★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{11 दिसंबर 1922 में ब्रिटिश दासता के दौरान अखण्ड भारत के पेशावर(पाकिस्तान) में जन्में यूसुफ ग़रीबी देख 1940 में आ गए पुणे नौकरी करने}
[आर्मी क्लब में सैंडविच के स्टाल से कमाए 5 हज़ार लेकर आ पहुँचे मुम्बई सपनो को सच करने]
(1250 रुपये की नौकरी की बॉम्बे टाकीज में अशोक कुमार ने कहा तुम बनोगे सुपरस्टार)
[यूसुफ नाम बदल रखा फ़िल्मी नाम दिलीप कुमार ने की पहली फ़िल्म 1944 में ज्वार भाटा तो अंतिम रही 1998 में किला]

♂÷बॉलीवुड में आज कई ऐसे अभिनेता हैं, जो अपनी कड़ी मेहनत और लगन के बल पर आज बॉलीवुड पर राज कर रहे हैं। अपनी बेहतरीन एक्टिंग और दमदार अभिनय के बलपर इन सितारों ने अब तक कई ऐसी फिल्में दी है, जिसे दर्शकों का खूब प्यार मिला है। आज इनका नाम बॉलीवुड के टॉप और अमीरअभिनेताओं मे लिया जा रहा है। गुजरे जमाने में भी कई ऐसे सितारे थे जिनके बेहतरीन अभिनय और दमदार एक्टिंग के लाखों फैंस दुनिया भर में मौजूद थे, आज यह स्टार भले ही बॉलीवुड से दूर हैं, लेकिन उनकी फिल्में आज भी लोगों की जुबान पर है। ऐसे ही एक सुप्रसिद्ध अभिनेता थे दिलीप कुमार।
यूसुफ जिन्होंने फ़िल्मी दुनिया मे काम करने के लिए अपना असली नाम छुपाकर दिलीप कुमार कर लिया था उनका जन्म 11 दिसंबर 1922 को ब्रिटिश दासता के दौरान अखण्ड भारत के पेशावर में हुआ था, जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है। दिलीप अपने माता-पिता की 12वीं संतान है। घर की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर होने के नाते साल 1940 में 18 साल की उम्र में यूसुफ उर्फ़ दिलीप कुमार पुणे(भारत) आ गए, यहां उनकी मुलाकात ताज मोहम्म्द से हुई, और उनकी मदद से उन्होंने आर्मी क्लब में सैंडविच का स्टॉल लगाया। दो सालों के बाद इऩ्होंने 5000 रुपये बचाये और पुणे छोड़ मुंबई आ गए।

इस बीच दिलीप की मुलाक़ात डॉ. मसान से हुई, जो बॉम्बे टॉकीज के लिए एक भरोसेमंद चेहरा ढूंढ रहे थे। डॉ. मसान को दिलीप का चेहरा इतना पसंद आया, और बिना कुछ पूछे उन्हें 1250 रुपये की सैलेरी में काम पर रख लिया,वहीं पर दिलीप कुमार की मुलाकात उस दौर के सुपरस्टार अशोक कुमार से हुई, और उन्होंने दिलीप कुमार को देखते ही बोल दिया था, ‘तुम एक दिन सुपरस्टार बनोगे’।
साल 1944 में निर्देशक अमिया चक्रवर्ती ने अपनी फिल्म ‘ज्वार भाटा’ में पहली बार दिलीप कुमार को मौका दिया। लेकिन इस फिल्म से इन्हें बॉलीवुड मे कुछ खास पहचान नहीं मिल पाई। इस फिल्म के बाद उन्होंने फिल्म ‘प्रतिमा’ और ‘मिलन’ मे काम किया, लेकिन अपनी पहचान बनाने मे नाकाम रहे। हिन्दी फ़िल्मी दुनिया मे इन्हें असली पहचान साल 1947 मे प्रदर्शित हुई फिल्म ‘जुगनू’ से मिली।

इस फिल्म के बाद दिलीप ने अपने करियर मे ‘शहीद’, ‘मेला’, ‘अंदाज’, जैसी कई सुपरहिट फिल्में दी हैं। दिलीप कुमार ने अपने बॉलीवुड करियर मे लगभग 400 फिल्में की हैं और इन्हें आखिरी बार साल 1998 मे रिलीज हुई फिल्म किला मे देखा गया था।
इसके अलावा बात अगर दिलीप कुमार की संपत्ति की करें तो इनके पास अब 85 मिलियन डॉलर की संपत्ति मौजूद है, जो भारतीय रुपए के हिसाब से 5 अरब से भी आधिक होते हैं।