★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{शरद पवार ने सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद कहा कि सरकार गठन के बारे में कोई बात नही हुई बल्कि महाराष्ट्र के किसानों व राजनीतिक हालात पर हुई है चर्चा}
[पवार से मुलाकात के बाद संजय राउत ने बीजेपी पर कसा तंज कि सरकार बनाने की जिनकी जिम्मेदारी थी वो भाग खड़े हुए, विश्वास है जल्द ही हम सरकार बना लेंगे]
(केंद्रीय मंत्री आठवले ने कहा कि बीजेपी तीन साल तो शिवसेना को दो साल मुख्यमंत्री पद पर समझौता करके बनानी चाहिए सरकार)
♂÷महाराष्ट्र की राजनैतिक दांवपेच का केंद्र सोमवार को देश
की राजधानी दिल्ली बनी रही तो दिनभर के चले राजनीतिक घटनाक्रम से मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए अपने कट्टर हिंदुत्व की विचारधारा को भी दरकिनार करने को तैयार शिवसेना प्रमुख की मातोश्री में दिल्ली से शिवसेना की अगुवाई वाली सरकार बनने की रूपरेखा की कोई भी ख़बर नही पहुँच पाई तो वहीं पवार के घुमावदार बयान ने शिवसेना को एक फ़िर निराश ही किया है।
एनसीपी चीफ़ शरद पवार ने सोनिया गांधी से मिलने के पहले कहा कि बीजेपी शिवसेना मिलकर चुनाव लड़ी है दोंनो दलों को रास्ता चुनना चाहिए तो जिस बहुप्रतीक्षित मुलाकात पर देश के राजनैतिक पंडितों से भी ज्यादे निगाह शिवसेना की लगी थी तो सोनिया गाँधी से दस जनपथ जाकर मुलाकात करने के बाद पवार ने शिवसेना की उम्मीदों पर ग्रहण लगाने वाले वक्तव्य दे डाला कि सोनिया गांधी से सरकार बनाने के बाबत कोई चर्चा नही हुई, हमने महाराष्ट्र के किसानों व राजनीतिक हालात पर चर्चा की है।
उधर शिवसेना सांसद संजय राउत ने पवार के इस बयान के बाद तुरन्त उनके घर पहुँचकर मुलाकात की व बाहर आने पर मीडिया से कहा कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने की जिम्मेदारी कभी भी शिवसेना की नहीं थी जिसकी जिम्मेदारी महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर थी, वे भाग खड़े हुए।
वहीँ केन्द्रीय मन्त्री रामदास आठवले ने बड़ा बयान दिया कि बीजेपी शिवसेना को सरकार बनानी चाहिए,बीजेपी से तीन साल व शिवसेना से दो साल मुख्यमंत्री बनने के साथ 60-40 का फॉर्मूला अपनाना चाहिए।मालूम हो कि कुछ दिन पूर्व भी आठवले ने कहा था कि उनकी बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से महाराष्ट्र में सरकार गठन के बाबत हो रही दिक्कतों पर जब बात हुई थी तब भी शाह ने कहा था कि फडणवीस के नेतृत्व में सरकार बीजेपी शिवसेना की ही बनेगी।
जबकि चर्चा है कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर बीजेपी पर्दे के पीछे से प्रयासरत है और वह सभी घटनाक्रम पर नजदीकी निगाह रखे हुए है।
फ़िलहाल महाराष्ट्र में चुनावी परिणाम आये 24 दिन हो गए हैं और अभी तक सरकार बनने की राह खुलती नज़र नही आ रही हैं।कई दिन तक मुम्बई से लेकर दिल्ली तक एनसीपी कांग्रेस व शिवसेना की बैठकों के दौर चलने के बाद भी आज सोनिया पवार की बहुप्रतीक्षित मीटिंग के बाद जिस तरह से खोदा पहाड़ निकली चुहिया के नतीज़े शरद पवार ने शिवसेना के सामने अपने बयान से रख दिया है उससे शिवसेना को अपना मुख्यमंत्री व सरकार बनने में अब राह मुश्किल नज़र आने लगी है।
कुछ दिनों पहले तक शिवसेना नेता राउत मज़बूती से दोहराते रहे कि शिवसेना के पास 170 विधायकों का समर्थन है और बाला साहब को दिए गए वचन के अनुसार मुख्यमंत्री शिवसैनिक ही बनेगा,अब आज के घटनाक्रम के बाद संजय राउत के बयान शिवसेना की हताशा दर्शाने के लिए काफ़ी हैं।
महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार बनेगी या नहीं, इसे लेकर अटकलों का दौर अब भी खत्म नहीं हुआ है।
संजय राउत ने शरद पवार से सोमवार शाम मुलाकात के बाद पत्रकारों से कहा, ‘सरकार बनाने की जिम्मेदारी हमारी नहीं थी। जिनकी जिम्मेदारी थी वे तो भाग खड़े हुए लेकिन मुझे विश्वास है कि जल्द ही हम एक सरकार बना लेंगे।’
माना जा रहा है कि संजय राउत का ये तंज बीजेपी की ओर था जो चुनाव के नतीजों के बाद 105 सीट के साथ राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी। हालांकि, शिवसेना के 50-50 फॉर्मूले और ढाई साल सीएम पद की मांग ने बीजेपी की राहें रोक दी है।
इससे पहले शरद पवार भी दिल्ली में सोनिया गांधी से उनके घर जाकर मिले। हालांकि, पवार ने एक बार फिर सरकार के समीकरण को लेकर कोई पत्ता नहीं खोला। पवार ने सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद कहा कि उनकी सरकार बनाने को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई।
पवार ने हालांकि ये जरूर कहा कि उनकी सोनिया गांधी से चर्चा महाराष्ट्र के ताजा राजनीतिक स्थिति पर हुई। पवार ने कहा, ‘दोनों (कांग्रेस-राकांपा) दलों के कुछ नेता मिलेंगे और आगे चर्चा करेंगे। हमारी बैठक में सरकार गठन की कोई बात नहीं हुई, यह बैठक कांग्रेस और एनसीपी के बारे में चर्चा करने वाली थी।’
पवार ने ये भी कहा कि सोनिया के साथ मुलाकात के दौरान साझा न्यूनतम कार्यक्रम को लेकर भी बात नहीं की गई। पवार ने कहा कि वे स्वाभिमानी शेतकारी संगठन,समाजवादी पार्टी जैसे उन सभी पार्टियों के साथ चर्चा करना चाहते हैं जिन्होंने उनके साथ चुनाव लड़ा था। इस मुलाकात के बाद कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, ‘शरद पवार ने आज कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात की और महाराष्ट्र के राजनीतिक हालात के बारे में उन्हें अवगत कराया।’
उधर बीएमसी के महापौर चुनाव के लिए शिवसेना के नए बनने वाले साथी काँग्रेस ने अपने प्रत्याशी उतारने की घोषणा कर दी है कि वह शिवसेना को कोई वाकओवर नही देने जा रही है तो वहीँ बड़े क़दम उठाते हुए बीजेपी अपनी सहयोगी रही शिवसैनिकों के मुकाबिल महापौर पद के लिए प्रत्याशी नही खड़े करेंगी।
बिजेपी ने तर्क दिया कि वह आने वाले महानगरपालिका के चुनाव में पूरे बहुमत के साथ आते हुए महापौर बनाएगी।
फ़िलहाल बीजेपी के इस क़दम को शिवसेना के साथ सम्बन्ध को संभालने व सूबे में सरकार गठन के तऱफ सधे कदम के तौर पर देखा जा रहा है।मालूम हो कि देश की सबसे अमीर महानगरपालिका जिसका प्रतिवर्ष बजट 30 हज़ार करोड़ से भी ऊपर का है उसपर शिवसेना कई दशक से बीजेपी के सहयोग से ही अपनी हुकूमत करती आ रही है।