★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{टिकटॉक स्टार पूजा चव्हाण आत्महत्या प्रकरण में नाम आने को लेकर पहले दिन से ही बीजेपी रही शिवसेना व ठाकरे सरकार पर हमलावर}
[बजट सत्र की पूर्व संध्या पर वनमंत्री राठौड़ ने मुख्यमंत्री को दिया इस्तीफ़ा और कहा कि इस मामले की निष्पक्ष जाँच हो इसके लिए किया रिजाइन, विपक्ष बंजारा समाज को कर रहा बदनाम]
(नेता विपक्ष देवेन्द्र फडणवीस के प्रेस कान्फ्रेंस के बाद तेजी से बदले घटनाक्रम में इस्तीफ़ा लिया गया मन्त्री का,उधर शरद पवार व काँग्रेस ने भी ठाकरे से जताई थी नाराज़गी)
♂÷महाराष्ट्र के वनमंत्री संजय राठौड़ पर टिक टॉक स्टार के सुसाइड मामले में लगे आरोप के चलते विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के गर्म तेवर देख अन्ततः मन्त्री राठौड़ को आज बजट विधानसभा सत्र की पूर्व संध्या पर इस्तीफ़ा देना ही पड़ा।
महाराष्ट्र सरकार में वन मंत्री संजय राठौड़ ने आखिरकार अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। टिक टॉक स्टार पूजा चव्हाण सुसाइड केस में पिछले कई दिनों से राठौड़ सवालों के घेरे में थे।मुख्य विपक्षी दल बीजेपी लगातार उनके खिलाफ इस मामलें में कार्रवाई करने की मांग को लेकर ठाकरे सरकार व शिवसेना की नींदे हराम की हुई थी।
इस मामले को लेकर संजय राठौड़ ने चुप्पी साधी थी, लेकिन बजट सत्र शुरू होने से एक दिन पहले ही उन्होंने मुख्यमंत्री व शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को इस्तीफे की पेशकश कर दी।
बजट सत्र में विपक्ष इस आत्महत्या प्रकरण को उठाकर ठाकरे सरकार को घेरने की कोशिश कर सकती है। इसीलिए सत्र से पहले ही मंत्री का इस्तीफा कहीं न कहीं विपक्ष के हमले से बचने का एक तरीका माना जा रहा है।
रविवार 28 फरवरी को हुई विधानसभा में नेता विपक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ठाकरे सरकार पर जमकर हमला बोला। राज्य में महिलाओं पर बढ़ते अत्याचारों का हवाला देते हुए मंत्री संजय राठौड़ पर निशाना साधा। सबूत के तौर पर टिक टॉक स्टार आत्महत्या मामले में वायरल ऑडियो क्लिप्स और फोटोज की जांच न होने पर भी सवाल उठाए। कोई कार्रवाई नहीं करने की वजह से विपक्ष ने जांच अधिकारी को निलंबित करने की भी मांग की है। साथ ही न्याय ना मिलने के कारण विपक्ष के सभी विधायकों के शक्ति कानून की कमिटी से इस्तीफा देने की घोषणा की।
बीस दिनों बाद भी इस मामले में एफआईआर दर्ज नही हुई थी जिसके चलते बीजेपी नेताओं ने आक्रमक रूप अख्तियार कर ठाकरे सरकार को निशाने पर लिया था।
दरअसल, शिवसेना सांसद और मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने छत्रपति शिवाजी महाराज के राजधर्म का पालन करने का संदेश देने वाला एक फोटो ट्वीट किया था। इस ट्वीट के बाद से ही राठौड़ के इस्तीफे की चर्चा छिड़ गई थी।
मालूम हो कि गत 23 फरवरी को वनमंत्री संजय राठौड़ अपने हजारों समर्थकों के साथ वाशिम जिले के पोहरादेवी मंदिर पहुंचे थे,जिसके दो ही दिनों बाद पोहरा देवी मंदिर के महंत के साथ दर्जनों लोग कोरोना संक्रमित पाए गए थे।
राज्य में बढ़ते कोरोना मामलों के बीच राठौड़ के इस शक्ति प्रदर्शन की वजह से शिवसेना प्रमुख व मुख्यमंत्री ठाकरे की काफी आलोचना हुई,जिसके चलते उद्धव ठाकरे ने हजारों लोगो पर केस दर्ज करने के आदेश दिए थे,बावजूद उसके विपक्ष का हमला तेज हो रहा था।
इस पूरी घटना के बाद एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने सीएम उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी। सूत्रों की मानें तो शरद पवार ने उद्धव ठाकरे के वन मंत्री राठौड़ की वजह से महा विकास अघाड़ी सरकार की छवि धूमिल होने पर नाराजगी जताई थी। साथ ही कांग्रेस के मंत्री बाला साहेब थोराट ने भी राठौड़ की वजह से कोरोना नियमों के उल्लंघन पर आपत्ति जाहिर की थी,ऐसे में विपक्ष के साथ गठबंधन में शामिल पार्टियों से सीएम ठाकरे पर दबाव बढ़ने लगा था। इसीलिए आज बजट सत्र की पूर्व संध्या पर राठौड़ का इस्तीफा लेने की बजाय शिवसेना के पास कोई चारा नही बचा था।
इस्तीफा देने के बाद संजय राठौड़ ने मीडिया को बताया कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो, इसीलिए उन्होंने इस्तीफा दिया है। लेकिन विपक्ष की तरफ से उनके बंजारा समाज को बदनाम करने का षड्यंत्र होने का आरोप भी किया है।हालांकि इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री ठाकरे ने अब तक इसे स्वीकारा है या नहीं इस पर रविवार शाम होने वाली प्रेस कांफ्रेंस में सीएम अपनी भूमिका स्पष्ट करेंगे।
कुल मिलाकर शिवसेना के बड़े नेता व ठाकरे सरकार के वनमंत्री का इस्तीफ़ा देने से राजनीतिक मोर्चे पर बीस पड़ी बीजेपी अब आगे कौन सी रणनीति अपनाती है यह देखना दिलचस्प रहेगा।
एक बात तो तय है कि बजट सत्र में सत्तापक्ष व विपक्ष के बीच जमकर सियासी तीर चलने हैं।