★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस ने कहा हम बातचीत को बढ़ावा देना चाहते हैं, सोमवार को सुनवाई करेंगे, अगर अटॉर्नी जनरलहमें बताते हैं कि बातचीत जारी है तो हम ये मामला स्थगित कर देंगे}
[केंद्र सरकार की तरफ़ से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट में बताया,सरकार की किसानों के साथ वार्ता जारी है और समझौते पर पहुँचने के आसार हैं]
(7 जनवरी को किसान संगठन निकालेंगे ट्रैक्टर रैली,कांग्रेस,सपा, बसपा ने केंद्र सरकार से किसानों की बात मानते हुए कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं)
[आशा है कि बातचीत से समाधान निकलेगा,हम किसानों के हित से पीछे नही हटेंगे कहा केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने]
♂÷लगभग एक माह से ऊपर चल रहे नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे किसान संगठनों ने जहाँ ये एलान कर रहे हैं कि क़ानून वापसी के बग़ैर वह घर वापसी नही करेंगे तो वहीं केंद्र सरकार का कहना है कि किसानों के हितों से कोई समझौता नही किया जायेगा,और उम्मीद है कि आगामी दौर में बातचीत के जरिये मतभेद सुलझा लिए जायेंगे।
उधर नए कृषि कानूनों और उसकी वजह से चल रहे किसान आंदोलनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 11 जनवरी सोमवार को सुनवाई होगी। इस संबंध में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया। कोर्ट ने यह कहा है कि तीनों कृषि कानूनों को चुनौती देने वाले सभी याचिकाओं पर अगले सोमवार को सुनवाई होगी।

केंद्र की ओर से कोर्ट में दलील दे रहे अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि किसानों के साथ सरकार की वार्ता जारी है और समझौते पर पहुंचने के भी आसार हैं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार कोर्ट में एफिडेविट देती है तो इससे किसानों के साथ किसी समझौते पर पहुंचना मुश्किल हो जाएगा।
इसपर कोर्ट ने कहा, ‘हम बातचीत को बढ़ावा देना चाहते हैं। हम इन मामलों पर सोमवार को सुनवाई करेंगे और अगर अटॉर्नी जनरल हमें बताते हैं कि बातचीत जारी है तो हम यह मामला स्थगित कर देंगे।’
चीफ जस्टिस एसए बोबड़े की अध्यक्षता में तीन जजों वाली पीठ ने माना कि फिलहाल इस स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि हमारा जवाब तैयार है लेकिन किसानों से हमारी सकारात्मक दिशा में बातचीत जारी है, इसलिए अभी तक कोर्ट में जवाब नहीं दिया गया है।
बता दें कि पिछले साल केंद्र द्वारा लाए गए तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हजारों किसान बीते एक महीने से भी ऊपर वक्त से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं। यह गतिरोध खत्म करने के लिए केंद्र सरकार किसान संगठनों के साथ कई दौर की वार्ता कर चुकी हैं लेकिन ये सभी बेनतीजा रही हैं।
उधर 6 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकालने की तारीख़ को किसान संगठनों ने एक दिन बढ़ाकर अब 7 जनवरी को निकालेंगे।
वहीं कृषिमंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि किसान संगठनों से अब तक बातचीत सकारात्मक रही है आशा है समाधान निकलेगा,हम किसानों के हित से पीछे नही हटेंगें।
उधर काँग्रेस का कहना है कि मोदी सरकार को ठण्ड से हो रही किसानों की मौत नही दिख रही है, सरकार को ये काला क़ानून वापस लेना चाहिए,जो अपने उधोगपतियों मित्रों को लाभ पहुँचाने के लिए बनायी है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद अखिलेश यादव भी कृषि कानून की जमकर आलोचना करते हुए आन्दोलन रत किसानों के समर्थन में है तो वहीं उनकी पार्टी उत्तरप्रदेश में सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन करने से भी पीछे नही हट रही है।
बसपा अध्यक्ष सुश्री मायावती भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेर चुकी हैं।