★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{गुरुवार को शिवाजी पार्क में शपथ लेने के बाद सदन में 169 मत से हासिल किया बहुमत उद्धव ठाकरे सरकार ने,पक्ष विपक्ष ने जमकर किये नारेबाज़ी व हंगामा}
[कांग्रेस के अशोक चव्हाण ने पेश किया विश्वास मत एनसीपी के नवाब मलिक व शिवसेना के सुनील प्रभु ने किया अनुमोदित,]
(MNS, AIMIM व CPI के चार विधायक रहे तटस्थ न तो समर्थन न ही किया सरकार का विरोध)
♂÷महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विधानसभा में बहुमत साबित कर दिया है इस दौरान मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के विधायको ने सदन से बहिर्गमन किया।
महाराष्ट्र की शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस की गठबंधन सरकार ने अपना बहुमत साबित कर दिया है।शनिवार दोपहर ढाई बजे विधानसभा में प्रोटेम स्पीकर दिलीप वलसे पाटिल की मौजूदगी में फ्लोर टेस्ट करवाया गया, जिसमें सरकार के पक्ष में 169 मत पड़े।वहीं सदन में मौजूद अन्य दलों राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना,असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम व कम्युनिस्ट पार्टी के चार विधायक वोटिंग के दौरान तटस्थ रहे यानी उन्होंने न तो सरकार के पक्ष और न ही उसके विरोध में वोट डाला।
वोटिंग से पहले सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच हंगामा और खूब नारेबाजी हुई। पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी विधायक दल नेता देवेंद्र फडणवीस ने अपने भाषण में कहा कि नया प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति गलत हुई है। इसपर प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किए गए दिलीप पाटिल ने कहा कि गवर्नर के आदेश के बाद ही प्रोटेम स्पीकर को बदला गया है।
भारी हंगामे के बीच कांग्रेस के अशोक चव्हान ने सदन में विश्वास मत पेश किया जिसे एनसीपी के नवाब मलिक और शिवसेना के सुनील प्रभु ने अनुमोदित किया। इसके बाद बीजेपी के सभी विधायक नारेबाजी करते हुए विधानसभा से बाहर निकल आए और उन्होंने बहुमत परीक्षण का बहिष्कार किया।
इससे पहले बीते गुरुवार को मुंबई के शिवाजी मैदान में उद्धव ठाकरे ने शपथ लिया था।इस दौरान उनके साथ शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के दो-दो विधायकों ने भी मंत्री पथ का शपथ लिया था, हालांकि उद्धव ठाकरे सरकार में उपमुख्यमंत्री कौन होगा इसे लेकर सस्पेंस बरकरार है। एनसीपी और कांग्रेस दोनों की तरफ से इसे लेकर अपने-अपने दावे किए जा रहे हैं।
बता दें कि बीते 24 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के आए नतीजों में बीजेपी 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी वहीं तब की उसकी सहयोगी रही शिवसेना को 56 सीटें मिली थीं,एनसीपी के खाते में 54 तो कांग्रेस ने 44 सीटे आई थी।इसके बाद बीजेपी-शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद और 50-50 फॉर्मूले को लेकर फूट पड़ गई थी जिसका नतीजा ये हुआ कि शिवसेना ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए एनसीपी और कांग्रेस के साथ महा विकास अघाडी (गठबंधन) बनाकर राज्य में तीनों पार्टियों की मिली-जुली सरकार बना ली है।