★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े ने सुनवाई के दौरान दिखाए सख़्त तेवर,जिस तरह से सरकार मामलें को डील कर रही है हम उससे ख़ुश नहीं है, क़ानून बनाने से पहले किससे चर्चा किया}
[इसके पहले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि बातचीत सकारात्मक माहौल में चल रही उम्मीद है कि समाधान निकल आएगा।]
(47 दिनों से आंदोलनरत किसानों ने घोषणा की है कि वह 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर परेड निकालेंगे, पूर्व में निकाल चुके हैं ट्रैक्टर रैली)
♂÷नए कृषि कानूनों को लेकर 47 दिनों से सड़क पर उतरे किसानों के लिए आज उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी उनकी उम्मीद को परवान चढ़ा सकती है तो वहीं अब तक अपने रुख़ पर क़ायम केन्द्र सरकार आगामी दिनों में क्या रणनीति बनाकर किसान आंदोलन से निपटती है ये देखना दिलचस्प रहेगा।
आज सोमवार को केंद्र सरकार द्वारा लाये गए नए कृषि कानूनों व किसानों के प्रदर्शन से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।
जिस पर मुख्य न्यायाधीश ने केंद्र सरकार पर सख़्त टिप्पणी करते हुए नाराज़गी जताई कि आप बताइए कि क़ानून पर रोक लगायेंगे की नही,नही तो हम लगा देंगे।
मालूम हो कि कि किसानों का प्रदर्शन 47 दिनों से जारी है और किसान लगातार कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं इस बीच ट्रैक्टर रैली निकाल चुके किसान संगठनों ने दावा किया कि वह आगामी गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को ट्रैक्टरों का परेड निकालेंगे।
इस बीच सरकार और किसान के बीच 8 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन कृषि कानूनों को लेकर कोई समाधान नहीं निकल पाया है क्योंकि केंद्र सरकार के प्रतिनिधि किसानों से तीनों कृषि कानूनों में किस तरह बदलाव किया जा सके उसका विकल्प माँग रहें हैं तो वहीं किसानों का कहना है कि कृषि क़ानून वापसी से कम कुछ भी मन्जूर नही।
इसके पूर्व भी सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की तरफ़ से पेश अटॉर्नी जनरल ने सरकार का पक्ष रखते हुए मोहलत मांगी थी कि किसान नेताओं से बातचीत चल रही है उम्मीद है जल्द ही समाधान निकल आयेगा।
आज सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने नाक नाख़ुशी ज़ाहिर की और कहा कि जिस तरह से सरकार इस मामले को हैंडल कर रही है, हम उससे खुश नहीं हैं।हमें पता नहीं कि सरकार कैसे मसले को डील कर रही? कानून बनाने से पहले किससे चर्चा किया? कई बार से कह रहे हैं कि बात हो रही है,क्या बात हो रही है?
कुल मिलाकर आज सुप्रीम कोर्ट की सख़्त टिप्पणी से केंद्र सरकार के पास क्या नीति होंगी नए कृषि कानूनों को लेकर और साथ ही किसानों के आंदोलन के बाबत।
दोनों तरफ़ से खींची तलवारें अपनी मार किस तरह से एक दूसरे के प्रति वार कर विजयी होंगी ये देखना फ़िलहाल भविष्य के गर्भ में है।
