L★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{किसान संगठनों ने 6 फरवरी को यूपी, उत्तराखंड व दिल्ली को छोड़कर पूरे देश मे किया था चक्का जाम करने का एलान,पँजाब,राजस्थान हरियाणा में दिखा चक्का जाम का असर}
[बीकेयू नेता टिकैत ने गाज़ीपुर सीमा पर किसानों को सम्बोधित करते हुए ललकारा कि जब क़ानून वापसी नही तब तक घर वापसी नही,सरकार जब चाहे तब बात कर सकती है]

(NGT के नए वाहन नीति पर प्रहार करते हुए टिकैत ने धमकाया कि दिल्ली की सड़कों पर चार लाख ट्रैक्टर चले ,उस दौरान NGT का ऑफिस नही मिला,जो ट्रैक्टर हमारे खेत मे चलता है वह NGT के ऑफिस पर भी चलेगा)
[किसान आंदोलन को विपक्षी काँग्रेस,सपा,बसपा,शिवसेना, एनसीपी,टीएमसी,डीएमके समेत कई दल दे रहे हैं समर्थन तो कृषिमंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने आज फ़िर कहा कि कृषि बिल नहीं होगा वापस]
♂÷नए कृषि बिल वापसी की मांग को लेकर पिछले लगभग ढाई महीने से विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने कानून के विरोध में देशभर में शनिवार को चक्का जाम का आह्वान किया था, जिसका असर सिर्फ़ पँजाब,राजस्थान व हरियाणा में ही दिखा बाकी देशभर में चक्का जाम प्रदर्शन फुस्स पटाखा साबित हुआ।
मालूम हो कि किसान आंदोलन को काँग्रेस, सपा,बसपा,टीएमसी,शिवसेना, एनसीपी,कम्युनिस्ट पार्टी,डीएमके समेत कई विपक्षी दल अपना समर्थन दे रहे हैं तो वहीं काँग्रेस किसानों के जरिये मोदी सरकार से दो-दो हाथ करने में लगी हुई है।पिछले 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में ट्रैक्टर परेड को लेकर जबरन घुसकर लाल किले पर राष्ट्रीय झंडे के इतर दूसरा झंडा फहराने से लेकर खालिस्तान के समर्थन में नारेबाज़ी, व देश विरोधी हरकतों से बैकफ़ुट पर आए किसान नेताओं ने इस बार चक्का जाम आंदोलन, प्रदर्शन को शांतिपूर्ण ढंग से निपटाया जिससे सरकार ने भी चैन की सांस ली है।

दूसरी ओर आज शनिवार को चक्का जाम के दौरान किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने गाज़ीपुर बॉर्डर पर किसानों को संबोधित किया।
इस मौके पर टिकैत ने केंद्र सरकार को फ़िर ललकारते हुए कहा कि जब तक कानून वापसी नहीं,तब तक घर वापसी नहीं। दूसरा की हम 2 अक्टूबर तक ऐसे ही विरोध प्रदर्शन करेंगे, उसके बाद हम आगे की योजना बनाएंगे। कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन जारी है। दिन प्रतिदिन किसानों का प्रदर्शन लंबा खीचता जा रहा है। ऐसे में राकेश टिकैत द्वारा दिए गए बयान के कई मायने निकल रहे हैं।
राकेश टिकैत ने मंच से अन्य किसानों को साफ शब्दों में कह दिया है, “हम यहां से नहीं उठेंगे, जब तक कानून वापसी नहीं तब तक घर वापसी नहीं।हमारा टारगेट 2 अक्टूबर तक है हमारा, उसके बाद आगे की रणनीति बनाएंगे।”
हालांकि राकेश टिकैत इस बार वही कहते नजर आए है कि, “हम सरकार के साथ बातचीत करने को तैयार हैं। सरकार को जब ठीक लगे बात करले, हमारा मंच भी वही है और पंच भी वही है।”
राकेश टिकैत ने आगे एनजीटी पर निशाना साधते हुए कहा कि, “दिल्ली की सड़कों पर 4 लाख ट्रैक्टर चले, उस दौरान एनजीटी का ऑफिस नहीं मिला कि किधर था?” “हम दिखाना चाहते हैं कि जो ट्रैक्टर हमारे खेत में चलता है वह दिल्ली के एनजीटी के ऑफिस पर भी चलेगा। अब एनजीटी ने नहीं पूछा 10 साल पहले के ट्रैक्टर कौन से चल रहे थे।” “आखिर इनका प्लान क्या है ?10 साल पुराने ट्रैक्टर को बंद करो उद्योगपतियों को फाएदा दो।”
राकेश टिकैत ने चेताते हुए कहा कि, “10 साल पुराना ट्रैक्टर भी चलेगा, दिल्ली की सड़कों पर 20 लाख आदमी थे, अगला टारगेट हमारा 40 लाख ट्रैक्टरों का है।” गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा के बाद से दिल्ली की सीमाओं पर पुलिस ने भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर रखा है।
हालांकि टिकैत ने इस बात का भी जिक्र किया कि बॉर्डर पर पुलिस और जवानों का परिवार अपने बेटे की तस्वीर लेकर आंदोलन में बैठेगा। दरअसल संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर देशभर में आज चक्का जाम किया गया लेकिन पँजाब,राजस्थान में काँग्रेस की सरकार होने व काँग्रेस के द्वारा चक्का जाम को समर्थन देने के चलते चक्का जाम असरकारी रहा जगह-जगह हाईवे को किसानों ने जाम कर रखा था तो वहीं हरियाणा में बीजेपी की जजपा समर्थित खट्टर सरकार में भी चक्का जाम कुछ जिलों में सफ़ल रहा है।किसान नेताओं ने घोषणा की थी कि उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड राज्य में चक्का जाम नही होगा तो वहीं दिल्ली में भी नही घुसेंगे।
बाकी देशभर में चक्का जाम का असर महत्वहीन साबित होकर फुस्स पटाखा बनकर रह गया।जबकि किसान आंदोलन को काँग्रेस,शिवसेना, एनसीपी,सपा,रालोद,टीएमसी,कम्युनिस्ट पार्टी,बसपा,डीएमके,आदि समेत कई विपक्षी दलों के द्वारा आंदोलन को समर्थन दिया जा रहा है व पिछले दिनों विपक्षी दलों के कई नेता किसान नेता राकेश टिकैत से जाकर उनसे मिल चुके थे।
उधर आज लोकसभा में केन्द्रीय कृषिमंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने सरकार की तरफ़ से एक बार फ़िर साफ़ कर दिया है कि कृषि क़ानून वापस नही होगा,हम आज भी कह रहे हैं कि जो भी आपत्तियां है उनको लिखित में दे हम किसानों के हित को देखते हुए समाधान की कोशिश करेंगे।
कुल मिलाकर काँग्रेस की अगुवाई में विपक्षी दल जहाँ सरकार व ख़ासकर मोदी की तिलिस्म को किसानों,जनता में तोड़ने की कोशिश करने में लगकर सत्ता में पहुँचने के लिए किसान आंदोलन को सीढ़ी बनाना चाहती है तो वहीं पीएम नरेन्द्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह की बीजेपी इनको थका थकाकर लस्त पस्त कर परास्त करने की नीति पर चल रही है।सियासी शतरंज के बिसात पर चाले तो दोनों तरफ़ से चली जा रही है ये तो वक़्त बताएगा कि शह किसकी और मात कौन खाता है इस राजनीतिक युद्धस्थल में।