★मुकेश शर्मा★
★ग्वालियर(मध्यप्रदेश)★
{लोकायुक्त, द्वारा आरोप सिद्ध होने के बाद भी ताक़तवर लोगो की कृपा हासिल कर शीर्ष पदों पर हैं आसीन हैं तमाम अधिकारी}
[मुरैना जिला सहकारी बैंक अधिकारी 165 करोड़ के घोटाले में सस्पेंड के बाद बिना जाँच फ़िर किये गए बहाल तो प्रभारी सहायक यंत्री गौहद रमेश भदौरिया पर साबित हो चूके हैं भ्रष्टाचार के कई मामले]
(शिकायतकर्ता ने बताया कि भदौरिया पर शिकायत सही मिलने पर तत्कालीन एसडीएम दौलतानी ने दिए थे एफआईआर दर्ज़ कराने के आदेश)
[सहकारिता एवं नगरीय प्रशासन मन्त्री गोविंद सिंह राजपूत ने किया था दावा कि भ्र्ष्टाचार के आरोपी अफसरों को किया जाएगा बर्खास्त किन्तु नही दिख रही कार्रवाई]
♂÷सत्ता के सिंहासन और धन, दौलत, ऐश्वर्य, वैभव, की लालसा राजा को भी अंधा बना देती है । भिण्ड जिले की मेहंगाव जनपद पंचायत के तत्कालीन प्रभारी में सहायक यंत्री (उपयंत्री)वर्तमान प्रभारी सहायक यंत्री जनपद पंचायत गौहद रमेश भदौरिया पर रिश्वत लने के आरोप में एफआईआर दर्ज करने एवं चलन पेश करने के बाद भी सत्ताधीशों के दबाव में शासन ने अभी तक भ्रष्ट अपराधी को निलंबन तक नहीं किया अपितु पदोन्नत कर गौहद में सहायक यंत्री के पद पर आसीन कर दिया है ।
भरोसा, विश्वास जैसे लफ्जों की हत्या करने वाले जनसेवक अपने स्वार्थ सिद्धि, और धन दौलत की भूंक के लिए भ्रष्ट अफसरों को हटाने कि जगह उन्हें पदोन्नत कर शीर्ष पदों पर आसीन कर रहे हैं । उल्लेखनीय है कि उपयांत्री रमेश भदौरिया को लोकायुक्त ग्वालियर द्वारा 13000/- की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा था ।जिसमें चालान पेश होने के बाद तत्काल हटाने के निर्देश दिए गए लेकिन शासन में बैठे जनसेवकों को ऐसा क्या लालच है कि रमेश भदौरिया को निलंबन न करते हुए पदोन्नत कर दिया गया है .? ऐसा नहीं है कि भदौरिया पर ये पहला आरोप है अपितु पूर्व में भी इन पर आरोप सिद्ध हो चुके हैं लेकिन राजनैतिक सम्बन्धों और धनबल का भरपूर इस्तेमाल कर अपने आकाओं की मेहरबानी के चलते भदौरिया अपने पद पर काबिज रहे ।
भ्रष्टाचार उन्मूलन संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दीनदयाल नगर निवासी एवम् शिकायतकर्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि रमेश भदौरिया पर पूर्व में भी आरोप सिद्ध हो चुके हैं जिसमें तत्कालीन SDM दौलतानी ने एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए थे लेकिन राजनैतिक सम्बन्धों के चलते मामले को दबा दिया गया । दिनांक 27/6/12 को ग्राम मानपुर जनपद पंचायत गोहद में शौचालय की छत गिरने से एक बच्चे की मौत हो गई थी । उस शौचालय निर्माण की गुणवत्ता निरीक्षण का काम रमेश भदौरिया पर ही था जिसमें SDM एम एल दौलतानी ने जांच उपरांत भदौरिया को आरोपी मानते हुए एंडोरी में एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए थे ।

सवाल यह है कि ऐसे भ्रष्ट अफसरों पर शासन द्वारा मेहरबानी क्यों की जा रही है …..❓
क्या हुआ तेरा वादा
प्रदेश कि सत्ता में आते ही सहकारिता एवम् नगरीय प्रशासन मंत्री गोविंद सिंह ने कहा था कि मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार के आरोपी अफसरों को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया जाएगा, हम भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं, भ्रष्ट अफसरों के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा इसके लिए एक आदेश भी पास हुआ जिसमें आरोपी अफसरों कि 25 साल की नौकरी या 50 साल की उम्र पूर्ण करने पर भ्रष्ट अफसरों को बर्खास्त कर घर बैठाया जाएगा लेकिन उन दर्जन भर भ्रष्ट अफसरों पर मेहरबानी करते हुए पदोन्नत कर शीर्ष पदों पर आसीन कर दिया गया है । उन वादों का क्या हुआ ? भ्रष्टाचारियों को बर्खास्त करने वालों से समझौता तो नहीं हो गया ❓
सहकारी बैंक अफसर पर मेहरबानी
मुरैना जिला सहकारी बैंक के अधिकारी अरस्तू प्रभाकर को स्वयं सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह ने 165 करोड़ के घोटाले में दूसरी बार निलम्बित किया लेकिन बिना जांच के बहाल कर दिया गया है। जिस पर अवैध नियुक्ति, दस्तावेजों में हेराफेरी, एचआरडी पॉलिसी, अपने रिश्तेदारों को अनेतिक लाभ, शासन को गुमराह करना, फर्जी किसानों के नाम से गबन, सोसाइटी ओवर ड्यू आदि जैसे कई गंभीर आरोप लगे लेकिन किन वजहों,दबाव से भ्रष्ट अफसर को बहाल कर राजधानी के सिंघासन पर आसीन कर दिया गया ये बड़ा सवाल है।
- एम के अग्रवाल पर मेहरबानी क्यों ❓
2011 में स्वयं सेवी संस्थाओं को लाखों का अनुदान दिलवाकर उपकृत किया गया जिसके निरीक्षण अधिकारी स्वयं कलेक्टर अग्रवाल थे । मजे की बात ये है कि जिन आधा दर्जन फाइलों पर लाखों का अनुदान प्रदान किया को एक ही मालिक की थीं और आधी से ज्यादा प्रोजेक्ट फाइल फर्जी तरीके से तैयार की गई थी ।
वर्ष 2007-8 में शासकीय मुद्रण तथा लेखन विभाग में लेखा अधिकारी भोपाल रहते हुए एम के अग्रवाल के सहयोग से गुरुकृपा प्रकाशन मुरैना को राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत दस लाख जॉबकार्ड बनाने का काम मिला उन पांच फर्मो में दो भोपाल, दो इंदौर एवम् मुरैना से गुरुकृपा प्रकाशन को काम मिला । जिसके परीक्षण अधिकारी अग्रवाल थे और 10 लाख जॉबकार्ड के एवज में 65 लाख रूपए भुगतान करने की अनुशंसा की गई थी ।
2015 में खंडवा कलेक्टर रहते हुए एयर कंडीशनर के ऑर्डर कोलकाता की कम्पनी को दिए गए जिनके एवज में 7/11/2015 को चेक क्रमांक 009172 से 137400/- का भुगतान किया गया एवम् दिनांक 21/10/2015 को चेक क्रमांक 009164 से 23,65,971/- के भुगतान के दस्तावेज जारी किए गए । ग्वालियर भू अभिलेख, राजस्व अधिकारी के पद पर भी रहे जहां अनैतिक रूप से अपने चहेतों को भरपूर लाभ दिलवाया वाबजूद इसके अग्रवाल को न सिर्फ सहकारिता के शीर्ष पर आसीन कर दिया बल्कि स्वास्थ्य महकमे के सिंघासन पर आसीन कर दिया है ।ये बड़ा सवाल आमजन को मथ रहा है।
अरविंद सेंगर पर मेहरबानी ।
मंत्री के रिश्तेदार एवम् सहकारिता उपायुक्त अरविंद सेंगर पिछले कई वर्षों से सहकारिता विभाग के अहम पद पर पदस्थ हैं जो पिछली सरकार में भी सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग, और गोपाल भार्गव के करीबी रहे उन पर भ्रष्टाचार के मामले में EOW ने एफआईआर दर्ज कराई, गोविंद सिंह के सहकारिता मंत्री बनते ही आरोपी को हटाने की मांग की गई और मंत्री ने अरविंद सेंगर को विभाग से हटाने के आदेश जारी भी किए लेकिन सेंगर अब भी यथावत कार्य कर रहे हैं जो कि सरकार पर बड़े सवाल खड़े करता है। सूत्रों की माने तो अरस्तू प्रभाकर से भी 35 लाख के लेनदेन के आरोप सेंगर पर लगे थे लेकिन हम इस बात की पुष्टि नहीं करते हैं । ऐसे आरोपी रिश्तेदार पर मेहरबानी का मतलब समझाने कि जरूरत नहीं है की दवाब से या प्रभाव से।