★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{एनसीपी प्रमुख पवार ने कहा कि कृषि क़ानून को लेकर चर्चा आज से नही बल्कि वर्ष 2003 से जारी है लेकिन चुनाव हुए,अलग सरकार आयी तो ऐसे में हमारे मुद्दे पीछे रह गए}
[शरद पवार ने कहा कई दिनों से पँजाब हरियाणा के किसानों ने शांतिपूर्वक आंदोलन किया है संयम दिखाया है लेकिन बैठक के बाद सरकार को भी कुछ स्टैण्ड लेने की जरूरत थी]
♂÷नए कृषि कानून के विरोध में गणतंत्र दिवस पर आंदोलनकारी किसान दिल्ली में कूच कर चुके हैं. इस दौरान किसानों की ट्रैक्टर रैली हिंसक हो गई है। किसान और पुलिस के बीच झड़प भी हुई,किसानों ने लाल किले में कूचकर अपना झंडा फहरा दिया। इस बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने किसानों की हिंसा को लेकर मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला है।
एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा कि कृषि कानून को लेकर को चर्चा ज़ारी है, वह आज की नहीं बल्कि 2003 से चल रही है. लेकिन चुनाव हुए, अलग सरकार आईं तो ऐसे में हमारे मुद्दे पीछे रह गए।
एनसीपी नेता ने कहा कि हमारा कहना इतना ही है कि इस पर सिलेक्टिव कमेटी बैठनी चाहिए, लेकिन अगर सिलेक्ट कमेटी के पास यह जाता तो इतना बडा मुद्दा न होता लेकिन, सरकार ने अपने मन मुताबिक यह सब किया और किसानों ने यह कदम उठाया।
शरद पवार ने आगे कहा कि कई दिनों से पंजाब-हरियाणा के किसानों ने शांतिपूर्वक आंदोलन किया है, संयम दिखाया, लेकिन संयम के साथ किसान के साथ बैठक के बाद सरकार को भी कुछ स्टैंड लेने की जरूरत थी, चर्चा हुई लेकिन हल नहीं निकला। संयम खत्म हुआ, लेकिन किसानों ने जो ट्रैक्टर का इस्तेमाल किया, उस वक्त प्रशासन ने भी अपनी जिम्मेदारी निभानी थी।
उन्होंने आगे कहा कि देश के अन्नदाता की जरूरत को समझना और उनके मांग को मानना सरकार का काम था,50-60 दिनों का यह आंदोलन और उनका संयम ध्यान में रखना था।
पवार ने कहा जो भी हुआ वो ठीक नहीं हुआ, लेकिन किसान आखिर गुस्से में क्यों हैं? यह सरकार को समझना चाहिए था. अस्वस्थ पंजाब हमने पहले भी देखा है। सोमवार को मुंबई में भी किसानो ने आंदोलन किया था, लेकिन इन सबमें राज्य सरकार को भी अपनी जिम्मेदारी लेनी चाहिए, जो मुंबई में ली गई, मुंबई में जिस तरह का संयम दिखा वैसे दिल्ली में भी केंद्र सरकार ने दिखाना था।
शरद पवार ने कहा कि ये जो हो रहा है वह एक दिन की बात नहीं है, पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी यूपी एवं राजस्थान के किसान इतने दिनों से बैठे हैं, बड़े पैमाने में बैठे हैं, भारत सरकार की जिम्मदारी थी कि इसपर बातचीत हो, इतने राउंड के बाद भी कोई हल नहीं निकला।
उन्हें कहा इसकी विफलता का श्रेय सरकार को जाता है, लाल किला देश का प्रतीक है जो हुआ वह गलत हुआ किंतु इसके पीछे के कारण भी जानने की आवश्यकता है।
एनसीपी नेता ने कहा कि सरकार को इस ट्रैक्टर की जानकारी थी. बावजूद इसके सरकार ने अनुमति दी। मुझे अच्छी तरह पता नहीं है पर जो जानकारी मिली उसके अनुसार वे कनफ्यूजन में रास्ता भ्टक गए थे, किंतु उनके साथ जो व्यवहार किया वो गलत था। उन्होंने जो किया उसका समर्थन नहीं पर ये क्यों हुआ उसे नजरंदाज नहीं किया जा सकता, मैं जब दिल्ली जाऊंगा तो बातचीत करने का प्रयास करूंगा।
