★भोपाल★
{पत्रकार मुकेश शर्मा ने पिछले दिनों प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया व मानवाधिकार आयोग में भी की है शिकायत}
♂÷मध्यप्रदेश के भिण्ड जिले के मौ थाना प्रभारी शिवसिंह यादव का आतंक लगातार जारी है, यादव के संरक्षण में रेत,भू और अवैध बसूली का कार्यक्रम तो बे-रोकटोक चल ही रहा है इन महाशय द्वारा क्षेत्र में जुआ और सट्टा खिलाने का कारनामा उजागर हुआ है।

थाना प्रभारी अपने आपको बहुत ही भद्र पुरूष जताने की कोशिश करते हैं जबकि हकीकत इसके ठीक उलट है मौ थाने में जबसे शिवसिंह यादव की पद स्थापना हुई है तबसे क्षेत्र में जुआ,सट्टा और स्मैक के अवैध कारोबार की सभी सीमायें पार होचुकी हैं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मौ कस्बा के बार्ड नम्बर 8 निवासी एक युवक द्वारा जो टीआई का दूर का रिश्तेदार भी है उसके द्वारा ही चाय, टिक्की के ठेलों सहित हर चौराहे पर सट्टे का कारोबार निडर होकर किया जा रहा है। इस बात की खबर जब अखबार में प्रकाशित हुई तो भृष्ट थाना प्रभारी इतना बौखला गया कि उसने पिछली तारीख में आवेदन लेकर पत्रकार के विरुद्ध अड़ीबाजी की फर्जी एफआईआर करदी जबकि जिस पुजारी के नाम से एफआईआर की गई है पत्रकार उस मंदिर के ट्र्स्ट का संस्थापक अध्यक्ष है।इस बात की शिकायत पीड़ित पत्रकार ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया,केंद्रिय मानव अधिकार आयोग सहित सभी वरिष्ठ अधिकारियों से करदी है जहां से नोटिस जारी होगये हैं।दरअसल हुआ यह कि बलात्कार पीड़िता के कथन लेने मौ थाना प्रभारी शिवसिंह यादव एवं भिण्ड पुलिस में नई पदस्थ डीएसपी पूनम थापा ग्वालियर के महाराजपुरा थाने आईं जहां उन्होंने पीड़िता को अपराधी की तरह घर से उठाया और दीनदयाल नगर पुलिस चौकी में बिठाल कर उसपर समझौते के लिये दवाब बनाने लगे पीड़िता चूंकि ग्वालियर उच्चन्यायालय में भिण्ड पुलिस के विरुद्ध याचिका लगा चुकी है इसलिए उसने अपने एडवोकेट से संपर्क किया एडवोकेट के आते ही टीआई शिवसिंह यादव आपा खो बैठे और अपशब्दों की बौछार करदी एडवोकेट ने इस बात का प्रतिरोध किया तो टीआई और डीएसपी ने एडवोकेट और पत्रकार के भाई के विरुद्ध ग्वालियर के महाराजपुरा थाने में फर्जी एफआईआर करवादी जबकि अपनी शिकायतों में पूर्व से ही पत्रकार ने इस बात की आशंका जताई थी कि शिवसिंह यादव से पत्रकार और उसके परिवार को जान माल का खतरा है थाना प्रभारी शिवसिंह यादव उसकी तथा उसके परिवार की हत्या करा सकता है?तथा झूठे केस में फंसा सकता है।अपनी और परिवार की जान की शुरक्षा के लिए पत्रकार ने न्यायालय में भी याचिका लगाई है।देखते हैं अंधा और बहरा प्रशासन इस भृष्ट,अभद्र,और बेलगाम थाना प्रभारी के विरुद्ध क्या कार्यवाही करता है?खबर से बखौला कर थाना प्रभारी ने एक अपने एक बसूली एजेंट से पत्रकार को वाट्सएप कॉल करके जान से मारने की धमकी दिलवाई जिसकी शिकायत पत्रकार ने मोबाइल नम्बर का स्क्रीन शॉट तुरंत थाना प्रभारी के वाट्सएप पर की,इतना ही नहीं थाने के नीचे धड़ल्ले से सट्टे के नंबर लगाये जाते हैं इन ठेलों या चौराहों पर गौर से सटोरियों की बातें सुनो तो आपको धाई और हरप आने की बातें स्पस्ट सुनाई देंगी थाने की नाक के नीचे सटोरिया सट्टा लगाते हैं और पुलिस के कान पर जूं तक नहीं रेंगती खुफिया तंत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पता यह चलता है कि पुलिस को सट्टा माफियाओं के द्वारा मोटी रकम प्रति महीने पहुंचाई जाती है क्या पुलिस पैसा लेती है?सट्टा माफियाओं से अगर नहीं लेती तो सट्टा माफियाओं के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जाती? यह बात गले नहीं उतरती जिन सूत्रों के द्वारा जानकारी मिली है उन लोगों ने इस संवाददाता से निवेदन किया है कि मीडिया में हमारा नाम उजागर मत करना अन्यथा पुलिस हमारा जीना हराम करदेगी। क्योंकि सट्टा माफिया बाहुबली हैं और इनकी जड़ें पुलिस प्रशासन के बड़े अधिकारियों से जुड़ी हुई हैं आश्चर्यजनक बात तो यह है कि आज दिनांक तक सट्टे के खिलाफ कोई भी बड़ी कार्रवाई नहीं हो सकी।इसे पुलिस महकमे की नाकामी समझें या पुलिस की दलाली ? मौ में पांच से छह ग्रुप ऐसे हैं जो सट्टा और जुआ के संरक्षक बने हुए हैं इनका जाल इलाके के गांव गांव तक फैला है इसकी शिकायत भी इस संवाददाता द्वारा की गई मुख्यमंत्री हेल्पलाइन को तो टीआई द्वारा संवाददाता से ये कहकर बंद करादिया कि 8 दिन में अवैध कारोबार बंद कर देंगे परन्तु उप पुलिस अधीक्षक गोहद के यहां की गई शिकायत की जांच जारी है । लेकिन पुलिस औऱ बड़े-बड़े लोगों के इस खेल में शामिल होने तथा उन्हीं के इशारे पर सट्टा जुआ चलने से कोई कार्यवाही नहीं होती है ।वरिष्ठ अधिकारी अगर ईमानदारी से जांच करें तो कई बड़े अवैध काम और उनके संरक्षण दाताओं के नाम उजागर होसकते हैं जिन्हें स्थानीय पुलिस बहुत अच्छे से जानती है ।मगर सोचने की बात यह है कि पुलिस को ऐसा क्या मिलता है इन सटोरियों से और जुआरियों से कि पुलिस इन पर हाथ नहीं डालती इस अवैध कारोबार से पुलिसकर्मियों का घर तो आवाद होता है और गरीब और मजदूर का घर बर्बाद होरहा है। अगर पुलिस महकमा चाहे या पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी जरा सी सख्ती बरतें तो कस्बा से गांव तक फैला यह काला कारोबार पूरी तरह बंद नहीं तो कुछ तो अंकुश लगाया जा सकता है। लॉकडाउन के चलते गरीब मजदूर सौ दो सौ रु कमाने वाला शाम को दो सौ रु का सट्टा लगादेता है जिसके कारण उसके बच्चे भूखे मरते हैं। दोषी इसमें जितना सट्टा माफिया है उतना ही पुलिस महकमा है।फिलहाल थाना प्रभारी का आतंक जारी है देखते हैं क्या होता है?
इनका कहना है
प्रदेश के भिण्ड जिले के मौ थाना क्षेत्र में सभी अमानवीय कृत्य हो रहे हैं जिसकी खबरें में लगातार प्रकाशित कर रहा हूं,इसके अलावा मैंने सभी वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायतें भी की हैं। इन खबरों और शिकायतों से बौखला कर थाना प्रभारी मेरे और मेरे परिवार के दुश्मन बन गए हैं मेरे साथ कोई भी घटना घट सकती है ।हालांकि मैंने माननीय उच्चन्यायालय खंडपीठ ग्वालियर में अपनी और परिवार की शुरक्षा के याचिका लगा रखी है निर्णय आना शेष है।
मुकेश शर्मा
स्वतंत्र पत्रकार/स्तम्भ कार मध्यप्रदेश