★मुकेश शर्मा★
★ग्वालियर(मध्यप्रदेश)★
{एमपी के सहकारिता मन्त्री गोविंद सिंह ने सहकारी बैंक मुरैना से सम्बद्ध संस्थानों में जताए165 करोड़ घोटाले के आरोप}
[दो आईएएस अफसर, पूर्व विधायक दो अफसरों के साथ कई कर्मचारी भी हो सकते हैं घोटालों में शामिल]
(पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सदस्य दिग्विजयसिंह ने सरकार को पत्र लिखकर की है जाँच की मांग,तो राजनैतिक दबाव में 2015 से धूल फांक रही हैं फाइल)

[जांच आवेदक पत्रकार विवेक तिवारी ने कहा कि उचित कार्रवाई न हुई तो दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस कर बनेगी आगे की रणनीति]
♂÷सहकारी बैंक मुरैना से सम्बद्ध तमाम सहकारी संस्थाओं में हुए भ्रष्टाचार एवम् बैंक के घपले घोटालों की जांच अगर ईमानदारी से की गई तो सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह के द्वारा लगाए गए 165 करोड़ के गबन और घोटालों के आरोपों में तीन आईएएस अधिकारियों के साथ दो आला अफसर, पूर्व विधायक एवम् अन्य कर्मचारी जांच की जद में आएंगे जिसमें मुरैना जिले में 2009 -10 में पदस्थ रहे तत्कालीन कलेक्टर की अनुमति से होने वाली भर्तियों में घोटाला हुआ था जिसकी जांच होना अति आवश्यक है । लेकिन इसके लिए जांच अधिकारियों को भी पारदर्शिता दिखानी होगी क्यों कि इतने बड़े पैमाने पर किए गए घपले घोटालों की जांच प्रभावित करने के लिए बैंक के भीतर अब भी चंद ऐसे कर्मचारी बैठे हैं जो पूरी जांच को प्रभावित कर रहे हैं । इसी मामले में बैंक के घपले घोटालों की जांच आवेदन मध्यप्रदेश शासन और केंद्र सरकार तक भेजकर जांच कराने वाले वरिष्ठ पत्रकार विवेक तिवारी ने बताया कि सहकारी बैंक मुरैना के अलावा पूर्व में भी सहकारी संस्थाओं की जांच हुई है जिसमें EOW ने गिरफ्तारियां भी कराई है । मुरैना सहकारी संस्थाओं के साथ बैंक के घपले घोटालों की जांच निष्पक्षता से वर्ष 2010 से हुई तो इसमें आईएएस अफसर के साथ दो आला अफसर एक पूर्व विधायक के साथ आधा दर्जन कर्मचारी भी नपेंगे । अगर जरूरत महसूस हुई तो भोपाल दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस कर नियमानुसार धरना प्रदर्शन किया जाएगा लेकिन उससे पूर्व प्रधानमंत्री को भेजे गए आवेदन पत्र का रिमाइंडर भी भेजा जाएगा क्यों कि प्रधानमंत्री को भी कुल 134, पेज शिकायती आवेदन के साथ भेजे गए हैं ।इस मामले को लेकर दिनांक 7/10/19 को मेरे ऊपर हमला करने की कोशिश की गई लेकिन में सतर्क था । सवाल यह है कि क्या सहकारिता मंत्री, मुरैना सांसद और केंद्र सरकार ईमानदारी से इस मामले की जांच कराएंगे ? क्या जांच अधिकारी जांच में अपनी पारदर्शिता निभाएंगे ? क्या जांच प्रभावित करने वाले कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से स्थानांतरित किया जाएगा ? ये तो वक्त बताएगा ।
जांच हेतु दिग्विजय सिंह ने भी लिखा पत्र
सहकारी बैंक मुरैना में 165 करोड़ के गबन और घोटालों के आरोपी निलम्बित अधिकारी अरस्तू प्रभाकर की जांच हेतु राजेन्द्र सिंह तोमर दीनदयाल नगर ग्वालियर द्वारा दिए गए आवेदन के आधार पर स्वयं राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने पत्र लिखकर जांच की मांग की है ।
भविष्यनिधि कार्यालय को भी किया गुमराह
पिछले एक दशक से बैंक के आला अफसर अरस्तू प्रभाकर एवम् सहयोगी कर्मचाियों द्वारा न सिर्फ रिटायर्ड कर्मचारियों को परेशान किया गया है बल्कि उनका क्लेम, फंड, पेंशन डकारने की नीयत से संयुक्त आयुक्त चम्बल सहकारिता विभाग के अफसरों के साथ मिलकर भविष्यनिधि कार्यालय को भी गलत और भ्रामक जानकारी उपलब्ध कराने का कृत्य किया है जिसके प्रमाण मौजूद हैं ।
इनका कहना है ,,,,,
सहकारी बैंक मुरैना के कुछ मामलों की जांच हेतु मध्यप्रदेश शासन और केंद्र सरकार की ओर पत्र मय सबूतों के साथ भेजे गए हैं इसके अलावा लोकायुक्त भोपाल में राजनैतिक दवाब के चलते 2015 से फाइलें धूल फांक रही है । और भी कई दस्तावेज आ चुके हैं जिसमें आईएएस अधिकारी की भूमिका भी संदिग्ध है । उचित कार्यवाही न होने पर दिल्ली प्रेस कांफ्रेंस होगी और आगे की रणनीति से आप सभी को अवगत कराया जाएगा ।