★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{1929 दिसम्बर की मध्यरात्रि में लाहौर में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस सत्र की बैठक जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में हुई जिसमें संकल्प लिया गया कि 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाएगा}
[26 जनवरी 1950 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी लेते हुए ध्वजारोहण कर भारत को पूर्ण गणतंत्र किया था घोषित]

(भारतीय संविधान सभा की पहली बैठक वर्ष 1946 में हुई थी,जिसका गठन भारतीय नेताओं व ब्रिटिश कैबिनेट मिशन से हुई बातचीत के परिणाम स्वरूप हुआ था)
[दुनियां का सबसे बड़ा संविधान भारत का माना जाता है जिसमें 395 अनुच्छेदको और 8 अनुसूचिया थी शामिल,संविधान निर्माण में राजेन्द्र प्रसाद,डॉ भीमराव अंबेडकर, वीएन राव समेत तमाम विद्वजन थे शामिल समितियों में]
(संविधान निर्माण हेतु बनी कई समितियों ने भारी माथापच्ची कर 3 वर्ष बाद 26 नवम्बर 1949 को संविधान को आधिकारिक रूप से अपनाया व 26 जनवरी 1950 को देश मे गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हुए लागू कर दिया गया)
♂÷26 जनवरी को प्रत्येक देशवासी गणतंत्र दिवस के रूप के रूप में हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं तो भारत सरकार, राज्य सरकारें भी उत्साहपूर्वक मनाते हैं।भारत के प्रधानमंत्री इस मौके पर देश को लालक़िले के प्राचीर से सम्बोधित करते हैं तो दुनियाभर के लोग भारत की एकता,विविधता व ताकत को भी तमाम माध्यमों के जरिये देखते हैं।
आइए चलते हैं कुछ दशक पूर्व जब संविधान निर्माण के बारे में काँग्रेस ने लाहौर अधिवेशन में संकल्पना कि थी और देश को आज़ादी मिलने से ठीक पहले ही संविधान लिखने हेतु कई समितियों का गठन किया गया था।जिसमें डॉ राजेन्द्र प्रसाद,डॉ भीमराव अंबेडकर, डॉ वीएन राव समेत तमाम मूर्धन्य लोग शामिल रहे।

विदित हो कि वर्ष 1950 को देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के साथ ध्वजारोहण कर भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया। यह ऐतिहासिक क्षणों में गिना जाने वाला समय था। संविधान लागू होने के बाद डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने वर्तमान संसद भवन के दरबार हॉल में राष्ट्रपति की शपथ ली थी और इसके बाद पांच मील लंबे परेड समारोह के बाद इरविन स्टेडियम में उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज फहराया था।
21 तोपों की सलामी के बाद भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने फहरा कर 26 जनवरी वर्ष 1950 को भारतीय गणतंत्र के ऐतिहासिक जन्म की घोषणा की। एक ब्रिटिश उप निवेश से एक सम्प्रभुतापूर्ण, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में भारत का निर्माण एक ऐतिहासिक घटना रही।
यह लगभग 2 दशक पुरानी यात्रा थी जो 1930 में एक सपने के रूप में संकल्पित की गई और वर्ष 1950 में इसे साकार किया गया। 1930 में 26 जनवरी के ही दिन पूर्ण स्वराज का फैसला हुआ था सो जवाहरलाल नेहरु ने इस दिन को ध्यान में रखा हुआ था।
गणतंत्र राष्ट्रध के बीज 31 दिसंबर 1929 की मध्य रात्रि में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर सत्र में बोए गए थे। यह सत्र पंडित जवाहर लाल नेहरु की अध्यक्षता में आयोजित किया गया था। उस बैठक में उपस्थित लोगों ने 26 जनवरी को ‘स्वतंत्रता दिवस’ के रूप में अंकित करने की शपथ ली थी ताकि ब्रिटिश राज से पूर्ण स्वतंत्रता के सपने को साकार किया जा सके। लाहौर सत्र में नागरिक अवज्ञा आंदोलन का मार्ग प्रशस्ती किया गया। यह निर्णय लिया गया कि 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज दिवस के रूप में मनाया जाएगा। पूरे भारत से अनेक भारतीय राजनैतिक दलों और भारतीय क्रांतिकारियों ने सम्मातन और गर्व सहित इस दिन को मनाने के प्रति एकता दर्शाई।

भारतीय संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को की गई, जिसका गठन भारतीय नेताओं और ब्रिटिश कैबिनेट मिशन के बीच हुई बातचीत के परिणाम स्वीरूप किया गया था। इस सभा का उद्देश्य भारत को एक संविधान प्रदान करना था जो दीर्घ अवधि प्रयोजन पूरे करेगा और इसलिए प्रस्तावित संविधान के विभिन्नं पक्षों पर गहराई से अनुसंधान करने के लिए अनेक समितियों की नियुक्ति की गई। सिफारिशों पर चर्चा, वादविवाद किया गया और भारतीय संविधान पर अंतिम रूप देने से पहले कई बार संशोधित किया गया तथा 3 वर्ष बाद 26 नवंबर 1949 को आधिकारिक रूप से अपनाया गया। भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान माना जाता है।
जबकि भारत 15 अगस्त 1947 को एक स्वतंत्र राष्ट्र बना, इसने स्वतंत्रता की सच्ची भावना का आनन्द 26 जनवरी 1950 को उठाया जब भारतीय संविधान प्रभावी हुआ। इस संविधान से भारत के नागरिकों को अपनी सरकार चुनकर स्वयं अपना शासन चलाने का अधिकार मिला। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने गवर्नमेंट हाउस के दरबार हाल में भारत के प्रथम राष्ट्र पति के रूप में शपथ ली और इसके बाद राष्ट्र पति का काफिला 5 मील की दूरी पर स्थित इर्विन स्टेंडियम पहुंचा जहां उन्हों ने राष्ट्रीय ध्वज तिरँगा फहराया।
तब से ही इस ऐतिहासिक दिवस, 26 जनवरी को पूरे देश में एक त्यौहार की तरह और राष्ट्रीय भावना के साथ मनाया जाता है। इस दिन का अपना अलग महत्वस है जब भारतीय संविधान को अपनाया गया था। इस गणतंत्र दिवस पर महान भारतीय संविधान को पढ़कर देखें जो उदार लोकतंत्र का परिचायक है, जो इसके भण्डागर में निहित है। 395 अनुच्छेकदों और 8 अनुसूचियों के साथ भारतीय संविधान दुनिया में सबसे बड़ा लिखित संविधान है।
स्वततंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, ने भारतीय गणतंत्र के जन्म के अवसर पर देश के नागरिकों का अपने विशेष संदेश में कहा ‘हमें स्वयं को आज के दिन एक शांतिपूर्ण किंतु एक ऐसे सपने को साकार करने के प्रति पुन: समर्पित करना चाहिए, जिसने हमारे राष्ट्र पिता और स्वंतंत्रता संग्राम के अनेक नेताओं और सैनिकों को अपने देश में एक वर्गहीन, सहकारी, मुक्ति और प्रसन्न,चित्त समाज की स्थाटपना के सपने को साकार करने की प्रेरणा दी।उन्होंने आगे कहा था हमें इस दिन यह याद रखना चाहिए कि आज का दिन आनन्द, मनाने की तुलना में समर्पण का दिन है,श्रमिकों और कामगारों परिश्रमियों और विचारकों को पूरी तरह से स्वितंत्र, प्रसन्नत और सांस्कृततिक बनाने के भव्य कार्य के प्रति समर्पण करने का दिन है।‘
तत्कालीन गवर्नर जनरल सी. राजगोपालाचारी, ने 26 जनवरी 1950 को ऑल इंडिया रेडियो के दिल्ली स्टेरशन से प्रसारित एक वार्ता में कहा ‘अपने कार्यालय में जाने की संध्या पर गणतंत्र के उदघाटन के साथ मैं भारत के पुरुषों और महिलाओं को अपनी शुभकामनाएं और बधाई देता हूं, जो अब से एक गणतंत्र के नागरिक है। मैं समाज के सभी वर्गों से मुझ पर बरसाए गए इस स्नेह के लिए हार्दिक धन्यवाद देता हूं, जिससे मुझे कार्यालय में अपने कर्त्तव्यों और परम्पराओं का निर्वाह करने की क्षमता मिली है, अन्ययथा मैं इससे सर्वथा अपरिचित था।