★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★

{CAA क़ानून को वापस लेने की माँग को लेकर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में विपक्षी दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से की मुलाकात}
[नेताओं में अहमद पटेल,पी चिदम्बरम, एके एंटनी,ग़ुलाम नबी आज़ाद, टीआर बालू,रामगोपाल यादव,सीताराम येचुरी,डेरेक ओ ब्रायन थे शामिल]

♂÷आज मंगलवार को प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं ने नागरिकता संशोधन कानून पर देश भर में मचे बवाल को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। विपक्षी नेताओं में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, एके एंटनी, पी चिदंबरम, टीआर बालू, सपा नेता रामगोपाल यादव,वामपंथी नेता सीताराम येचुरी,तृणमूल नेता डेरेक ओ ब्रायन मौजूद रहे। राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद सोनिया गांधी ने कहा कि यह सरकार जनता की आवाज दबा रही है।पुलिस का यूनिवर्सिटी हॉस्टल में घुसकर छात्रों पर कार्रवाई करना गलत था,सरकार संविधान का उल्लंघन कर रही है।
काँग्रेस नेता सोनिया गांधी ने कहा कि दिल्ली और नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में हालात तनावपूर्ण हैं इसलिए हमने राष्ट्रपति से मामले में दखल देने को कहा है।उन्होंने कहा कि प्रदर्शन करना सबका लोकतांत्रिक हक है।
तृणमूल कांग्रेस नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि हमने राष्ट्रपति से इस कानून को वापस लेने की अपील की है।ये कानून इस तरह से लागू नहीं किया जा सकता इसका सीधा असर सिर्फ गरीब लोगों पर ही होगा. हमारी पार्टी जामिया के छात्रों के साथ खड़ी है।
वामपंथी नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि राष्ट्रपति से हमने इस काले कानून को वापस लेने की अपील की है।राष्ट्रपति संविधान के प्रथम रक्षक हैं और उन्हें संविधान विरोधी कानून को रद्द करना चाहिए।
समाजवादी पार्टी की तरफ से रामगोपाल यादव ने कहा कि हम पहले ही संसद में इस कानून को लेकर आशंका जाहिर कर चुके थे और अब देश के हर कोने में जो हो रहा है वो हमारी आशंका को सच साबित कर रहा है।
नॉर्थ-ईस्ट जल रहा है और पाकिस्तान समेत कई पड़ोसी देश यही चाहते हैं कि भारत में आग लगी रहे, सरकार को इस स्थिति को समझना होगा और इस कानून को वापस लेना होगा।
राज्यसभा में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा आज देश की कोई ऐसी यूनिवर्सिटी, आईआईटी-आईआईएम नहीं है जहां इस कानून का विरोध न हो रहा हो।सरकार ने एडवाइजरी जारी कर इन प्रदर्शनों को कवर न करने की नसीहत दी है हालांकि फिर भी दुनिया भर की मीडिया में इन प्रदर्शनों की खबर छप रही हैं, करीब 15 राजनीतिक पार्टियां इस कानून के विरोध में हैं और सरकार को इसे वापस लेना ही होगा।