★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{15 निर्दलीय विधायकों के साथ होने से 2014 की तरह बीजेपी के पास है 122 एमएलए की सँख्या कहा प्रवक्ता श्वेता शालिनी ने}
[शिवसेना के द्वारा 50-50 व सीएम पद की मांग पर शालिनी ने कहा कि लोस चुनाव के दौरान जिस 50-50 फार्मूले की बात ठाकरे कह रहे हैं उसमें बहुत सी बातें हो सकती है]
(चुनावी परिणाम के बाद से ही शिवसेना आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री व सरकार में 50-50 की हिस्सेदारी को लेकर बीजेपी से कर रही हैं दो-दो हाथ)

♂÷महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ सरकार बनाने में पेंच फंसने पर भी बीजेपी बैकफुट पर आने को तैयार नहीं है सभी निर्दलीय विधायकों को अपने साथ खड़ा कर बीजेपी शिवसेना पर दबाव बनाने में जुटी है।ठाकरे घराने से किसी सदस्य के तौर पर पहली बार चुनाव लड़कर आदित्य ठाकरे के जीतने के बाद मुख्यमंत्री पद पर शिवसेना की निगाह गड़ने पर बीजेपी ने साफ कर दिया है कि यह पद उसे नहीं मिलने वाला।
बीजेपी का कहना है कि उसे 15 निर्दलीयों का भी समर्थन मिला है. छोटे दलों के कुछ और भी विधायक संपर्क में हैं।इस प्रकार वह 2014 की तरह ही संख्याबल के आधार पर मजबूत स्थिति में है। कुल मिलाकर बीजेपी, शिवसेना को संदेश देने की कोशिश में है कि वह इस चुनाव में किसी तरह से कमजोर नहीं हुई है।
बीजेपी की महाराष्ट्र इकाई की प्रवक्ता श्वेता शालिनी ने सोमवार को कहा, “बीजेपी के साथ 15 निर्दलीय विधायक खड़े हैं ये निर्दलीय बीजेपी के ही नेता रहे हैं, जो गठबंधन आदि वजहों से टिकट न मिलने के कारण निर्दल लड़कर जीते हैं,2014 की तरह ही पार्टी के पास अब भी 122 विधायकों का समर्थन है।
बता दें कि मीरा भायंदर सीट से बीजेपी का टिकट न मिलने पर निर्दल लड़कर जीतीं गीता जैन, बरसी सीट से राजेंद्र राउत, अमरावती जिले की बडनेरा सीट से जीतने वाले रवि राणा ने भी बीजेपी को समर्थन देने की घोषणा कर दी है।बीजेपी का कहना है कि इन तीनों की तरह अन्य निर्दल विधायकों ने खुद बीजेपी से संपर्क कर समर्थन देने की बात कही है क्योंकि उनका नाता बीजेपी से ही रहा है नतीजे आने के दिन 24 अक्टूबर को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी 15 निर्दलीयों के संपर्क में होने की बात कही थी।
शिवसेना के मुख्यमंत्री पद को लेकर अड़ जाने के सवाल पर बीजेपी प्रवक्ता श्वेता शालिनी ने कहा, “मुख्यमंत्री बीजेपी का था, है और आगे भी रहेगा, मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी का रुख साफ है शिवसेना भी इसे जानती है।
दरअसल, एनडीए को बहुमत मिलने के बाद भी सरकार बनाने का पेंच तब फंस गया, जब 24 अक्टूबर को चुनाव नतीजे आने के दिन प्रेस कांफ्रेंस कर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने लोकसभा चुनाव के दौरान तय हुए 50-50 फॉर्मूले की बात उठा दी थी। उन्होंने संकेत दिए कि शिवसेना ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद चाहती है सीएम कौन होगा? प्रेस कांफ्रेंस में इस सवाल पर उन्होंने कहा था, “यह बेहद अहम सवाल है।
चुनाव से पूर्व शिवसेना के मुखपत्र सामना में छपे उद्धव ठाकरे ने अपने इंटरव्यू में भी कहा था कि वह शिवसैनिक को मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते हैं।जिसके बाद से बीजेपी-शिवसेना में सरकार बनाने को लेकर अबतक पेंच फंसा हुआ है,सोमवार को दोनों दलों के नेताओं ने राज्यपाल से अलग-अलग भेंट भी की। इससे माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री और सरकार में पदों को लेकर बातचीत सुलझ नहीं सकी है।
बीजेपी प्रवक्ता श्वेता शालिनी ने कहा, “लोकसभा चुनाव के दौरान जिस 50-50 फॉर्मूले की बात शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे कह रहे हैं, उसमें बहुत-सी बातें हो सकतीं हैं, चुनाव के दौरान 50-50 प्रतिशत सीटों पर लड़ने की बात भी तो हो सकती है, इसका मतलब ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने से नहीं लगाया।
उधर आज दिन में शिवसेना नेता रावते तो उनके बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी राजभवन जाकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात कर चुके हैं।हालांकि दोनों नेताओ ने इस मुलाकात को दीपावली के पश्चात सदिच्छा भेंट बताई है।
कुल मिलाकर महाराष्ट्र में शिवसेना के अड़ने के चलते सरकार गठन में रोज नए नए घटनाक्रम सामने आ रहे हैं तो वहीं एनसीपी व काँग्रेस भी अपने सधे बयानों से शिवसेना को कभी हा कभी ना वाली संकेत भी देते नज़र आ रहे हैं।
आगामी 30 अक्टूबर को गृहमंत्री व बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह मुम्बई आ रहे हैं, इसी दिन बीजेपी विधायक दल का नेता चुना जायेगा, मुख्यमंत्री पद पर देवेंद्र फडणवीस की ताजपोशी तय है और अमित शाह वर्तमान राजनैतिक हालात के मद्देनजर शिवसेना प्रमुख से मुलाकात भी कर सकते हैं।हालांकि पूर्व में भी सरकार गठन के दौरान शिवसेना के मोल भाव से आजिज आकर बीजेपी ने अपरोक्ष रूप से एनसीपी की मदद लेकर फड़नवीस सरकार बचाई है।