★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े ने पुलिसिया कार्रवाई में सीधे हस्तक्षेप से इनकार करते हुए कहा कि घटनाएं अलग-अलग राज्यों की है वहाँ के हाईकोर्ट मामले को देखे और उचित आदेश पारित करें}
[वरिष्ठ वक़ील इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट से कहा कि पुलिस ने छात्रों के ऊपर केस दर्ज़ कर लिया है गिरफ्तारी की तैयारी कर रही,कोर्ट ने कहा उनके खिलाफ कार्रवाई क्यो नही होनी चाहिए]

(सरकार की तरफ़ से SJ तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया घायल छात्रों का इलाज़ कराया जा रहा है, उनके ऊपर अभी कोई कानूनी कार्रवाई नही कर रहे हैं)
♂÷जो लोग हिंसा कर रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई क्यो नही होनी चाहिए ये कहते हुए चीफ़ जस्टिस ने तल्ख़ टिप्पणी करते हुए कहा कि तमाम राज्यों में घटनाएं हुई है ऐसे में उन राज्यों के हाईकोर्ट अपने यहां के मामलों को देखने मे सक्षम है।
आज सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे लोगों पर हुई पुलिस कार्रवाई के मामले में सीधे दखल देने से मना कर दिया है।शीर्ष अदालत ने आज कहा, ”घटनाएं अलग-अलग राज्यों की हैं,उन राज्यों के हाईकोर्ट अपने यहां के तथ्यों को देखने में सक्षम हैं वही मामले को देखें और उचित आदेश पारित करें।” सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शन करने वाले छात्रों की गिरफ्तारी पर रोक का आदेश देने से भी मना कर दिया है।
दिल्ली के जामिया इलाके में रविवार को हुए प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया था, जिसमें सार्वजनिक संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचा था।बाद में पुलिस ने जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी के अंदर घुसकर कार्रवाई की थी, जिसमें कई छात्र घायल हुए। याचिकाकर्ताओं ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से मामले में दखल देने की मांग की थी तब कोर्ट ने कहा था कि हम सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान को बर्दाश्त नहीं कर सकते पहले हिंसा रुके, तभी कोई सुनवाई की जाएगी।
आज सुनवाई शुरू होते ही पुलिस की कार्रवाई का विरोध कर रहे वकीलों ने पुलिस पर बर्बर तरीके अपनाने का आरोप लगाना शुरू कर दिया।उन्होंने कहा, ”पुलिस ने शांतिपूर्वक विरोध करने के अधिकार को कुचला है।इस पर 3 जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े ने कहा, ”घटनाएं कई राज्यों की हैं हर राज्य में हाईकोर्ट है उसे वहां की घटनाओं के बेहतर जानकारी है, हम समझते हैं कि यह बातें हाईकोर्ट में बताए जाने की जरूरत है।
पुलिस कार्रवाई का विरोध कर रहे वकीलों में सबसे वरिष्ठ इंदिरा जयसिंह ने कहा, ”पुलिस ने छात्रों के ऊपर मुकदमे दर्ज कर लिए हैं उन्हें गिरफ्तार करने की तैयारी चल रही है,सुप्रीम कोर्ट को गिरफ्तारी पर रोक लगाना चाहिए, आपने कल शांति की बात की थी,मेरा मानना है कि शांति बनी रहे इसके लिए जरूरी है कि छात्रों को गिरफ्तार न किया जाए।” लेकिन चीफ जस्टिस इस दलील से आश्वस्त नजर नहीं आए ,उन्होंने कहा, ”जो लोग हिंसा करें, उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं होनी चाहिए? आप हम से रोक की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?”
इसके बाद इंदिरा जयसिंह ने दावा किया कि जो छात्र घायल हुए हैं उन्हें मेडिकल सुविधा नहीं दी जा रही है।
केंद्र सरकार की तरफ से कोर्ट में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस दावे का कड़ा विरोध किया। उन्होंने बताया, ”अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में 2 छात्र घायल हुए हैं उनका वहीं के मेडिकल कॉलेज में इलाज करवाया जा रहा है,दिल्ली में भी कई घायल छात्रों को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जो छात्र इस वक्त घायल हो कर अस्पताल में पड़े हैं, हम उनके ऊपर कोई कानूनी कार्रवाई भी नहीं कर रहे हैं वैसे भी अभी तक किसी छात्र को गिरफ्तार नहीं किया गया है।
इसके बाद वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी तरफ से किसी रिटायर्ड जज को नियुक्त कर जांच करवाने की मांग शुरू कर दी।उन्होंने कहा, ”सुप्रीम कोर्ट पहले भी इस तरह के मामलों में दखल दे चुका है हैदराबाद एनकाउंटर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक कमिटी बनाई है।’ चीफ जस्टिस ने इसका जवाब देते हुए कहा, ”वह एक राज्य का मामला था. हमने एक कमेटी बना दी।यहां कई राज्य शामिल हैं, हमें उचित नहीं लगता कि हर राज्य से जुड़े तथ्यों को हम देखें ,वहां पर हाईकोर्ट हैं जो ऐसा करने में सक्षम हैं,वह लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों को बखूबी जानते हैं और जरूरी आदेश पारित कर सकते हैं।
इसके बाद सूर्यकांत और बी आर गवई के साथ बेंच में बैठे चीफ जस्टिस ने आदेश लिखवाना शुरू किया। उन्होंने कहा, ”हम सभी राज्यों के हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से निवेदन करते हैं कि वह इस मामले पर जल्द से जल्द सुनवाई शुरू करें।अपने यहां हिंसा और पुलिस कार्रवाई की जो घटनाएं हुई हैं, उनकी जांच के लिए रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जज या रिटायर्ड हाई कोर्ट जज की कमेटी बनाएं,छात्रों की मेडिकल सुविधा या गिरफ्तारी से जुड़े जो मसले हैं, उन्हें भी हाईकोर्ट देखें।” सुनवाई के अंत में इंदिरा जयसिंह ने एक बार फिर यह मांग उठाई कि सुप्रीम कोर्ट फिलहाल देश भर में सभी छात्रों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दे लेकिन कोर्ट ने ऐसा कोई भी आदेश देने से मना कर दिया।