लेखक-राजेश बैरागी
आज सुबह सीएनजी दो रुपए महंगी हो गई। ग्रैप-4 लागू होने लायक अस्वास्थ्यकर हवाओं की मौजूदगी में स्वच्छ ईंधन मानी जाने वाली सीएनजी महंगी होने का आज आए महाराष्ट्र चुनाव नतीजों से क्या संबंध हो सकता है? पम्प पर सीएनजी भरवाते हुए एक सज्जन ने अपनी जेब संभालते हुए कुछ यूं फरमाया-चुनाव जीतने का दंड तो जनता को ही भुगतना है। हालांकि उन सज्जन की भाजपा से कोई अदावत नहीं है।
पिछले कई महीनों से एक ही दर पर मिल रही सीएनजी के दाम में आज अचानक अघोषित वृद्धि क्यों की गई होगी? पिछले एक महीने के आंकड़े बता रहे हैं कि 7 नवंबर व 5 नवंबर को कच्चे ईंधन तेल की दरें सर्वाधिक 72 डॉलर प्रति बैरल से अधिक रही थीं।कल 22 नवंबर को यह 71.02 डॉलर प्रति बैरल थी। सीएनजी की कीमत कच्चे ईंधन तेल की विश्वव्यापी दरों से प्रभावित होती है या इसके लिए कोई और तंत्र है परंतु स्वच्छ के साथ सस्ते ईंधन के फेर में कई किलोमीटर चलकर और लंबी लाइन में लगकर सीएनजी खरीदने वाले वाहन चालकों का दिल तब बैठ जाता है जब उन्हें पता चलता है कि यह भी महंगी हो गई।नित नए ठिकाने खुलने और प्रचुर मात्रा में होने के बावजूद सीएनजी अभी भी डीजल पेट्रोल जितनी सुलभ नहीं हो पाई है।
लंबी यात्रा पर जाने वाले सीएनजी वाहन चालक रिजर्व में पेट्रोल भरवाना नहीं भूलते। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से बाहर निकलने पर गेल आदि कंपनियों की सीएनजी और पेट्रोल की दरों का अंतर लगभग मिट जाता है। फिर भी लीटर के मुकाबले किलोग्राम में मिलने वाली सीएनजी की तलाश जारी रहती है। हालांकि इसके सिलेंडर का बोझ और गाड़ी में उसके द्वारा घेरे जाने वाले स्थान की समस्या के अलावा अभी तक पूरी तरह सीएनजी फ्रेंडली इंजन का आविष्कार न होने पर भी सीएनजी का आकर्षण यदि बना हुआ है तो वह इसका सस्ता होना ही है। परंतु आज दो रुपए महंगी होने से मेरी जेब पर आज ही पड़ी 14 रुपए की चोट से महायुति की महाराष्ट्र में प्रचंड जीत पर मेरी खुशी ठंडी पड़ गई।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)