★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★

{चीफ़ जस्टिस एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने विचारोपरांत किया ख़ारिज}
[9 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राममंदिर बाबरी मस्जिद विवाद में विवादित भूमि को दिया था रामलला को तो अन्य स्थान पर 5 एकड़ मस्जिद के लिए ज़मीन देने का आदेश दिया था यूपी सरकार को]
(इस फ़ैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष जा पहुँचे थे रिव्यू पिटीशन लेकर उच्चतम न्यायालय जिनको समर्थन दिया था ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने)
♂÷अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सभी पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कर दीं। बता दें कि नौ नवंबर को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने अयोध्या में 2.77 एकड़ भूमि पर राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया था। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इन पुनर्विचार याचिकाओं पर चैंबर में विचार किया। पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना शामिल थे।
यह फैसला सुनाने वाली संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई चूंकि अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं, इसलिए उनके स्थान पर संविधान पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को शामिल किया गया है।
न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड की गयी कार्यसूची के अनुसार संविधान पीठ चैंबर में कुल 18 पुनर्विचार याचिकाओं पर विचार किया। इनमें से नौ याचिकायें तो इस मामले के नौ पक्षकारों की हैं जबकि शेष पुनर्विचार याचिकायें तीसरे पक्ष ने दायर की। इस मामले में सबसे पहले दो दिसंबर को पहली पुनर्विचार याचिका मूल वादी एम सिदि्दक के कानूनी वारिस मौलाना सैयद अशहद रशिदी ने दायर की थी।
इसके बाद, छह दिसंबर को मौलाना मुफ्ती हसबुल्ला, मोहम्मद उमर, मौलाना महफूजुर रहमान, हाजी महबूब और मिसबाहुद्दीन ने दायर कीं। इन सभी पुनर्विचार याचिकाओं को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का समर्थन प्राप्त है।
मालूम हो कि देश के सर्वाधिक विवादास्पद व लंबे समय से मुक़दमेबाज़ी को झेल रहे अयोध्या विवाद में फैसला आने के पूर्व सभी हिन्दू मुस्लिम पक्षों ने कहा था कि जो भी फैसले होगा सभी पक्षों को मानना चाहिए।
फ़ैसला आने के बाद देश मे काबिलेतारीफ तौर पर दोनों धर्मो के लोगो ने अमनचैन कायम रखा किन्तु कुछ ही दिनों में एक बार फिट से बाबरी मस्जिद के लिए मुकदमा लड़ रहे पक्षों में से अधिकतर ने अपने समाज के भी तमाम लोगो की मनाही व अपील के बाद भी 2व 6 दिसम्बर को पुनर्विचार याचिका दाख़िल कर दी गयी थी।
रिव्यू पिटीशन ख़ारिज होने के बाद अब अयोध्या में राममंदिर बनने के अवरोध पूरी तरह से समाप्त हो चुके हैं।
अब ये देखना दिलचस्प होगा कि जहाँ कुछ संघठन व लोग सरकार से मिलने वाले 5 एकड़ की ज़मीन को लेने से इनकार करने के संकेत दे रहे है तो वही बाबरी मस्जिद के पैरवीकार हाजी महबूब, सुन्नी सेंट्रल व शिया वक़्फ़ बोर्ड समेत तमाम ऐसे संगठन व मुस्लिम बुद्धिजीवी लोग जमीन लेकर मस्जिद के साथ स्कूल अस्पताल बनवाने की मंशा जाहिर कर रहे हैं।
इन लोगो का कहना है कि अब देश को मन्दिर मस्जिद के विवाद को पीछे छोड़कर आगे बढ़ना होगा।