★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{तृणमूल पार्टी के राज्यसभा सदस्य पद से सदन में इस्तीफ़ा देने वाले दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में सदन में दिल की आवाज़ पर दिया इस्तीफ़ा,हर चीज़ में षड्यंत्र व बंगाल में आतंक फैला हुआ है}
[राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान शिष्टाचार के खिलाफ था इस्तीफ़ा, बल्कि इस सम्मानित सदन के सभी नियमों, कायदों और परम्परा के भी था खिलाफ कहा तृणमूल पार्टी के मुख्य सचेतक सुखेंदु शेखर राय ने]
(गत 12 फ़रवरी को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा पेश बजट पर चर्चा के दौरान टीएमसी सांसद व पूर्व केन्द्रीय रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी ने सदन में ही दिया था इस्तीफ़ा)
♂÷पश्चिम बंगाल में सियासी चक्रव्यूह रचने शुरू हो चुके हैं एक दूसरे को पराजित करने हेतु।ऐसे में विधानसभा चुनाव के पहले बड़ी संख्या में नेताओं के ममता बनर्जी की पार्टी छोड़ने की बीच राज्यसभा सांसद दिनेश त्रिवेदी के द्वारा सदन में अपनी सदस्यता से इस्तीफ़े से ममता दीदी को ज़ोर का झटका लगा है क्योंकि त्रिवेदी तृणमूल काँग्रेस के बड़े नेता माने जाते थे और वह दो-दो बार केन्द्रीय मन्त्री भी रहे हैं यूपीए की मनमोहन सरकार में।
पूर्व केन्द्रीय मन्त्री दिनेश त्रिवेदी भले ही अभी अपने इस्तीफे की वज़ह तृणमूल काँग्रेस में दम घुटना व बंगाल में आतंक का माहौल कारण बता रहे हैं किंतु राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि देर सबेर त्रिवेदी भी भगवा झण्डा उठाएंगे।
राज्यसभा में ही तृणमूल कांग्रेस से अपने इस्तीफे का ऐलान करने के बाद दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि उनका तृणमूल कांग्रेस पार्टी में दम घुट रहा था।
पूर्व रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी ने सोमवार को राज्यसभा में षड्यंत्र के तहत इस्तीफे देने से जुड़े पत्र पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पर पलटवार करते हुए कहा कि मैंने सोची समझी चाल के तहत इस्तीफा नहीं दिया। उन्होंने कहा, ‘सदन में दिल की आवाज थी, जिसके बाद मैंने इस्तीफा दे दिया।’ त्रिवेदी ने बताया कि उन्होंने चेयरमैन के कमरे में जाकर इस्तीफे की चिट्ठी लिखी थी।
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के पहले बड़ी संख्या में नेताओं के ममता बनर्जी की पार्टी छोड़ने की बीच त्रिवेदी ने इस्तीफा दिया है। उन्होंने ‘पश्चिम बंगाल में हिंसा’ और ‘घुटन’ का हवाला देते हुए बीते 12 फरवरी को राज्यसभा में अपनी सदस्यता से त्यागपत्र देने की घोषणा कर दी थी।
टीएमसी पर हमला बोलते हुए त्रिवेदी ने कहा, ‘आज तक हम एक बार वेल में नहीं गए,पार्टी का सबसे बड़ा आरोप मुझ पर यह होता था कि मैं वेल में नहीं जाता। जो सदस्य वेल में जाते हैं, मेज पर चढ़ते हैं, नियम पुस्तिका को फाड़ते हैं और चिल्लाते हैं वो शोभा नहीं देता, टीएमसी अपने गिरेबान में झांक कर देखें, हर चीज में षड्यंत्र, बंगाल में आतंक फैला हुआ है।’
त्रिवेदी तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में तीन अप्रैल 2020 को उच्च सदन के सदस्य बने थे और उनका वर्तमान कार्यकाल दो अप्रैल 2026 तक है।संप्रग शासनकाल में त्रिवेदी रेलमंत्री थे और उन्होंने 2012 में रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। वह दो बार लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं और वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद पार्टी ने उन्हें राज्यसभा में भेजा था।
राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के मुख्य सचेतक सुखेंदु शेखर राय ने सभापति को पत्र लिख कर कहा था कि पार्टी ने केंद्रीय बजट 2021-22 पर चर्चा के लिए वक्ताओं के तौर पर केवल दो नामों की अनुशंसा की थी और त्रिवेदी उनमें शामिल नहीं थे। उन्होंने कहा कि तृणमूल पार्टी को दिया गया वक्त दो वक्ताओं के निर्धारित दिन बोलने के बाद समाप्त हो गया था, इसके बावजूद त्रिवेदी को बोलने क्यों दिया गया।राय ने कहा, ‘12 फरवरी 2021 को अपराह्न करीब एक बजकर 25 मिनट पर जब वित्त मंत्री बजट चर्चा पर जवाब देने जा रही थीं, उस वक्त तृणमूल कांग्रेस के एक सदस्य दिनेश त्रिवेदी को अपराह्न एक बजकर 25 मिनट से करीब चार मिनट तक बोलने की अनुमति दी गई, जबकि एआईटीसी ने बजट पर चर्चा के लिए उनका नाम वक्ता के तौर पर पेश नहीं किया था और पार्टी का वक्त भी समाप्त हो गया था।
पत्र में कहा गया, ‘घटना के उपरोक्त विवरण और जिस प्रकार से त्रिवेदी ने अपने ‘कुटिल’ राजनीतिक उद्देश्य के लिए सदन का दुरुपयोग किया और जिस तरह से उन्हें सदन का इस्तेमाल करने की इजाजत दी गई वह न केवल अप्रत्याशित और ‘राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान शिष्टाचार के खिलाफ था। बल्कि इस सम्मानित सदन के सभी नियमों, कायदों और परंपरा के भी खिलाफ था।’
पूर्व रेलमंत्री ने पत्र में लिखा यह बेहद चिंता की बात है कि नियम तोड़ने वाले सदस्यों को रोकने के लिए नियम के तहत पर्याप्त तंत्र होने के बावजूद उसका इस्तेमाल नहीं किया गया।
उधर बीजेपी ने उनके इस्तीफ़े पर कहा कि उनका बीजेपी में स्वागत है,पश्चिम बंगाल से ममता सरकार का सफ़ाया होने वाला है, चुनाव बाद बीजेपी बहुमत से सरकार बनाएगी।