★ओमप्रकाश सिंह★
★मुम्बई★
{सुनिश्चित करे कि आधुनिक विषयों की उच्च शिक्षा हिंदी में दी जायेगी}
[भारतीय भाषा स्वाभिमान आंदोलन ने की मांग]

♂÷भारतीय भाषा स्वाभिमान आंदोलन ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलाधिपति डॉ. कर्ण सिंह, वर्तमान कुलाधिपति न्यायमूर्ति श्री गिरधर मालवीय और महामना मालवीय मिशन के संरक्षक श्री पन्नालाल जायसवाल, श्री बी के मोदी और डॉ. शंकर विनायक तत्ववादी समेत काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के २०० से अधिक पूर्व छात्रों और वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिख कर कहा है कि हिंदी इलाके की यह सर्व विद्या की राजधानी हिंदी में आधुनिक विषयों की पढाई कराये।
इन विषयों के शोध और गवेषणाएं भी हिंदी में हों। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय हिंदी को राष्ट्रभाषा और एकल राजभाषा बनाये जाने के मज़बूत आधार बनाये। वह विश्व स्तर पर भी हिंदी की पताका फहराये जाने के प्रयत्न शुरू करे। ऐसा न किया गया तो जिस तरह से सरकारें खुद भाषायी माध्यम के स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में बदल रही हैं, उससे भारतीय भाषाओँ के सामने जल्द ही अस्तित्व का संकट आ जायेगा। वे राजकाज से भी दूर हो जायेंगी, और आम व्यवहार से भी। इससे एक भीषण सांस्कृतिक संकट भी खड़ा होगा।
लेखिका पुष्पा भारती, पत्रकार मनमोहन सरल, देवप्रिय अवस्थी, रामेंद्र कुमार सिन्हा, गोपाल जोशी, विभूति शर्मा, ओम प्रकाश, निजामुद्दीन राईन, प्राध्यापक डॉ. जय राम तिवारी, डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय, साहित्यकार हृदयेश मयंक, तेजेन्द्र शर्मा , रीना पंत , समाजसेवी शिवजी सिंह, अनवर आज़मी और महाराष्ट्र के पूर्व राज्य मंत्री चंद्र कांत त्रिपाठी और कृपा शंकर सिंह समेत तकरीबन दो दर्ज़न भारतीय भाषा प्रेमियों द्वारा लिखे गए इस पत्र में कहा गया है कि देश की सभी प्रमुख शैक्षाणिक और सामाजिक संस्थाओं को अंग्रेजी को शिक्षा और राजकाज की भाषा से अलग करने की मांग करनी चाहिए।
पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान के तत्वावधान में चलाये जा रहे इस आंदोलन के संयोजक पत्रकार ओम प्रकाश ने कहा कि अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय समेत देश के दूसरे विश्वविद्यालयों और प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों से भी इस बात की अपील की जा रही है कि वे अपने राज्य की भाषाओँ को शिक्षा में प्रमुखता दें, और अंग्रेजी को उच्च शिक्षा के माध्यम से हटायें।