★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{गत 6 जनवरी को अमरिकी सदन कैपिटल हिल पर ट्रम्प समर्थकों ने चुनाव परिणाम में धांधली के आरोप के साथ की थी हिंसा,ट्रम्प के ऊपर सीनेट ने की थी मांग महाभियोग लाये जाने की}
[हिंसा के पूर्व ट्रम्प के द्वारा ट्विटर,फेसबुक व यूट्यूब पर की थी भड़काऊ बयानबाज़ी जिसके चलते इन सोशल साइट कम्पनियों ने उनके एकाउंट कर रखे हैं बन्द]
(ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी के सात सीनेटरों ने भी किया था ट्रम्प पर महाभियोग चलाने का समर्थन,ट्रम्प के समर्थन में महाभियोग चलाने के खिलाफ 57 तो पक्ष में पड़े 43 मत)
♂÷अमेरिका के एक्स प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प के ऊपर महाभियोग चलाये जाने के ट्रायल से बरी होने के बाद उनपर लगे आरोप भी दो तिहाई बहुमत न जुट पाने के चलते ख़ारिबज कर दिए गए।
मालूम हो कि राष्ट्रपति चुनाव में प्रतिद्वंद्वी डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडन से मात खाने के बाद चुनावी परिणाम में लगातार धांधली किये जाने का आरोप लगा भड़काउ बयानबाजी करते रहे डोनाल्ड ट्रम्प।
यहाँ तक कि कई बार उन्होंने कहा डाला कि वह राष्ट्रपति निवास व्हाईट हाऊस नही छोड़ेंगे।
जिनकी वजह से उनके भड़काउ बयानबाजी व ट्वीट पर गत 6 जनवरी को तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भाषण के बाद वॉशिंगटन स्थित कैपिटल हिल पर उनके समर्थकों ने जो दंगा किया, उसे भड़काने के आरोप में चले महाभियोग ट्रायल में बीते शनिवार को ट्रंप को आरोपों से बरी कर दिया गया।
सीनेट (Senate Acquitted Trump) में दो तिहाई बहुमत हासिल न होने से ट्रंप के खिलाफ महाभियोग को खारिज तो किया गया लेकिन चर्चा इस बात की जारी है कि ट्रंप की ही पार्टी के किन नेताओं ने ट्रंप के खिलाफ वोटिंग की यानी उन पर महाभियोग चलाकर उन्हें दोषी ठहराए जाने के लिए रज़ामंदी दी थी।
ट्रंप के साथी नेताओं ने बहुमत से ट्रंप का साथ दिया और उन्हें दोषमुक्त किए जाने की पैरवी की, लेकिन सात रिपब्लिकन सीनेटर ऐसे थे जिन्होंने डेमोक्रैटिक पार्टी के एजेंडे के सुर में सुर मिलाकर ट्रंप को सज़ा दिलवाए जाने की हिमायत की।इनमें से एक रिचर्ड बर ने हालांकि पहले कहा था कि पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग नहीं चलाया जा सकता, लेकिन इस तर्क को सीनेट ने खारिज किया था।
अमेरिकी कानून के मुताबिक सीनेट में दो तिहाई स्पष्ट बहुमत होने पर ही किसी राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग सफल हो सकता है, लेकिन ट्रंप के खिलाफ 57 मत रहे तो पक्ष में 43। इस समीकरण के चलते ट्रंप पर लगे आरोप खारिज हो गए। इस नतीजे को हालांकि दूरगामी कहा जा चुका है, फिर भी चर्चा में वो सात नाम आ गए, जिन्होंने ट्रंप को दोषी ठहराए जाने के लिए अपनी पार्टी लाइन से अलग स्टैंड लिया।
ट्रंप के खिलाफ सात रिपब्लिकन नेताओं ने वोटिंग की।
इन सभी सात सीनेटरों के बारे में कहा जा रहा है कि इनमें से कुछ नेता तो पहले ही रिपब्लिकन पार्टी के लिए अप्रासंगिक हो चुके हैं और बाकी के बारे में कहा जा रहा है कि अब उनसे डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ रुख अपनाने के लिए सवाल जवाब किए जा रहे हैं। खबरें कह रही हैं कि अब इन नेताओं का भविष्य मुश्किलों भरा ही होने वाला है क्योंकि ट्रंप आक्रामक ढंग से अभियान शुरू करने के संकेत दे चुके हैं।
इन सात नेताओं ने ट्रम्प के ख़िलाफ़ रुख अपनाया जिनमे
रिचर्ड बर ने 2016 में पद संभालने के बाद साफ कह दिया था कि वो 2022 का चुनाव नहीं लड़ेंगे। यही नहीं ट्रंप के सहयोगियों का जो घेरा रहा है, उसमें भी बर को कोई तरजीह नहीं दी जाती। इसके पीछे कारण यह है कि 2016 के अमेरिकी चुनाव में रूसी हस्तक्षेप की जांच के लिए जो सीनेट इंटेलिजेंस कमेटी बनी थी, उसकी अगुवाई बर ने ही की थी और ट्रंप इस जांच के कतई पक्ष में नहीं थे।
बिल कैसिडी ने ट्रंप के ट्रायल के मामले में अपने पिछले स्टैंड से अलग रवैया इख्तियार करते हुए लुइसियाना से सीनेटर कैसिडी ने बीते मंगलवार को उन पांच रिपब्लिकनों का पाला अपनाया, जो ट्रंप के खिलाफ वोटिंग करने जा रहे थे। कैसिडी ने केवल ट्रंप के खिलाफ कार्रवाई को संवैधानिक बताया था कि महाभियोग की कार्रवाई की शुरूआत को काफी अच्छा भी कहा था।
बेन सैस अमेरिकी राजनीति में बड़ा नाम है क्योंकि 2020 में रीइलेक्शन जीतने के बाद नेब्रास्का से सीनेटर सैस 2024 में रिपब्लिकन पार्टी के प्रेसिडेंट नॉमिनी के लिए भी संभावित नाम माने जाते रहे। ट्रंप के खिलाफ वोटिंग से पहले सैस तब भी चर्चा में थे जब उन्होंने चुनावी फ्रॉड के लिए ट्रंप को ज़िम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि स्पष्ट रूप से बाइडन की जीत हुई और ट्रंप को शांति से पद छोड़ना चाहिए।
लीज़ा मुर्कोस्की ने चुनाव के बाद कांग्रेस की बैठक और पावर ट्रांसफर की औपचारिक प्रक्रिया के दौरान 6 जनवरी को कैपिटल हिल दंगों के लिए अलास्का से ताल्लुक रखने वाली सीनेटर लीज़ा ने ट्रंप को स्पष्ट तौर पर दोषी ठहराते हुए तब भी कहा था कि ट्रंप को फौरन इस्तीफा देना चाहिए।
मिट रॉमनी उटा के सीनेटर रिपब्लिकन पार्टी के अहम नेता रहे हैं और रॉमनी ही 2012 में रिपब्लिक पार्टी से प्रेसिडेंट उम्मीदवार थे, रॉमनी पहले भी ट्रंप के आलोचक दिखे हैं। ट्रंप के खिलाफ 2020 में जो महाभियोग ट्रायल हुआ था, उसमें भी रॉमनी ही वो इकलौते रिपब्लिकन सीनेटर थे, जिन्होंने ट्रंप को दोषी ठहराए जाने के लिए वोट दिया था।
पैट टूमी ने कहा अक्टूबर 2020 में वो अगला रीइलेक्शन नहीं लड़ेंगे। टूमी की स्थिति भी बर की तरह रिपब्लिक पार्टी के लिए तवज्जो देने वाली नहीं रह गई है। हालांकि टूमी ने न केवल ट्रंप की हरकतों को महाभियोग के लायक बताया, बल्कि कैपिटल दंगों के बाद इस्तीफा भी मांगा था।
सूज़न कॉलिन्स अमेरिकी राज्य मैन से ताल्लुक रखने वाली कॉलिन्स को मध्यमार्गी नेता माना जाता है, लेकिन वो इसलिए अहम नेता हैं क्योंकि इस राज्य में डेमोक्रैट प्रेसिडेंट जो बाइडन का मज़बूत आधार है, इसके बावजूद 2020 में यहां से कॉलिन्स रिपब्लिकन सीनेटर चुनी गईं, कॉलिन्स ने ट्रंप को दंगों का ज़िम्मेदार माना था।