★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{‘विशेष दर्जे’ पर अटकलें तेज, मस्जिदों की मांगी गई सूची,टैक्सियों की यात्री क्षमता व पेट्रोल पम्पो की ऑयल कैपेसिटी की जुटाए सूचना कहा प्रशासन ने}
[पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला ने कहा पीएम मोदी से मिलने के लिए मांगा है वक़्त तो पीडीपी प्रमुख महबूबा ने अनुरोध किया कि हो सर्वदलीय बैठक]
(हर समय कयासों अफवाहों का जवाब नही दे सकते कहा राज्यपाल के सलाहकार विजय कुमार ने)
[अधिकारियों ने कहा अब तक उन्हें नही मिले है ऑर्डर जबकि सोशल मीडिया पर आदेश हो रहे वायरल]
♂÷जम्मू कश्मीर प्रशासन के अधिकारियों द्वारा जारी एक नए आदेश के बाद सोमवार को कश्मीर में सरगर्मियों के बीच ये अटकलें चल रही हैं कि केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली मोदीसरकार राज्य के विशेष दर्जे को लेकर कोई अहम फैसला ले सकती है। घाटी में अनिश्चितता के बीच राज्य के प्रमुख राजनीतिक दलों ने भी इस मुद्दे पर केंद्र से चीजों को स्पष्ट करने की मांग की है।उधरनेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का वक्त मांगा है।
विदित हो कि सोमवार को प्रशासन ने एक आदेश जारी कर श्रीनगर के पांच जोनल पुलिस अधीक्षकों से शहर में स्थित मस्जिदों और उनकी प्रबंध समितियों की सूची उपलब्ध कराने को कहा है जबकि एक अन्य आदेश में पुलिस अधिकारियों से टैक्सियों की यात्री क्षमता और पेट्रोल पंपों की ईंधन क्षमता की सूचना जुटाने को कहा गया है।इससे पहले केंद्र ने अर्धसैनिक बलों की 100 अतिरिक्त कंपनियों को घाटी में भेजने का फैसला किया है।
वहीं बीजेपी की पूर्व सत्ता की साझेदारी में मुख्यमंत्री रही पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती आम सहमति बनाने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने का अनुरोध किए जाने के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री से मुलाकात का वक्त मांगा है। अब्दुल्ला के द्वारा इस हफ्ते यहां बैठक आयोजित करने की उम्मीद है।पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने बताया कि, मौजूदा हालात पर चर्चा और आगे की राह के लिए आम सहमति बनाने के उद्देश्य से हमें गुरुवार को यहां सर्वदलीय बैठक करने की उम्मीद है।
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात का वक्त मांगा है लेकिन उनके दफ्तर से अभी जवाब नहीं आया है।अब्दुल्ला ने कहा, हमनें प्रधानमंत्री से मुलाकात का अनुरोध किया है और जम्मू कश्मीर में संवेदनशील हालात के मद्देनजर मुझे जल्द ही उनके कार्यालय से जवाब आने की उम्मीद है।
उधर पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने ट्विटर पर लिखा, हालिया घटनाक्रम के मद्देनजर जम्मू कश्मीर में लोगों के बीच दहशत फैल गई है।मैंने डॉ. फारूक अब्दुल्ला से सर्वदलीय बैठक बुलाने का अनुरोध किया है एक साथ होकर काम करने और एकजुट जवाब देने की जरूरत है,हम कश्मीरियों को साथ मिलकर खड़े होने की जरूरत है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष व एक्स सीएम उमर अब्दुल्ला ने इस पर यह कहते हुए जवाब दिया कि पार्टी राज्य के लिए केंद्र सरकार की मंशा को समझने की कोशिश कर रही है,उन्होंने ट्वीट किया, ”जम्मू कश्मीर में दूसरे दलों के वरिष्ठ नेताओं से कश्मीर के मौजूदा हालात पर चर्चा से पहले केंद्र सरकार से राज्य को लेकर उसकी मंशा को समझने की आवश्यकता है और यह भी कि वह मौजूदा हालात को कैसे देखते हैं. जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस अभी इस पर ध्यान केंद्रित कर रही है।”
श्रीनगर के पांच जोनल पुलिस अधीक्षकों से शहर में स्थित मस्जिदों और उनकी प्रबंध समितियों की सूची उपलब्ध कराने के आदेश के बाद एक बार फिर ये कयास तेज हो गए हैं कि आने वाले समय में जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे के संदर्भ में कुछ बड़े फैसले किए जा सकते हैं। श्रीनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा रविवार रात जोनल पुलिस अधीक्षकों को जारी किए गए आदेश के मुताबिक, ” कृपया दिए गए प्रारूप में अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाली मस्जिदों और प्रबंध समितियों के बारे में विवरण इस कार्यालय को तत्काल उपलब्ध कराएं जिससे उसे उच्चाधिकारियों को प्रेषित किया जा सके।
ये जानकारी गोपनीय थीं, लेकिन सोशल मीडिया में इन दिनों छाईं हुई है।
इसके अलावा अधिकारियों से यह भी कहा गया है कि वे मस्जिद समिति के वैचारिक रुझान के बारे में भी जानकारी उपलब्ध कराएं। सोशल मीडिया पर नजर आ रहे एक अन्य सरकारी आदेश के मुताबिक यहां पुलिस अधिकारियों से कहा गया है कि वे अपने अधिकार क्षेत्र वाले इलाकों में टैक्सियों की यात्री क्षमता और पेट्रोल पंपों की ईंधन क्षमता के बारे में जानकारी उपलब्ध कराएं। इन आदेशों को गोपनीय रहना था, लेकिन ये सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे हैं कुछ अधिकारियों का कहना है कि उन्हें अब तक ये आदेश नहीं मिले हैं।
केंद्र द्वारा अर्धसैनिक बलों की 100 अतिरिक्त कंपनियों को घाटी में भेजे जाने के बाद कश्मीर में ऐसी अटकलों का दौर शुरू हो गया है।मुख्यधारा के दलों ने कश्मीर को मिले विशेष दर्जे से किसी तरह की छेड़छाड़ के विरोध का आह्वान किया है,
आवाजाही वाले इलाकों में कई बंकर बनाए।
कश्मीर में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती की पृष्ठभूमि में शहर में नए सुरक्षा नाकों का निर्माण भी देखा जा रहा है।पुराने शहर, पर्यटकों की ज्यादा आवाजाही वाले इलाकों में यहां कई बंकर बनाए गए हैं।गृह मामलों पर राज्यपाल के सलाहकार विजय कुमार ने सवालों का जवाब देते हुए कहा कि वह हर समय अफवाहों और कयासों का जवाब नहीं दे सकते।
अफवाह या अफरा-तफरी का जवाब नहीं देना चाहिए।
कुमार ने कहा, अगर कोई सोशल मीडिया पर अफवाह या अफरा-तफरी मचा रहा है तो मुझे उसका जवाब नहीं देना चाहिए, यह उचित नहीं होगा किसी ने कहा कि अतिरिक्त सुरक्षा बल आ रहे हैं। यह यहां उपलब्ध सुरक्षा तंत्र के लिये सोची समझी प्रतिक्रिया है।कुमार ने कहा, अमरनाथ यात्रा पर ध्यान केन्द्रित करने के मद्देनजर सुरक्षा में कुछ कटौती की गई थी। इसलिए जरूरत पड़ने पर बातचीत के बाद बलों को थोड़ा बढ़ाने का अनुरोध किया गया।यह उस योजना का हिस्सा है जिस पर अभी अमल किया जाना है,
चार महीने के लिए राशन के भंडारण की सलाह।
इससे पहले शनिवार को बडगाम में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के एक अधिकारी ने अपने कर्मचारियों से कहा था कि कश्मीर घाटी में लंबे समय के लिए हालात खराब होने के पूर्वानुमान को देखते हुए वो कम से कम चार महीने के लिए अपने घरों में राशन का भंडारण कर लें और दूसरे कदम उठा लें,इससे भी इन चर्चाओं को बल मिला।
बडगाम में आरपीएफ के सहायक सुरक्षा आयुक्त सुदेश नुग्याल द्वारा लिखे पत्र में कहा गया है, विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों और एसएसपी/जीआरपी/एसआईएनए (वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, सरकारी रेलवे पुलिस, श्रीनगर) द्वारा कश्मीर घाटी में हालात बिगड़ने की आशंका के संबंध में मिली जानकारी, और लंबे समय तक कानून-व्यवस्था की स्थिति बने रहने को लेकर 27 जुलाई को एक एहतियाती सुरक्षा बैठक हुई थी।
अधिकारी ने कर्मचारियों से घाटी में हालात खराब होने की आशंका को देखते हुए सात दिनों तक के लिए पीने का पानी भरकर रखने और गाड़ियों को कानून-व्यवस्था से निपटने के लिए तैयार रखने को कहा है।रेलवे ने हालांकि स्पष्ट किया कि इस पत्र का कोई आधार नहीं है और किसी अधिकारी को इसे जारी करने का अधिकार नहीं है।