तहलका न्यूज़ एक्सक्लुसिव
★ मुकेश शर्मा ★
★भोपाल(मध्यप्रदेश)★
{ पिछले 6 वर्ष से भूमाफ़िया दिनेश त्रिवेदी को कौन बचा रहा,बॉस,गोविंद सिंह या अरविंद भदौरिया बैठे हैं कुंडली मारकर❓}
[ गौरव,हेमा,महाकाली,ग़ुलाबी, मंदाकिनी जैसी दर्जनभर गृह निर्माण सोसायटी में हुए अरबों के बंदरबांट में सहकारिता मंत्री भदौरिया, सीएम चौहान पर भी उठ रहे सवाल ]
( कमलनाथ सरकार भी करते रहे सिर्फ़ बात,भू माफियाओं के कच्चा चिट्ठा खोलने वाले अधिकारी सुधाकर पांडेय को उठा ले गयी थी STF)
[ मन्त्री भदौरिया ने फ़ोन स्विच ऑफ़ किया तो रजिस्ट्रार IAS एमके अग्रवाल ने कहा घोटालेबाजों को बख्शा नही जायेगा, सभी पदों से हटाकर कोर्ट में किया गया है त्रिवेदी के खिलाफ फ़ाइल सूट ]
♂÷जांच की नौटंकी के बहाने समय गुजारने में माहिर मध्यप्रदेश सहकारिता के रजिस्ट्रार IAS अधिकारी एम के अग्रवाल भू माफिया दिनेश त्रिवेदी को क्यों बचा रहें है ये बताने की जरूरत नहीं है । पिछले करीब छह साल से चल रही जांच को बार बार कराने से अपराधी को बचाने की कोशिश की जा रही है या कराई जा रही है ? किस नेता का राजनेतिक संरक्षण प्राप्त है भू माफिया और रजिस्ट्रार को ? सहकारिता की गौरव, हेमा, महाकाली, गुलाबी, मंदाकिनी जैसी दर्जन भर ग्रह निर्माण सोसाइटी में हुए अरबों के बंदरबांट को लेकर सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया और मुखिया शिवराज मामा पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं । इस घौटाले पर कांग्रेस सरकार में तत्कालीन सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह अब बॉस और वर्तमान सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया कुंडली मारकर बैठ गए हैं? इसे संयोग ही कहा जायेगा कि तीनों ही चम्बल संभाग से हैं।
शिकायत कर्ता विवेक दीक्षित द्वारा शपथ पत्र के साथ मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन और प्रधानमंत्री भारत सरकार के साथ दर्जन भर स्थानों पर शिकायत करने के बाद भी महज 200 मीटर की दूरी तय करने में शिकायती पत्र पर आदेश को पहुंचने में एक सप्ताह का समय कैसे लग गया ❓शिकायत कर्ता विवेक दीक्षित ने अपने शिकायती शपथ पत्र के साथ दिनेश त्रिवेदी द्वारा ग्रह निर्माण सोसाइटी में किए गए अरबों के घोटालों के तरीके वाले समस्त दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं । पूर्व में भी कई बार जांच रिपोर्ट में अपराधी घोषित हो चुके दिनेश त्रिवेदी सहित करीब एक दर्जन सरकारी अफसर बने दामादों पर एफआईआर दर्ज होने के बाद भी जांच का ड्रामा बार बार क्यों ❓
14 लोगों पर हुई थी एफआईआर ।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक शाहजहानाबाद निवासी कुछ लोगों की सिंगारचोरी में कृषि भूमि थी, जिसे आरोपी द्वारा दस्तावेज में छेड़छाड़ करके तैयार कर अपने कब्जे में लिया था। बाद में एक गृह समिति बनाकर उसे बेच दिया गया। पुलिस ने इस मामले में कुल 14 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी । इस मामले से जुड़े अन्य आरोपी फिलहाल फरार है, जिनकी तलाश की जा रही है।
आधा दर्जन सोसायटियों में फर्जीवाड़ा, कर्ताधर्ता है दिनेश त्रिवेदी

सहकारिता विभाग के अभियान में राजधानी भोपाल की आधा दर्जन सोसायटियों के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। इनका कर्ता-धर्ता दिनेश त्रिवेदी है। सहकारिता विभाग को सूचना दिए बिना ही इन सोसायटियों के कार्यालय का पता भी बदल दिया गया। जब इनकी जांच हुई तो इस मामले का खुलासा हुआ। इसके बाद जांच अधिकारी सुधाकर पांडेय को रिपोर्ट सौंपने के बाद गौरव सोसायटी के प्रशासक के पद से हटा दिया गया है। गौरव, महाकाली, गुलाबी और हेमा सोसायटियों का संचालन भी दिनेश त्रिवेदी द्वारा किया जा रहा था। यह भी नियमों का खुला उल्लंघन है। अधिकारियों ने बताया कि त्रिवेदी महाकाली हाउसिंग सोसायटी के पूर्व अध्यक्ष हैं। वर्तमान में वे उपाध्यक्ष हैं। इसी के साथ जो पता महाकाली हाउसिंग सोसायटी का दिया गया है वही गुलाबी हाउसिंग सोसायटी और गौरव हाउसिंग सोसायटी का भी दिया गया है। हेमा और गौरव हाउसिंग सोसायटी का एक पता एफ-आर 1 फोर्थ फ्लोर प्लाॅट नंबर 178 चित्रा कॉम्पलेक्स एमपी नगर का दिया हुआ है।
भू-माफियाओं का कच्चा चिट्ठा खोलने वाले अधिकारी को पद से हटाया ।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ माफिया के खिलाफ अभियान की बात तो करते थे परंतु माफिया के खिलाफ कार्रवाई करना अधिकारियों को कितना महंगा पड़ सकता है इसका एक नमूना भोपाल में नजर आया। भोपाल के भू माफियाओं का कच्चा चिट्ठा खोलने वाले अधिकारी (सहकारिता निरीक्षक सुधाकर पांडे) को पहले तो पद से हटाया गया और फिर STF उठा ले गई। पुलिस ने इस अधिकारी को व्यापम घोटाला सहित कई गंभीर मामलों में फंसाने की धमकी दी थी।
मामला क्या है ।
एक ही पते पर संचालित हो रही गौरव, गुलाबी और महाकाली सोसायटी की जांच कर रिपोर्ट उपायुक्त सहकारिता विनोद सिंह को सौंपना सहकारिता निरीक्षक को भारी पड़ गया है। रिपोर्ट सौंपते ही उपायुक्त ने सहकारिता इंस्पेक्टर सुधाकर पांडे को गौरव गृह निर्माण सोसायटी के प्रशासक पद से हटा दिया इसके बाद दूसरे ही दिन उनके जहांगीराबाद स्थित घर पर एसटीएफ के पुलिसकर्मियों ने अचानक छापामार कार्रवाई कर दी। इस दौरान सहकारिता निरीक्षक के घर की जबरदस्ती तलाशी भी ली गई। वहीं सहकारिता निरीक्षक को जबदरस्ती उठाकर जहांगीराबाद थाना ले गए। इसके बाद सिटी डिपो के पास एसटीएफ कार्यालय में ले गए। इस पर सुधाकर पांडेय ने विरोध किया तो पुलिसकर्मियों ने उनके साथ हाथापाई भी की। जब इस बात की सूचना पुलिस अधीक्षक एसटीएफ राजेश भदौरिया को लगी तो उन्होंने तत्काल उन्हें मुक्त करवाया और तीन एसटीएफ पुलिसकर्मियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने की बात कहने लगे। हालांकि विनोद कुमार सिंह को अपनी करनी की सजा मिल चुकी है लेकिन मरा हाथी भी सवा लाख का होता है । शायद ये जानकारी शासन को नहीं है ।
एसटीएफ ने सहकारिता निरीक्षक सुधाकर पांडे को कई मामलों में फंसाने की धमकी दी थी ।
अपनी शिकायत में सहकारिता निरीक्षक सुधाकर पांडे ने बताया है कि एसटीएफ ने उन्हें व्यापम घोटाला, नकली नोट छापना, फर्जी मार्कशीट छापना इत्यादि के मामलों में फंसाने की धमकी दी है। इस मामले की शिकायत कलेक्टर तरुण पिथोड़े सहित मुख्यमंत्री व मुख्यसचिव को की गई लेकिन शासन के सहकारिता विभाग के मुखिया नटवरलाल एम के अग्रवाल की मेहरबानी से सारी जांच नए सिरे से कराई जाने का मतलब समझ से परे है ।
सहकारिता उपायुक्त पर दिनेश त्रिवेदी के दबाव में काम करने का अरोप।
इधर इंडस एम्पायर निवासी विवेक दीक्षित ने कलेक्टर से शिकायत दर्ज कराई कि गौरव गृह निर्माण सोसायटी के प्रशासक पद से सुधाकर पांडेय को हटाकर ई एक्का को बनाना पूरे मामले में सवाल खड़े कर रहा है। उपायुक्त पर आरोप लगाए कि वे दिनेश त्रिवेदी और उनके सहयोगियों के दबाव में काम कर रहे है। समिति के खातों से लाखों रुपया का फर्जी भुगतान किया गया इसकी अब तक जांच शुरू नहीं की गई है। उन्होंने शिकायत में बताया कि 10 साल की जांच करते हुए समिति का रिकार्ड जब्त किया जाए। वहीं दोषियों पर कार्रवाई की जाए।
10 दिन में 40 सोसायटियों की 115 शिकायतें सुलझाकर एसडीएम को भेजी ।
भोपाल कमिश्नर कल्पना श्रीवास्तव ने वर्ष 2015 से अब तक 146 हाउसिंग सोसायटी की आई 550 शिकायतों के निराकरण के लिए 15 दिन की समयसीमा दी थी। सहकारिता निरीक्षकों ने 10 दिन में 40 सोसायटी की 115 शिकायतों का निराकरण कर, इसकी रिपोर्ट संबंधित सर्किलों व तहसीलों के एसडीएम को भेज दी थीं। अब इन शिकायतों का परीक्षण एसडीएम करेंगे और पात्रता सूची के आधार पर प्लॉट आवंटन के लिए अनुमति देंगे। यदि एसडीएम की जांच में कोई शिकायतकर्ता अपात्रता की श्रेणी में आएगा तो उसकी पात्रता की जांच दोबारा होगी। यह जांच सहकारिता निरीक्षक करेंगे। इसके अतिरिक्त अपात्र सदस्यों की शिकायतों की जांच एडीएम भी करेंगे।
– 550 में से 190 शिकायतें ही प्लॉट को लेकर ।
वर्ष 2015 से लेकर अब तक 146 सोसायटियों की आई कुल 550 शिकायतों में से 190 शिकायतें प्लॉटों से संबंधित हैं। जबकि अन्य शिकायतें सोसायटी में अनियमितता, चुनाव में गड़बड़ी, सदस्यता सूची में वरीयता सूची में गड़बड़ी आदि की हैं। 190 में से 115 शिकायतों का निराकरण कर दिया गया लेकिन फिर भी भू माफियाओं की शिकायतें पिछले छह साल से लंबित क्यों है ❓
दिनेश त्रिवेदी ने जितनी भी सोसायटी की रजिस्ट्री की सबको निरस्त कर दिया गया कहा एमके अग्रवाल ने
उधर मध्यप्रदेश के सहकारिता रजिस्ट्रार वरिष्ठ IAS अधिकारी एमके अग्रवाल से जब तहलका न्यूज़ ने उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि आरोपी दिनेश त्रिवेदी से उनका कोई सम्बन्ध नही है और उसके ख़िलाफ़ कोर्ट में फाइल सूट कर दी गयी है।

एमके अग्रवाल ने जानकारी दी कि दिनेश त्रिवेदी के द्वारा जितनी भी सोसायटी की रजिस्ट्री की गई थी सबको निरस्त कर दिया गया है,सोसायटी बोर्ड बंद कर उसको पद से हटा दिया गया है।
घोटाले में शामिल किसी को भी बख्शा नही जाएगा।
ऐसा एमके अग्रवाल ने दावा किया।

उधर सहकारिता मन्त्री अरविंद भदौरिया से जब उनका पक्ष जानने के लिए तहलका न्यूज़ ने शनिवार की सुबह 10 बजकर 29 मिनट पर फ़ोन किया तो उनका सेलफ़ोन नम्बर बंद मिला,पुनः उनको 11 बजकर 47 मिनट पर कॉल किया गया तो नम्बर बिजी रहा।जिसपर उनके नम्बर पर मैसेज के ज़रिए बात करने की कोशिश की गई तो सहकारिता मंत्री भदौरिया ने दोपहर 12 बजकर 02 मिनट पर पुनः अपना मोबाईल नम्बर स्विच ऑफ़ कर लिया।
करोड़ो,अरबों के घोटालेबाज दिनेश त्रिवेदी के साथ सहकारिता मंत्री के सम्बन्ध व वरदहस्त कितना सही या गलत है या फ़िर फिज़ाओ में चल रही चर्चाएं के बाबत मन्त्री का बात न करना “कुछ”तो है।