★सिमरनजीत सिंह★
★शाहजहांपुर(यूपी)★
{सिधौली ब्लाक के ख़िरीया पाठक गाँव मे क़ानूनन अपराध की श्रेणी में होने के बाद भी बाल्मीकि समाज के लोग रोटी के लिए ढोते है मैला}
[ग्राम प्रधानों ने की है शौचालय बनवाने के नाम पर खानापूर्ति,कई गाँवो में आज भी शुष्क शौचालय होने के चलते ढोया जाता है मैला]
(मैला ढोने की बात को सिरे से नकारते हुए सीडीओ महेंद्र सिंह तंवर ने कहा करवाई जायेगी जाँच)

♂÷मैला ढोना एक कानूनी अपराध है लेकिन शाहजहांपुर में मैला ढोने की प्रथा आज भी बदस्तूर जारी है। यहां के कई गाँवो में शुष्क शौचालय होने के वजह से आज भी मैला ढोया जाता है। खास बात यह है कि बाल्मीकि समाज के स्कूली बच्चे भी मैला ढोने का काम कर रहे हैं। फिलहाल जिला प्रशासन ने जांच के बाद कार्रवाई की बात कर रहा है।

मामला शाहजहांपुर ज़िले के सिधौली ब्लाक के खिरिया पाठक गांव का है। जहां गांव में एक दर्जन से ज्यादा शुष्क और कच्चे शौचालय बने हुए हैं। यहां आज भी मैला ढोने की प्रथा वबदस्तूर लगातार जारी है। जबकि सरकार ने मैला ढोने को एक सामाजिक और कानूनी अपराध माना है। आलम यह है कि स्कूल में पढ़ने वाली एक छात्रा भी मैला ढोने का काम यहां करती है । इसके पीछे वजह बताई जा रही है कि मुस्लिम आबादी वाले गांव में सरकारी शौचालय बेहद कम है और मुस्लिम महिलाएं अपने घरों में ही शुष्क शौचालय का प्रयोग करती हैं। यहाँ बाल्मीकि समाज के परिवार उनके घरों से मैला ढोते है। मैला ढोने वालों का कहना है कि उनके पास रोजी रोटी के लिए कोई दूसरा साधन नहीं है । जिसके चलते ही वह यह काम करते हैं।

गांव में बने प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका का कहना है कि यहां पढ़ने वाली बच्ची स्कूल छोड़कर मैला ढोने का काम कर रही है।
ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम प्रधान ने शौचालय बनवाने के नाम पर सिर्फ खानापूरी की है। गांव में कई घर ऐसे हैं जहां पर सरकारी शौचालय नहीं बने हैं। जिसकी वजह से यह लोग प्रतिबंधित शुष्क शौचालयों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
हालांकि जब सीडीओ महेंद्र सिंह तंवर से बात की गयी तो उन्होंने मैला ढोने की प्रथा की बात को सिरे से नकार दिया व उनका कहना है कि इस मामले की जांच की जाएगी, जांच में अगर यह मामला सही पाया गया तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई होगी।
मैला ढोने की प्रथा को एक सामाजिक कानूनी अपराध माना गया है। जिसमें कड़ी कार्रवाई किए जाने के प्रावधान है लेकिन इन सबके बावजूद मैला ढोने की प्रथा बदस्तूर जारी है । जरूरत है शिव को प्रथाओं को जड़ से खत्म करने की ताकि मैला ढोने वालों को भी मुख्यधारा में शामिल किया जा सके।