★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{पाकिस्तान के आतंकरोधी कोर्ट के जज एजाज अहमद बतर ने लश्कर-ए-तैयबा सरगना जकी-उर-रहमान को 3 लाख रूपये जुर्माने का साथ15 साल सश्रम कारावास की सज़ा सुनाई}
[यूएन से प्रतिबंधित आतंकवादी लखवी पर डिस्पेंसरी के नाम पर आतंकवाद फैलाने के लिए रक़म जुटाने का भी है आरोप,लखवी को शुक्रवार को लाहौर एटीसी के सामने किया गया पेश]
(वर्ष 2008 में मुम्बई पर हुए आतंकवादी हमले में 166 नागरिकों की हो गयी थी मौत और लश्कर के 9 आतंकियों को स्पेशल कमाण्डो ने मार गिराया था पुलिस फ़ोर्स ने जिंदा आतंकी अजमल कसाब को पकड़ा था)
♂÷मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर जकी-उर-रहमान लखवी को आतंकवाद के वित्त पोवषण के मामले में शुक्रवार को पाकिस्तान की एक आतंकरोधी अदालत ने 15 साल जेल की सजा सुनाई।संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकी लखवी (61) को पंजाब प्रांत के आतंकवादरोधी विभाग (सीटीडी) ने शनिवार को गिरफ्तार किया था। मुंबई हमला मामले में 2015 से वह जमानत पर था।
सुनवाई के बाद अदालत के एक अधिकारी ने बताया, लाहौर की आतंकरोधी अदालत (एटीसी) ने सीटीडी द्वारा दर्ज आतंकवाद के वित्त पोषण के मामले में लखवी को आतंकरोधी कानून 1997 की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराते हुए 15 साल जेल की सजा सुनाई।
न्यायाधीश एजाज अहमद बतर ने लखवी को तीन अपराधों के लिए कुल 15 साल सश्रम कारावास और तीन लाख पाकिस्तानी रुपए का जुर्माना लगाया। जुर्माना नहीं चुकाने पर उसे प्रत्येक अपराध के लिए छह-छह महीने की और सजा काटनी होगी। सजा काटने के लिए उसे जेल भेज दिया गया है।
अधिकारी ने बताया कि लखवी ने अदालत के सामने दलील दी कि उसे इस मामले में फर्जी तरीके से फंसाया गया।लश्कर-ए-तैयबा कमांडर पर डिस्पेंसरी के नाम पर आतंकवाद के वित्त पोषण के लिए रकम जुटाने का आरोप लगा था।
सीटीडी ने कहा, लखवी तथा अन्य आरोपियों ने अपनी डिस्पेंसरी से धन जुटाया और उसका इस्तेमाल आतंकवाद के वित्त पोषण के लिए किया। उसने निजी खर्च के लिए भी इस रकम का इस्तेमाल किया।
लखवी को शुक्रवार को लाहौर एटीसी के सामने पेश किया गया और उसी दिन उसे आतंकवाद के वित्त पोषण मामले में दोषी ठहराया गया। कुछ समय पहले उसके खिलाफ यह मामला दर्ज हुआ था।
अदालत को बताया कि पंजाब के ओकरा जिले में रेनाल खुर्द का निवासी लखवी इस मामले में गिरफ्तारी के पहले इस्लामाबाद में रह रहा था। लश्कर-ए-तैयबा और अलकायदा के साथ जुड़ाव तथा दोनों आतंकी संगठनों के साथ मिलकर वित्त पोषण, साजिश रचने, आतंकी कृत्य के लिए लखवी को दिसंबर 2008 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित किया गया था।
घोषित आतंकवादियों और संगठनों की संपत्तियां जब्त कर ली जाती हैं। वहीं सभी राज्यों को ऐसे व्यक्ति और संगठन की संपत्ति जब्त करने, आर्थिक संसाधन पर रोक लगाने की कार्रवाई करनी होती है और यात्रा पर प्रतिबंध लगाया जाता है।
पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अलकायदा प्रतिबंध कमेटी ने लखवी को उसके निजी खर्च के लिए हर महीने 1.5 लाख पाकिस्तानी रुपए भुगतान करने की इजाजत दी थी। वर्ष 2008 में मुंबई हमले के लिए जमात उद दावा (जेयूडी) प्रमुख हाफिज सईद के नेतृत्व वाला लश्कर-ए-तैयबा जिम्मेदार था। हमले में छह अमेरिकी समेत 166 लोगों की मौत हो गई थी।
अटैक के दौरान स्पेशल कमाण्डो व मुम्बई पुलिस ने नौ आतंकियों को मार गिराया था जबकि हवलदार तुकाराम ओम्बले ने अज़मल कसाब को जिंदा आतंकी के रूप के अन्य पुलिसकर्मियों के साथ पकड़ने में सफ़ल रहे थे।हालांकि तुकाराम ओम्बले अजमल की गोली से शहीद हो गए थे।
अजमल कसाब को बाद में भारत की सुप्रीम कोर्ट ने फाँसी की सज़ा सुनाई थी।
आतंकवाद के वित्त पोषण पर नजर रखने वाली वैश्विक संस्था वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) ने भी पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा दिया है। पेरिस मुख्यालय वाले एफएटीएफ ने जून 2018 में पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में डाल दिया था और 2019 के अंत तक धनशोधन तथा आतंकवाद के वित्त पोषण के खिलाफ ठोस कदम उठाने को कहा था। हालांकि कोविड-19 महामारी के कारण समय सीमा आगे बढ़ा दी गई थी।
एटीसी लाहौर ने आतंकवाद केब वित्त पोषण के मामले में सईद को कुल मिलाकर 36 साल की सजा सुनाई थी। जुलाई 2019 से वह लाहौर की कोट लखपत जेल में है।