(राजेश बैरागी)
( गौतम बुद्ध नगर)
√ शाहबेरी एलिवेटेड रोड निर्माण में हिस्सेदारी को लेकर जीडीए की ना नुकुर
√ मार्ग में आने वाली निजी संपतियों को आपसी सहमति से हटाया जायेगा कहा अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार सिंह नें
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा रोजाना ग्रेटर नोएडा वेस्ट और गाजियाबाद के बीच आवागमन करने वाले लाखों लोगों की सुविधा के मद्देनजर तैयार की गई एलिवेटेड रोड निर्माण में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा अपने हिस्से को लेकर रुचि न लेने से इस महत्वपूर्ण परियोजना पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और जीडीए को इस रोड के निर्माण में क्रमशः 375 करोड़ व 250 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे।
दो निकायों के बीच किसी संयुक्त परियोजना को लेकर सहमति बनना कितना मुश्किल होता है,यह प्रस्तावित शाहबेरी एलिवेटेड रोड के संबंध में आसानी से समझा जा सकता है। लाखों लोगों के रोजाना ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद आवागमन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण यह रोड हमेशा जाम का शिकार रहता है।इस रोड पर अवैध रूप से चल रही फर्नीचर मार्केट से हमेशा अतिक्रमण बना रहता है। इसके मद्देनजर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा यहां छः लेन चौड़ा एलिवेटेड रोड बनाने की तैयारी की जा रही है।
लगभग चार किलोमीटर लंबे इस एलिवेटेड रोड का लगभग दो तिहाई हिस्सा ग्रेटर नोएडा में होगा जबकि एक तिहाई हिस्सा गाजियाबाद में। इस पर लगभग छः सौ पच्चीस करोड़ रुपए खर्च आने का अनुमान है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अपने हिस्से के तीन सौ पचहत्तर करोड़ रुपए खर्च करने को तैयार है। मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि कुमार एनजी की पहल पर बनने वाले इस एलिवेटेड रोड के लिए केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) से प्रस्तावित रोड की डीपीआर तैयार कराई जा रही है।
अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार सिंह ने बताया कि एलिवेटेड रोड के दायरे में आने वाली निजी संपत्तियों को आपसी सहमति से हटाया जाएगा। हालांकि स्थान की उपलब्धता के आधार पर उन्होंने इस रोड के छः लेन का बनने पर संशय जताया। प्राधिकरण सूत्रों के अनुसार अपने हिस्से में जीडीए एलिवेटेड रोड बनाने पर तैयार नहीं हो रहा है।उसे लगभग ढाई सौ करोड़ रुपए खर्च करने होंगे। जीडीए के तैयार न होने से यह रोड बनाया जाना संभव नहीं होगा। बताया गया है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने इस संबंध में जीडीए उपाध्यक्ष अतुल वत्स से बात की है। हालांकि दोनों प्राधिकरणों के बीच सहमति न बनने से यह मामला शासन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष भी जा सकता है।