★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
[बीएसए,वरिष्ठ कोषाधिकारी व श्रमायुक्त की भी भूमिका संदिग्ध,क्लीनचिट देने वाले इन अधिकारियों के भ्र्ष्टाचार में सने हैं हाथ]
{एसडीएम प्रिया सिंह ने भ्र्ष्ट बीएसए को बचाने के एवज में डीएम ऑफिस में कार्यरत एक बाबू की मध्यस्थता में लिए थे 10 लाख}
(भ्र्ष्टाचार के आरोप में सस्पेंड बीएसए के ख़िलाफ़ केस है दर्ज़,क्लीनचिट देने वाले अधिकारियों के खिलाफ जाँच की माँग की है चमार महासभा के विजय गौतम ने)
♂÷सुलतानपुर में भ्र्ष्टाचार के आरोपों एवं अनिमितताओं से घिरे निलंबित बेसिक शिक्षा अधिकारी कौस्तुभ कुमार सिंह के खिलाफ हुई जांच में दोषी पाए जाने पर शासन ने उन्हें सस्पेंड कर दिया था और सहायक शिक्षा निदेशक रवींद्र कुमार ने कोतवाली नगर में एफआईआर दर्ज कराई थी । अभी भी निलंबित बेसिक शिक्षा अधिकारी कौस्तुभ कुमार सिंह के खिलाफ जांच जारी है , यहाँ तक कि बेसिक शिक्षा महकमे में बड़े स्तर पर हुए भ्र्ष्टाचार की आशंका को देखते हुए मानिटरिंग अधिकारियों ने कार्यालय की कई आलमारियों को सील कर कई फाइलों को अपने साथ ले गए ।
गौरतलब हो कि बेसिक शिक्षा अधिकारी कौस्तुभ कुमार सिंह के भ्र्ष्टाचार और उनके द्वारा किये गए नियम विरुद्ध कार्यो को सपोर्ट देकर जिले के कई अधिकारियों ने भी लाखों रुपए वसूल किये ,यानी उनके विरुद्ध चल रही जांच में उन्हें क्लीनचिट देने के एवज में लाखों रुपए वसूल कर उन्हें चिंतामुक्त कर दिया था । इन अधिकारियों में सबसे पहले नाम आता है बल्दीराय तहसील की एसडीएम प्रिया सिंह , उपायुक्त श्रम रोजगार , पूर्व जिला विद्यालय निरीक्षक गिरीश कुमार सिंह और वरिष्ठ कोषाधिकारी । उल्लेखनीय बात यह है कि निलंबित बीएसए कौस्तुभ कुमार सिंह के भ्र्ष्टाचार के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच की मांग को लेकर चमार महासभा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार गौतम ने प्रदेश के मुख्यमंत्री समेत शासन के अधिकारियों को पत्र भेजा था । जिस पर उपर्युक्त अधिकारियों को जांच अधिकारी बनाया गया था । निलंबित बीएसए के खिलाफ कंकरीट साक्ष्य होने के बाद भी इन जांच अधिकारियों ने भ्र्ष्टाचार की गंगा में हाथ ही नही धोया ,बल्कि इन अधिकारियों ने भ्र्ष्टाचार की गंगा में डुबकी लगाई । सूत्रों पर भरोसा करें तो एसडीएम बल्दीराय प्रिया सिंह ने बीएसए को बचाने की एवज में जिलाधिकारी कार्यालय में नियुक्त एक बाबू की मध्यस्थता में 10 लाख रुपए लिए वहीं जिला विद्यालय निरीक्षक गिरीश कुमार सिंह को 3 लाख , वरिष्ठ कोषाधिकारी को 2 लाख 50 हजार रुपए और श्रमायुक्त को 2 लाख रुपए मिले थे । सूत्रों द्वारा दी गई इस जानकारी को तब बल मिला ,जब शासन की जांच में बीएसए कौस्तुभ कुमार सिंह को दोषी ठहराया गया और उनके खिलाफ भ्र्ष्टाचार सहित कई अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया और उन्हें शासन ने निलंबित कर दिया । यहां पर सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर भ्र्ष्टाचार में आकंठ डूबे और बीएसए दफ्तर को अपनी “फर्जी फिकेशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ” बनाकर नियम विरुद्ध काम करने वाले निलंबित बीएसए के खिलाफ भ्र्ष्टाचार के कंकरीट साक्ष्य होने के बाद भी इन जांच अधिकारियों को क्यों दिखाई नहीं दिया । चमार महासभा के प्रदेश अध्यक्ष विजय गौतम ने एसडीएम बल्दीराय प्रिया सिंह की संदिग्ध भूमिका और बीएसए के भ्र्ष्टाचार में बराबर के साझेदार रहे प्रिया सिंह के अलावा अन्य अधिकारियों के खिलाफ जांच कराकर उनके खिलाफ कार्यवाही करने की मांग मुख्यमंत्री सहित अन्य अधिकारियों से की है ।