★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{हिंदी के समर्थन में उतरे काशी विद्यापीठ और पूर्वांचल विश्वविद्यालय ने अनुदान आयोग को लिखा पत्र,देश के कई राज्यपालों और विश्वविद्यालयों का भी मिल रहा समर्थन}
[पूर्वाञ्चल विवि कुलपति प्रो.राजाराम यादव व विद्यापीठ के कुलपति प्रो.टीएन सिंह ने कहा हिंदी देश को जोड़ने वाली भाषा]
(400 से अधिक शैक्षणिक संस्थाओ व 200 से अधिक अतिविशिष्ट, विशिष्ट शख्सियतों को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर मांगा गया है समर्थन)

♂÷महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की मांग की है, और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को चिट्ठी लिख कर कहा है कि हिंदी और दूसरी भारतीय भाषाओँ को समृद्ध और सम्पन्न करने के लिए विश्वविद्यालय यदि मिल-जुल कर काम करें,तो भारतीय भाषाओँ को उच्च शिक्षा का माध्यम बनाने का काम बड़ी सहजता से संपन्न किया जा सकता है।

दोनों विश्वविद्यालयों ने इस बात की भी तैयारी दिखाई है कि हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की दिशा में जिन प्रयत्नों की उनसे अपेक्षा होगी, उसे वे तत्परता से पूरा करेंगे।
विद्यापीठ के कुलपति प्रो. टी. एन.सिंह और पूर्वांचल के कुलपति प्रो. डॉ. राजाराम यादव ने कहा है कि हिंदी देश को जोड़ने की भाषा है वह देश के सर्वसामान्य लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करती है। देश के ८० फीसदी से ज्यादा लोग हिंदी समझते और बोलते हैं। देश के संविधान, राजकाज और शिक्षा के माध्यम में हिंदी को अब उसका उचित स्थान मिलना चाहिए। दोनों विद्वान कुलपतियों ने राज्यों में राज्य भाषाओँ को भी समुचित महत्व देने की मांग की है।

हिंदी क्षेत्र के दो दर्ज़न से अधिक अन्य विश्वविद्यालयों ने भी हिंदी के समर्थन में सकारात्मक रुख अख्तियार किया है, और संकेत दिया है कि अगले एक पखवाड़े के भीतर वे भी पूरी तैयारी के साथ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को इस बाबत पत्र लिखेंगे।आईआईटी समेत कई और तकनीकी शिक्षण संस्थानों ने भी इस मामले में रुचि जताई है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने भी कहा है कि विश्वविद्यालय के प्राध्यापक या अन्य भाषा प्रेमी भारतीय भाषाओँ को समृद्ध करने के काम में स्वैच्छिक सहयोग दें तो उनका स्वागत है। टीडी कॉलेज,शिबली कॉलेज ,मोहम्मद हसन डिग्री कॉलेज, उदय प्रताप कॉलेज जैसे पूर्वांचल के कई अन्य बहुत मान्य शिक्षा संस्थानों की ओर से भी हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाये जाने की मांग उठाई जाने के संकेत हैं।ये जानकारियां भारतीय भाषा स्वाभिमान आंदोलन के संयोजक पत्रकार ओम प्रकाश और अजित कुमार सिंह ने एक बयान में दी है । दोनों ने इस सिलसिले में विद्यापीठ, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति महोदयों से पिछले दिनों मुलाकात की थी। बयान में उन्होंने कहा है कि पूर्वांचल में अभी तक ४०० से अधिक डिग्री कॉलेजों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों से संपर्क किये गए हैं और देश के 200 अतिविशिष्ट, विशिष्ट लोगों को पत्र लिखकर उनका समर्थन मांगा गया है। सामाजिक संस्थाओं से भी मदद ली जा रही है। हिंदी क्षेत्र के पद्म पुरस्कार पानेवाले विशिष्ट जनों और प्रतिश्रुत विद्वानों से भी हिंदी के समर्थन में आगे आने का आग्रह किया जा रहा है। बयान में कहा गया है कि हिंदी राज्यों के कई मान्य राज्यपालों ने भी इस मामले में गहरी रूचि ली है।
भारतीय भाषा स्वाभिमान आंदोलन जानी-मानी हिंदी लेखिका व साहित्यकार श्रीमती पुष्पा भारती की प्रेरणा से देश के साहित्यकारों, पत्रकारों, समाजसेवियों और भाषा प्रेमियों का एक अनौपचारिक संगठन है,जो भारतीय भाषाओँ को उनके उचित स्थान दिए जाने का आग्रह कर रहा है।
विदित हो कि इस सिलसिले में भारतीय भाषा स्वाभिमान आंदोलन के संयोजक वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश ने केन्द्रीय मन्त्री राजनाथ सिंह से भी मिलकर उनको अपनी मांग व आंदोलन के बाबत जानकारी देते हुए समर्थन मांगा है।