(राजेश बैरागी)
(गौतम बुद्ध नगर)
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र में सुरसा के मुंह की भांति बढ़ते जा रहे अतिक्रमण और अवैध कॉलोनियों के संजाल को रोकने का प्रभावी उपाय क्या हो सकता है? क्या परियोजना विभाग के विभिन्न वर्क सर्किलों के जिम्मे चल रहा अतिक्रमण रोकने का उपाय ही उचित है या इसके लिए अलग से एक दो अतिक्रमण रोधी वर्क सर्किल बनाए जाने चाहिएं?
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र अतिक्रमण और अवैध कॉलोनियों के निर्माण के मामले में अब तक के सबसे खराब दौर से गुजर रहा है। यह अतिक्रमण और अवैध कॉलोनियां बनाने का खेल प्राधिकरण की अधिग्रहित, अधिसूचित, विकसित, अविकसित, ग्रामीण और शहरी सभी स्थानों पर समान रूप से चल रहा है। प्रमुख मार्गों और ग्रीन बेल्ट पर अतिक्रमणकारियों ने पक्के निर्माण तक कर लिये हैं। एक अनुमान के अनुसार प्राधिकरण की हजारों हेक्टेयर भूमि पर अवैध कब्जा है। रिकॉर्ड बताता है कि प्राधिकरण द्वारा अभी तक लगभग 16 हजार हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया है। इसमें से आधी से भी कम भूमि पर विकास कार्य हुए हैं।शेष भूमि अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है। अतिक्रमण हटाने और अवैध कॉलोनियों को विकसित न होने देने के लिए प्राधिकरण के परियोजना विभाग के वर्क सर्किलों को जिम्मेदारी दी गई है। परियोजना विभाग जेई,एई और वरिष्ठ प्रबंधकों की भारी कमी से जूझ रहा है। इस संबंध में मुख्य कार्यपालक अधिकारी द्वारा शासन को बार-बार लिखने के बावजूद कोई परिणाम नहीं निकला है। इसका एक खराब पक्ष यह है कि अतिक्रमण और अवैध कॉलोनियों के विकास को रोकने में असफल अथवा सांठगांठ कर प्राधिकरण की भूमि पर कब्जा कराने वाले परियोजना विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों पर कार्रवाई की गुंजाइश भी नहीं रहती है। तो क्या प्राधिकरण क्षेत्र में अतिक्रमण और अवैध कॉलोनियों का विकास इसी प्रकार होता रहेगा? लगभग बीस वर्ष पहले तक नोएडा प्राधिकरण में एक विशेष अतिक्रमण रोधी विभाग हुआ करता था।
यह परियोजना विभाग का ही एक हिस्सा था परंतु उसका एकमात्र काम अतिक्रमण रोकना और प्रवर्तन करना ही था। कहीं भी अतिक्रमण और अवैध कब्जे के लिए वही विभाग पूरी तरह जिम्मेदार था। यह कहना उचित नहीं होगा कि उस समय नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र में अतिक्रमण अथवा अवैध कब्जे की कोई घटना नहीं होती थी या प्रवर्तन प्रकोष्ठ पूरी तरह ईमानदार था। परंतु एक सीमा तक अतिक्रमण और अवैध कब्जों पर नियंत्रण रहता था। फिर उसे समाप्त कर संबंधित वर्क सर्किलों को ही यह जिम्मेदारी भी दे दी गई और हाल बेहाल हो गया। ग्रेटर नोएडा में भी हालात दिनों दिन बदतर ही होते जा रहे हैं। एक पत्रकार साथी ने हाल ही में अतिक्रमण रोकने के लिए एक लेख लिखकर कमिश्नरेट पुलिस के अंतर्गत प्रत्येक प्राधिकरण क्षेत्र के लिए विशेष अतिक्रमण रोधी पुलिस दस्ते बनाने का सुझाव दिया था। ऐसी पुलिस व्यवस्था भी प्राधिकरण के विशेष प्रवर्तन प्रकोष्ठ के साथ मिलकर ही अतिक्रमण रोकने के उद्देश्य को अंजाम दे सकती है।