★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{एनसीपी भी बहुमत के नम्बर दे पाने में रही असफ़ल वक़्त मांगने पर गवर्नर ने केंद्र से कर दी राष्ट्रपति शासन की सिफ़ारिश}
[पवार के साथ पटेल,खड़गे व वेणुगोपाल ने प्रेस कान्फ्रेंस कर राष्ट्रपति शासन लगाने को बताया गलत तो शिवसेना और वक्त न मिलने के मुद्दे को लेकर पहुँची है सुप्रीम कोर्ट]
(फडणवीस के द्वारा महाराष्ट्र में जल्द स्थिर सरकार देने के ट्वीट से एक बार फ़िर बीजेपी आती दिख रही पॉवर गेम में तो नारायण राणे ने कहा बहुमत की सरकार बनाएगी बीजेपी)
♂÷महाराष्ट्र में कौन बनेगा सीएम व सत्ता में साझेदारी का फ़ैसला आज दिनभर भी नही हो सका और राज्यपाल के द्वारा एनसीपी को सरकार बनाने के आमंत्रण के बाद एनसीपी नेताओं द्वारा और वक़्त मांगने के बाद दोपहर बाद गवर्नर ने केंद्र से राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश इस बिना पर भेजी की कोई भी दल सरकार बनाने लायक नम्बर नही दे पाया है।जिसपर पर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है तो उधर शिवसेना ने सरकार बनाने के लिए राज्यपाल द्वारा और वक़्त न देने के मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट जा पहुँची है।
उधर कई दिनों से पर्दे के पीछे रहे कार्यवाहक मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने ट्वीट के जरिये ये कहकर महाराष्ट्र की राजनीति में सरगर्मी ला दी है कि राज्य में जल्द स्थिर सरकार बनेगी।वहीँ पूर्व मुख्यमंत्री बीजेपी नेता नारायण राणे ने भी दावा किया कि बहुमत के साथ भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनेगी।
मालूम हो कि बीजेपी शिवसेना गठबंधन को बहुमत होने के बाद भी शिवसेना के द्वारा आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने की मांग पर बीजेपी के द्वारा इनकार करने पर 30 साल पुराने गठबंधन को शिवसेना ने तोड़ते हुए केंद्र में अपने मन्त्री अरविंद सावंत के इस्तीफ़ा दिलवाते हुए महाराष्ट्र में गठबंधन समाप्त कर लिया है।
शिवसेना एनसीपी व काँग्रेस के समर्थन के बूते अपना मुख्यमंत्री बनवाने के लिए दोनो पार्टियों के दरवाज़े खटखटाने के साथ ही राज्यपाल से मिले सरकार बनाने के न्यौते के बाद तय समयसीमा के अनुसार एनसीपी कांग्रेस के समर्थन पत्र राज्यपाल को देने में असमर्थ रही।राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी से मिलकर शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने सरकार बनाने के लिए और वक्त मांगा जिसपर गवर्नर ने इनकार कर सोमवार की रात को ही एनसीपी विधायक दल नेता अजीत पवार को भी सरकार गठन का न्यौता देते हुए मंगलवार की रात 8.30 बजे तक का वक़्त दिया था।
सोमवार से लेकर आज मंगलवार तक मुम्बई दिल्ली में एनसीपी,कांग्रेस की कई बैठक होने के बाद भी ये साफ़ नही हो पाया कि नयी सरकार का मुख्यमंत्री कौन होगा,एनसीपी सरकार में शामिल होगी तो काँग्रेस भी कैबिनेट में होगी कि बाहर से रहकर समर्थन देगी और तो और एनसीपी कांग्रेस ने तो शिवसेना को उकसा कर बीजेपी से गठबंधन तोड़वा दिया किन्तु समर्थन पत्र शिवसेना को नही दिया जिसे की आदित्य ठाकरे गवर्नर को देकर सरकार बनाने का मजबूत दावा कर लिए होते। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को सरकार बनाने के लिए न्योता दिया गया था लेकिन उन्होंने भी और वक़्त की मांग राज्यपाल से की जिसपर राज्यपाल ने इनकार कर दिया।राज्यपाल की भेजी गई रिपोर्ट पर मोदी कैबिनेट की अनुशंसा के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्य में राष्ट्रपति शासन को मंजूरी दे दी।
राज्यपाल ने बीजेपी और शिवसेना के बाद एनसीपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था।एनसीपी के पास अपना दावा पेश करने का रात 8.30 तक वक्त था।इसी वजह से पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खड़गे और केसी वेणुगोपाल पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का संदेश लेकर एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मिलने मुम्बई आये।
बातचीत के दौरान कांग्रेस ने सरकार गठन के लिए अपनी कुछ शर्तें एनसीपी के समक्ष रखी हैं। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस का न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर जोर है लेकिन एनसीपी चाहती है कि कांग्रेस सरकार का हिस्सा हो ताकि राज्य को मजबूत और स्थायी सरकार दिया जा सके।
इसके साथ ही एनसीपी चाहती है कि ढाई साल महाराष्ट्र की सत्ता शिवसेना का मुख्यमंत्री चलाए और बाकी के ढाई साल एनसीपी का,इसके साथ ही एनसीपी कांग्रेस को पांच साल डिप्टी सीएम का पद भी देना चाहती है।
आपको बता दें कि महाराष्ट्र में 24 अक्टूबर को मतगणना हुई थी, चुनावों में बीजेपी-शिवसेना की महागठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिला था, बहुमत मिलने के बाद भी सरकार गठन में उनकी आपस में ठन गई और दोनों ही दलों के रास्ते अलग हो गए।इसके बाद राज्य में किसी भी दल के पास बहुमत न होने की वजह से मतगणना के बाद से अब तक 19 दिन बीत चुके हैं और राज्य में सरकार गठन नहीं हो पाया है।
चुनावों के बाद राज्य में बीजेपी को कुल 105 सीटों पर जीत मिली थी और वह सबसे बड़े दल के रूप में सामने आई थी और 56 सीटों पर जीत के साथ शिवसेना राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी यानी बीजेपी-शिवसेना महागठबंधन के पास कुल 161 सीटें थी जो बहुमत के आंकड़े से काफी ज्यादा थीं इसके बाद 54 सीटों के साथ एनसीपी जबकि चौथे नंबर कांग्रेस थी जिसे 44 सीटों पर जीत मिली थी।
कुल मिलाकर राष्ट्रपति शासन लगते ही जहाँ एनसीपी काँग्रेस शिवसेना केंद्र सरकार पर निशाना साध राज्यपाल को केंद्र का एजेंट बता रही है तो वही बीजेपी,फडणवीस व राणे के बयान ये बता रहे हैं कि बीजेपी आसानी से हार मानने को तैयार नही है व वह भी आने वाले वक़्त में अपनी सरकार बनाने के लिए हर क़दम उठायेगी जो कि मुख्यमंत्री की कुर्सी तक ले जाता हो।