लेखक- राजेश बैरागी
ठीक एक सप्ताह पहले दिल्ली कूच पर अड़े किसानों को जेल में बंद करने के बाद नोएडा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों के विरुद्ध चल रहा किसान आंदोलन किस मोड़ पर खड़ा हो गया है? उनके समर्थन में आए राजनीतिक दलों क्रमशः कांग्रेस, भाजपा और सीपीआई एम के सांसद स्तरीय नेता जेल में बंद किसानों से मिलने की कॉल देकर जिलाधिकारी से मिलकर वापस जा रहे हैं तो जिला पुलिस प्रशासन टुकड़ों टुकड़ों में किसानों को बिना शर्त जेल से रिहा कर रहा है। इस बीच दोनों प्राधिकरणों में युद्धस्तर पर किसानों से संबंधित मामलों को सुलझाने की कोशिश शुरू हो गई है।
जनपद गौतमबुद्धनगर कमिश्नरेट पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा जेल में बंद किसानों को उनके आंदोलन में योगदान को देखते हुए धीरे-धीरे छोड़ा जा रहा है। अब तक लगभग आधे किसानों को बिना शर्त रिहा किया गया है।डॉ रूपेश वर्मा व सुखबीर खलीफा सरीखे शीर्ष किसान नेताओं को छोड़े जाने पर अभी संशय बना हुआ है। इस बीच बारी बारी से कल बुधवार को कांग्रेस तो आज गुरूवार को समाजवादी पार्टी तथा सीपीआई एम के सांसद स्तरीय नेताओं ने जेल में बंद किसानों से मिलने की औपचारिक घोषणा की और पुलिस द्वारा रोके जाने पर जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा से मिलकर वापस चले गए। दिलचस्प बात यह है कि इन नेताओं ने बड़े बड़े बयान तो दिए परंतु जेल पहुंचकर वहां बंद किसानों से मिलने के लिए आक्रामकता नहीं दिखाई। क्या इतने भर से विपक्षी राजनीतिक दलों की भूमिका संपन्न हो जाती है?मेरा मानना है कि यह जिलाधिकारी और पुलिस अधिकारियों की सूझबूझ का नतीजा है कि वो जैसे आए वैसे ही चले भी गए। इधर किसान आंदोलन पर अधिकार जमाए रखने के लिए पवन खटाना आदि भाकियू नेता जेल में बंद किसानों को तुरंत रिहा करने की मांग कर रहे हैं। हालांकि उनकी मांग पर कहीं से कोई प्रतिक्रिया नहीं है। तो क्या गत 25 नवंबर से जोर-शोर से शुरू हुआ किसान आंदोलन धीरे धीरे छोड़े जा रहे किसान नेताओं की रिहाई के साथ शांत हो जाएगा? फिलहाल ऐसा ही देखने में आ रहा है।माना जा रहा है कि बिना शर्त रिहाई फिलहाल आंदोलन न करने की शर्त पर की जा रही है। हालांकि इस आंदोलन का गहरा प्रभाव पड़ा है। सरकार से लेकर शासन और प्रशासन किसानों की समस्याओं के त्वरित निस्तारण को लेकर गंभीर हो गया है। अपने अपने स्तर पर व संयुक्त रूप से नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण किसानों के आबादी भूखंड तथा लीज बैक प्रकरणों को निपटाने में जुट गए हैं। सूत्रों के अनुसार आज भी दोनों प्राधिकरणों के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों ने इस संबंध में विचार विमर्श किया।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)