके में सत्ता से सड़क का सफ़र तय करना पड़ सकता है।