★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{आईएफडब्ल्यूजे प्रेसिडेंट डॉ. के.विक्रम राव ने उपराष्ट्रपति से मिल उन्हें भेंट की राज्यसभा सदस्य व सम्पादक/पत्रकार कोटमराजू रामाराव की आत्मकथा}
[पत्रकार के रूप में देश के प्रथम राज्यसभा सदस्य बनाये गए कोटमराजू रामा राव लिखित आत्मकथा की भूमिका लिखी थी प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने]

♂÷राष्ट्रीय श्रमजीवी पत्रकार सँगठन(आईएफडब्ल्यूजे) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.के.विक्रम राव ने गुरुवार को उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू से मिलकर राज्यसभा सदस्य, मूर्द्धन्य पत्रकार/सम्पादक कोटमराजू राजू रामाराव की आत्मकथा पुस्तक”pen as my sword”भेंट की।
वरिष्ठ पत्रकार डॉ. राव आज दिन में उपराष्ट्रपति नायडू के मौलाना आज़ाद रोड स्थित सरकारी आवास पर जाकर भारत के प्रथम ऐसे पत्रकार/सम्पादक रहे कोटम राजू रामाराव जिनको राज्यसभा सदस्य के रूप में प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उच्चसदन में भेजा था के द्वारा लिखित आत्मकथा पुस्तक”pen as my sword”भेंट की।

कोटमराजू रामाराव द्वारा लिखी गयी इस आत्मकथा की भूमिका प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 15 अप्रैल 1964 को लिखी थी व इस आत्मकथा को बम्बई के भारतीय विद्या भवन द्वारा प्रकाशित किया गया था।
उपराष्ट्रपति ने नायडू ने समाचार जगत में उनके अप्रतिम योगदान को स्मरण करते हुए उन्हें उच्चकोटि का निर्भीक पत्रकार/सम्पादक बताते हुए कहा कि परतंत्रता का दौर रहा हो या फ़िर स्वतन्त्र भारत की सरकार उन्होंने लोकतन्त्र की मज़बूती के लिए हरदम आवाज़ बुलन्द रखी।राज्यसभापति उपराष्ट्रपति ने याद किया कि उस दौर में राज्यसभा भी अपने ऐसे विद्व अनमोल जुझारू व्यक्तिव वाले को सदन में पाकर गौरवान्वित हो उठी थी।
विदित हो कि डॉ. के.विक्रम राव स्वर्गीय कोटमराजू रामा राव के सुपुत्र है।