★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{फ़्रांस के होममिनिस्टर गेराल्ड डेरमानिन ने बताया कि 89 मस्जिदों के निरीक्षण के दौरान एक तिहाई किया गया बंद}
♂÷फ्रांस ने कट्टरपंथ के खिलाफ कड़ा एक्शन लेते हुए एक साल के अंदर 30 मस्जिदों को बंद कर दिया है। फ्रांस के गृहमंत्री गेराल्ड डारमानिन ने बताया कि 89 मस्जिदों का निरीक्षण किया गया था और इनमें से एक तिहाई को बंद कर दिया गया है। फ्रांस में विवादित मस्जिदों को बंद करने का अभियान नवंबर 2020 में शुरू किया गया था। इससे पहले गेराल्ड ने कहा था कि अलगाववाद विरोधी कानून को लागू करने से पहले अतिवादियों को शरण देने वाली 650 जगहों को बंद कर दिया गया। यही नहीं फ्रांसीसी पुलिस ने देश में 24000 जगहों की जांच की थी। गेराल्ड ने कहा कि कट्टरपंथ को बढ़ावा देने को लेकर 89 मस्जिदों की नवंबर 2020 में जांच की गई थी और अब उनमें से एक तिहाई को बंद कर दिया गया है। उन्होंने कहा देश के विभिन्न इलाकों में स्थित 6 और मस्जिदों को बंद करने की भी योजना है।
फ्रांसीसी गृहमंत्री ने बताया कि उन्होंने ‘इयूप सुल्तान’ मस्जिद के निर्माण का विरोध किया है। हालांकि स्थानीय प्राधिकरण से मस्जिद को बनाने की अनुमति मिली हुई है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक इस्लाम को बढ़ावा देने वाले 5 मुस्लिम संघों को बंद कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि अलगाववाद रोधी कानून उन्हें इससे ज्यादा करने की भी अनुमति देता है। उन्होंने कहा कि कुल 10 संघों को बंद किया जाना है। उन्होंने कहा कि 205 संघों के बैंक खातों को बंद किया गया है और दो इमामों को देश से बाहर निकाला गया है। गेराल्ड ने कहा हम उन लोगों में आतंक भरना चाहते हैं जो हमारे खिलाफ आतंक फैलाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि विदेशी धार्मिक अधिकारी वर्ष 2023 से फ्रांस में नहीं आ सकेंगे। यही नहीं जो विदेशी धार्मिक अधिकारी पहले से यहां पर हैं, उनके निवास परमिट को बढ़ाया नहीं जाएगा।
फ्रांसीसी गृहमंत्री ने कहा नशीले पदार्थों की तस्करी और घरेलू हिंसा के आरोपी लोगों का भी निवास परमिट नहीं बढ़ाया जाएगा। यही नहीं फ्रांस ने अल्जीरिया, ट्यूनिशिया और मोरक्कों के लोगों के लिए वीजा की संख्या बहुत सीमित कर दी है ताकि जिन लोगों को फ्रांस ने वापस भेजा है, उनको वे आसानी से अपने यहां वापस ले लें। इससे पहले फ्रांस में शीर्ष संवैधानिक प्राधिकरण ने अलगाववाद विरोधी कानून को स्वीकृति दे दी थी। इस बिल को नेशनल असेंबली ने पारित किया था। इस विधेयक में कट्टरपंथियों पर लगाम कसने के लिए कई कड़े प्रावधान किए गए हैं।