★मुकेश शर्मा★
★भोपाल(मध्यप्रदेश)★
{न बैंक अध्यक्ष न विधायक फ़िर भी सिक्का चलता है नेता शिवमंगल का नियुक्तियों में, क्यों रहते हैं दवाब में सहकारी बैंक के सीईओ इस बात की ज़ोरदार है जनचर्चा}
[पाला बदल कर शिवमंगल के शरणागत हुये सीईओ सागर,जो कहते नेताजी,करते वही है CEO?]
(इस बारे में जब बैंक के सीईओ सागर और उपायुक्त अनुभा सूद के मोबाइल नम्बर पर कॉल किये गए तो किसी ने भी कॉल रिसीव नही किया,जिससे उनका पक्ष रहा अनुत्तरित)
♂÷जिला सहकारी मुरैना में बैंक पिछले दस वर्षों से अधिक समय से जमे कर्मचारियों पर मेहरबानी कर शासकीय सेवा नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है ।सरकारी कर्मचारी सेवा नियमों की अवहेलना कर बैंक के सीईओ और नेता जी मिलकर मौज कर रहे हैं या बैंक के सीईओ रबर स्टाम्प बनकर नेता जी के दवाब में काम करने को क्यों मजबूर है, ये तो सागर साहेब ही बेहतर बता सकते हैं लेकिन पिछले दस साल से बैंक मुख्यालय में एक ही स्थान पर दर्जन भर कर्मचारियों को स्थापित कर मेहरबानी क्यों की जा रही है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक जिला सहकारी बैंक मुरैना के मुख्यालय में पदस्थ कुलदीप यादव 8 साल से मुख्यालय, दीपक गोयल 2010 से मुख्यालय, रामवीर भदौरिया, ऋषि शर्मा 2008 से मुख्यालय, कपिल जैन सीबीएस मैनेजर 2011 से, अम्बरीष मुदगल एजीएम 2014 से मुख्यालय, राहुल पंडित निवासी आगरा 2015 से मुख्यालय जैसे दर्जन भर कर्मचारियों पर मेहरबानी कर इनको एक ही जगह स्थापित कर क्यों रखा गया है।
सूत्र बताते हैं कि इनमें से रामलखन सिकरवार जैसे कुछ कर्मचारी कुछ मामलों में आरोपी भी रहे हैं,जिनके मामले बैंक या रजिस्ट्रार कार्यालय भोपाल में लंबित हैं । उक्त कर्मचारियों पर अमानत शाखा में बैठे लक्ष्मीकांत शर्मा और सीईओ के अलावा आका का वरदहस्त बताया जा रहा है ।

सूत्र बताते हैं कि उक्त कर्मचारियों ने नेता जी की मदद अरस्तू काल में मुफलिसी के दिनों में की है। शायद यही वजह है कि नेता जी अपने सिपहसालारों को अपने करीब रखना चाहते हैं ।फिर चाहे बेशक कर्मचारी सेवा नियमों की धज्जियां उड़ती रहें । बाकी बचे सीईओ तो रबर स्टाम्प बनाकर रख दिए हैं क्यों कि सीईओ सागर की मुरैना पदस्थागी नेताजी के पत्र पर ही हुई है ।
ज्ञात हो कि दिनांक 23/06/2020 में दिमनी के पूर्व विधायक एवम् सहकारी बैंक मुरैना के अध्यक्ष रहे शिवमंगल ने बड़े खिलाड़ी माने जाने वाले सहकारिता आयुक्त एमके अग्रवाल को पत्र लिखकर मुरैना पदस्थगी हेतु तीन नाम भेजे थे। जिसमे पहले स्थान पर एएस कुशवाह, दूसरे पर डीके सागर और तीसरे स्थान पर वायके सिंह का नाम था, उनमें से डीके सागर को नेताजी की मदद के लिए बड़े आका के इशारे पर सहकारिता आयुक्त ने भेज दिया । जबकि नेताजी ना तो बैंक के अध्यक्ष है औऱ ना ही विधायक ,वाबजूद इसके नेता शिवमंगल सिंह ने बैंक में सीईओ की पदास्थागी को लेकर अपना अभिमत कैसे और क्यों दिया ये बताने की जरूरत नहीं ,,,, ।

इस मामले को लेकर बैंक के सीईओ डीके सागर एवम् उपायुक्त अनुभा सूद से उनके मोबाइल पर कॉल किया लेकिन किसी ने कॉल रिसीव नहीं किया ।
बहरहाल अब देखना यह है कि पिछले दस साल से एक ही जगह फेविकोल से चिपके हुए कर्मचारियों को हटाने या स्थानांतरण के लिए मजबूत जोड़ को छुटाने के लिए कोई केमिकल असर करेगा या नहीं । या गुलाम मानसिकता के अफसरशाही और कर्मचारी गुलामी की मानसिकता, दासता अपनी औलाद को विरासत में दे जाएंगे ❓
शेष अगले अंक में ….._