★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{स्व.बसन्त दादा पाटिल की पत्नी ने कहा 1978 में शरद पवार ने जो किया था,वह भी सत्ता हथियाने के लिए पीठ में खंज़र मारने जैसा था,जिस तरह का बर्ताव बसन्त दादा के साथ किया था,अजित ने बीजेपी के साथ जाकर वही किया}
[41 साल पहले फ़रवरी 1978 में शरद पवार ने मुख्यमंत्री बनने के लिए कांग्रेसी दिग्गज बसन्त दादा पाटिल को दिया था धोखा]

♂÷कहते हैं कि किया गया कर्म कभी न ब कभी सामने आता ही है चाहे व भलाई का हो या बुराई का।आज एनसीपी चीफ शरद पवार के सामने भतीजे अजित पवार की बगावत को 41 साल पहले के उस घटना से जोड़ा जा रहा है, जब शरद पवार ने कांग्रेस के नेता वसंत दादा पाटील को झटका देते हुए पार्टी छोड़ दी थी। यह 1978 की बात है, जब वह जनता पार्टी के समर्थन से महज 37 साल की उम्र में सूबे के सीएम बन गए और कांग्रेस देखती रह गई। अब दिवंगत नेता वसंत दादा पाटील की पत्नी शालिनी पाटील ने भी शरद पवार निशाना साधते हुए कहा है कि उनके साथ ‘जैसे को तैसा’ जैसी बात हुई है।
वसंत दादा पाटील की पत्नी ने मौजूदा घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘शरद पवार ने जिस तरह का बर्ताव वसंत राव के साथ किया था, उनके साथ वैसा बर्ताव होना ही चाहिए था, जो अजित पवार ने बीजेपी के साथ जाकर किया है।’ बता दें कि अजित पवार एनसीपी के मुखिया शरद पवार के भतीजे हैं, जिन्होंने कांग्रेस से अलग होकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गठन किया था।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अजित पवार का यह एनसीपी को यह झटका देना परिवार में विरासत की जंग का उभरना है, जो लंबे समय से चली आ रही है। शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले और अजित पवार को राजनीतिक तौर पर प्रतिद्वंद्वी माना जाता रहा है। शालिनी पाटील ने कहा कि शरद पवार ने 1978 में जो किया था, वह भी सत्ता हथियाने के लिए पीठ में खंजर मारने जैसा था। उन्होंने कहा कि गुप्त रूप से बगावत करने की बजाय वह वसंत दादा पाटील से सीधे तौर पर भी अपनी बात कह सकते थे।
गौरतलब है कि 1978 में फरवरी में महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव हुए थे। तब कांग्रेस (एस) को 69 सीटें मिली थीं और कांग्रेस (आई) को 65 सीटें हासिल हुई थीं। जनता पार्टी ने 99 सीटों पर कब्जा जमाया था। तीनों ही दल अपने दम पर सरकार गठन की स्थिति में नहीं थी। इस पर कांग्रेस के ही दोनों धड़ों ने साथ आने का फैसला लिया था। लेकिन पवार ने पलटी मारते हुए 38 कांग्रेस विधायकों को साथ लेकर जनता पार्टी के साथ सरकार बना ली। उनकी यह सरकार दो साल चली थी।