★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★

{काँग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा बिल संविधान के खिलाफ तो ओवैसी ने विधेयक फाड़ते हुए कहा मुस्लिमों से सरकार को इतनी नफ़रत क्यों}
(गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि बिल किसी के खिलाफ नही है,70 साल से जिसके साथ अन्याय हुआ है ये बिल उसके साथ न्याय करेगा)
[एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने कहा मैं उनसे विधेयक को वापस लेने का अनुरोध करती हूँ तो बसपा के अफ़ज़ल अंसारी ने कहा हम बिल के खिलाफ है खड़े]
(जदयू नेता राजीव रंजन सिंह ने कहा पाकिस्तान के सताए गए अल्पसंख्यको को भारतीय नागरिकता दी जाती है तो यह सही बात है शिवसेना के विनायक राउत ने भी किया समर्थन)

♂÷सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल रहे महत्वपूर्ण वादे को अमलीजामा पहनाने के क्रम में आज सदन में नागरिकता संशोधन बिल को पेश कर दिया है।
विपक्ष के भारी विरोध के बीच नागरिकता संशोधन बिल सोमवार को लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने पेश किया। विधेयक को पेश किए जाने के लिए विपक्ष की मांग पर मतदान करवाया गया और सदन ने 82 के मुकाबले 293 मतों से इस विधेयक को पेश करने की स्वीकृति दे दी। बिल पर अभी चर्चा चल रही है। गृह मंत्री अमित शाह ने इस पर अपनी बात रखी।
असम के धुबरी से AIUDF के सांसद बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि यह बिल 1985 के असम समझौते के खिलाफ है।
AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में बिल का विरोध करते हुए विधेयक की कॉपी को फाड़ा। उन्होंने कहा, ‘बिल संविधान के खिलाफ है एक और बंटवारा होने जा रहा है। मुस्लिमों से सरकार को इतनी नफरत क्यों है मुसलमानों को दबाया जा रहा है। विधेयक भारत के स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है।’ उन्होंने सरकार से यह भी पूछा कि उसने चीन जैसे देशों को शामिल क्यों नहीं किया, जो भारत और अन्य देशों के कुछ हिस्सों पर कब्जा करता है। क्या आप चीन से डरते हैं?
लोकजनशक्ति पार्टी ने नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन किया। पार्टी नेता चिराग पासवान ने कहा कि सीएबी के खिलाफ गलत सूचना फैलाई जा रही है। बिल का भारत में मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है।
कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने बिल का विरोध करते हुए कहा, ‘बीजेपी हिंदू राष्ट्र बनाने की ओर बढ़ रही है। तोड़ने नहीं जोड़ने का काम होना चाहिए। बिल संविधान के खिलाफ है।’
एनसीपी की सुप्रिया सुले ने कहा, ‘हमारे लोकतंत्र की पूरी प्रकृति समानता है और मैं अनुच्छेद 14 और 15 के बारे में बात कर रही हूं, मैं गृह मंत्री द्वारा आश्वस्त नहीं हूं, यह सुप्रीम कोर्ट में नहीं टिक पाएगा। मैं उनसे इस पर पुनर्विचार करने और विधेयक को वापस लेने का अनुरोध करती हूं।’
तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) के नामा नागेश्वर राव ने कहा, ‘हम अपनी धर्मनिरपेक्ष पार्टी नीति के अनुरूप नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 का विरोध करते हैं। हम भारतीय संविधान के प्रावधानों और भावना का कड़ाई से पालन करते हैं।’
बसपा के अफजल अंसारी ने कहा, ‘बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती जी ने कहा था कि नागरिकता संशोधन विधेयक असंवैधानिक है और इसका विरोध किया है। आज भी हम बिल के खिलाफ खड़े हैं।’
जदयू के राजीव रंजन सिंह ने कहा, ‘हम इस बिल का समर्थन करते हैं। इस बिल को भारतीय नागरिकों के बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक दोनों के प्रकाश में नहीं देखा जाना चाहिए। अगर पाकिस्तान के सताए गए अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दी जाती है तो मुझे लगता है कि यह सही बात है।’
शिवसेना ने किया बिल का समर्थन, साथ ही रखी ये मांग
शिवसेना के विनायक राउत ने कहा, ‘बिल में उल्लिखित इन छह समुदायों के कितने शरणार्थी भारत में रह रहे हैं? गृह मंत्री ने इसका जवाब नहीं दिया, नागरिकता मिलने पर हमारी आबादी कितनी बढ़ जाएगी? इसके अलावा, श्रीलंका से तमिलों के बारे में क्या?’ शिवसेना के विनायक राउत ने बिल का समर्थन देते हुए कहा कि श्रीलंका, अफगानिस्तान के हिंदुओं को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगले 25 सालों के लिए उन्हें कोई मतदान का अधिकार नहीं देना चाहिए।
वाईएसआरसीपी के मिधुन रेड्डी ने कहा, ‘हम इस विधेयक का समर्थन करते हैं लेकिन हमारी कुछ चिंताएं भी हैं, हम उम्मीद करते हैं कि सरकार हमारी चिंताओं पर ध्यान देगी। यहां तक कि मुसलमानों के बीच भी संप्रदाय हैं जो सताए जाते हैं, हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि उनके साथ भी बराबर का व्यवहार हो।’
टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने बिल के विरोध में कहा, ‘इस बिल से स्वामी विवेकानंद को झटका लगा होगा क्योंकि यह उनके भारत के विचार के खिलाफ है। भाजपा का भारत का विचार विभाजनकारी है। अगर हम महात्मा गांधी के शब्दों को नजरअंदाज करेंगे और सरदार पटेल की सलाह पर ध्यान नहीं देंगे तो यह विनाशकारी होगा।’
चर्चा में भाग लेते हुए डीएमके के दयानिधि मारन ने कहा, ‘संभवतः पश्चिम का डर, पश्चिम द्वारा अलग-थलग पड़ने का डर आप में व्याप्त हो गया है और आपको इस बिल में ईसाइयों को शामिल करना पड़ा। इसके अलावा अगर पीओके के मुस्लिम आना चाहते हैं तो क्या होगा? उनके लिए आपके पास क्या कानून है?
कांग्रेस की तरफ से मनीष तिवारी इस बिल के विरोध में बोले। उन्होंने इस बिल को असंवैधानिक, गैरसंवैधानिक और संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया। मनीष तिवारी ने कहा है कि नागरिकता एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और CAB समानता का उल्लंघन करता है। संविधान धार्मिक भेदभाव को प्रतिबंधित करता है। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, अनुच्छेद 15, अनुच्छेद 21, अनुच्छेद 25 और 26 के खिलाफ है। यह विधेयक असंवैधानिक है और समानता के मूल अधिकार के खिलाफ है।
लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पर बोलते हुए अमित शाह ने कहा, ‘इस बिल के हिसाब से किसी के साथ अन्याय नहीं होगा। बिल के पीछे कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है। बिल हमारी संस्कृति को परिभाषित करता है। कोई यूं ही अपना देश नहीं छोड़ता है। देश छोड़िए गांव नहीं छोड़ता है। कोई प्रताड़ित होता है, अपमानित होता है, इसलिए देश छोड़ता है। 70 साल से जिनके साथ अन्याय हुआ है, ये बिल उनके साथ न्याय करेगा।’
गृह मंत्री ने कहा, ‘कांग्रेस साबित करे कि बिल किसी के साथ अन्याय करता है। धर्म के आधार पर किसी के साथ अन्याय नहीं होगा। अपने बॉर्डर की सुरक्षा करना हमारा कर्तव्य है। 1947 में जितने भी शरणार्थी आए सभी भारतीय संविधान द्वारा स्वीकार किए गए, शायद ही देश का कोई ऐसा क्षेत्र होगा जहां पश्चिम और पूर्वी पाकिस्तान के शरणार्थी नहीं बसते थे। मनमोहन सिंह जी से लेकर लालकृष्ण आडवाणी जी तक, सभी इसी श्रेणी के हैं।
विपक्ष को जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार सभी सवालों का जवाब देने के लिए तैयार है। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि लोग पूछ रहे हैं कि आजादी के बाद इस बिल की जरूरत क्यों पड़ी। इस सवाल का जवाब स्पष्ट है कि अगर कांग्रेस ने धर्म के आधार देश के बंटवारे में हिस्सा न बनी होती तो इस बिल की जरूरत ही नहीं पड़ती। सच तो ये है कि इस बिल की आवश्यकता कांग्रेस की वजह से पड़ी है।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस बिल के जरिए सरकार देश के अल्पसंख्यकों के हितों पर हमला करने जा रही है। लेकिन उनके आरोपों पर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि यह बिल अल्पसंख्यकों के .001 फीसद खिलाफ नहीं है।
लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि यह बिल अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में उन हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, पारसी और जैन के लिए हैं जिन्हें धार्मिक प्रताणना का शिकार होना पड़ा। इस बिल के जरिए उन लोगों को नागरिकता हासिल हो जाएगी। इस तरह के आरोपों में दम नहीं है कि इस बिल के जरिए मुस्लिमों के अधिकार वापस ले लिए जाएंगे।
स्पीकर ओम बिड़ला ने ओवैसी से कहा कि आप इस तरह की असंसदीय भाषा का इस्तेमाल क्यों कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही से इस बयान को निकाल दिया जाएगा।
चर्चा में हिस्सा लेते हुए एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि स्पीकर साहब आप से यह अर्जी है कि देश को इस कानून से बचाइए इसके साथ ही गृहमंत्री को भी नहीं तो जिस तरह से नुरेमबर्ग रेस लॉ और इजराइल की नागरिकता अधिनियम की तरह गृहमंत्री का नाम भी हिटलर और डेविड गुरियन के साथ लिया जाएगा।
अमित शाह ने विपक्षी दलों से कहा कि अभी तो आप लोग इस बिल पर चर्चा में शामिल हों। जब वो इस विषय पर जवाब देंगे तो आप लोग सदन का बहिष्कार मत करना। इस बिल के प्रावधानों पर विपक्षी दलों को ऐतराज है। विपक्षी दलों का कहना है कि जिस रूप में इस बिल को लाया जा रहा है वो संविधान की भावना के खिलाफ है।लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल के पेश किए जाने से पहले ही त्रिपुरा में विरोध शुरू हो चुका है।
कैब पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि कैब पर एक ऐसा ड्राइवर है जो विभाजनकारी है, यह व्यवस्था को असंतुलित करने के साथ खत्म करने वाला है। उन्होंने कहा कि यह राजनीतिक मूल्यों के साथ संविधान की भावना के खिलाफ है।
आल इंडिया डेमोक्रेटिक फ्रंट के सांसद बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल को असम इस रूप में कभी भी स्वीकार नहीं कर सकता है। यूपी के आजमगढ़ से लोकसभा सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि उनकी पार्टी पूरजोर तरीके से इस बिल का विरोध सड़क और संसद दोनों जगहों पर करेगी।
बिल को पेश किए जाने से पहले संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि यह बिल पूर्वोत्तर राज्यों के हित में है। उन्हें उम्मीद है कि बिल को संसद के दोनों सदनों से सहमति मिल जायेगी। उन्होंने बताया कि प्रश्नकाल के तुरंत बाद बिल को लोकसभा में पेश किया जाएगा। इस बीच गृहमंत्री अमित शाह संसद पहुंच चुके हैं।
संशोधित बिल के खिलाफ कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों को ऐतराज है, हालांकि शिवसेना का कहना है कि राष्ट्रीय हित के मुद्दे पर वो केंद्र सरकार के साथ खड़े रहेंगे।इस बीच उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने गृहमंत्री अमित शाह को खत लिखा है। उनका कहना है कि शिया समाज को भी नागरिकता संशोधन विधेयक बिल में शामिल किया जाए।
नागरिकता संशोधन बिल को पेश किये जाने के खिलाफ असम की एआईयूडीएफ जंतर मंतर पर विरोध कर रही है। इसके साथ ही असम के कई बाजारों में इस बिल के खिलाफ दुकानें बंद हैं।