(मुकेश शर्मा)
(भोपाल)
वर्ष 2019 तक जो भूमि थी शासकीय उसे वर्ष 2024 में कलेक्टर ने कर दी निजी
जिस तहसीलदार ने शासकीय भूमि किया था घोषित उसके खिलाफ कलेक्टर ने लिखा FIR के लिए
दस करोड़ की वर्तमान मूल्य वाली जमीन भू माफिया को दिये जाने से कलेक्टर की भूमिका पर उठ रहे गंभीर प्रश्न,सच्चाई उच्चस्तरीय जांच से आयेगी सामने?
√ बीजेपी की डॉ मोहन यादव सरकार में अधिकारियों की मनमानी से सरकार की छवि पर लग रहा आघात
मध्य प्रदेश में बीजेपी की डॉ मोहन यादव सरकार में क्या अधिकारी सारे नियम ,कायदे, कानून से ख़ुद को बड़े समझ कुछ भी कर सकते है, लगता तो यही है भिण्ड जिले के कलेक्टर की कार्यशैली को देखते हुए।

जिस भूमि को तहसीलदार नें सरकारी खाते में दर्ज किया था वर्षों पहले उस शासकीय भूमि को भिण्ड कलेक्टर ने कुछ माह पूर्व निजी घोषित कर एक भू माफिया को दे देने का हैरतअंगेज मामला सामने आया है।
मध्य प्रदेश की जिले की मौ तहसील के मौ नगर में स्थित शासकीय चरनोई भूमि सर्वे क्रमांक 3168/1, 3184/1, 3162, 3147 रकबा 5 बीघा 9 विश्वा गौचर भूमि को कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने भू माफिया से सांठ कर निजी घोषित करदी।भूमाफिया ने आज से लगभग 20 वर्ष पहले कूटरचना से सरकारी दस्तावेजों में उक्त चरनोई भूमि को अपने नाम चढ़वा लिया था, जिसकी शिकायत उस वक्त के कलेक्टर के यहां हुई। शिकायत पर जांचोपरांत तहसीलदार मौ ने प्रकरण दर्ज कर कारवाई शुरू की और भू माफिया को तहसील न्यायालय से कई नोटिस भेजे गए परंतु नोटिस लेने से इंकार कर दिया। शिकायतकर्ताओं ने भू माफिया के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही कर भूमि को पुनः शासकीय नवैयत चरनोई दर्ज कराये जाने की मांग सभी संबंधित अधिकारियों से की थी।शिकायत में बताया गया कि कस्बा मौ में स्थित उपरोक्त भूमि मौ-श्योंढा रोड से लगी हुई भूमि है और उक्त भूमि का बाजारू मूल्य वर्तमान में लगभग 10 करोड़ है। भूमि वर्ष 2019 तक शासकीय चरनोई थी, खसरा संवत 2010 लगायत 2014 एंव 2015 लगायत 2019 में यह भूमि निस्तार चरनौई की भूमि थी जिस पर कभी भी खेती नहीं हुई।

सर्वे कमांक 3168 के उत्तर दिशा की तरफ अन्य व्यक्तियों के स्वामित्व के सर्वे क० 3146, 3165, 3163, 3153, 3148 व अन्य सर्वे क्रमांक लगे हुये हैं।इसके अलावा मौ-श्योडा रोड से खेतों तक जाने का रास्ता इसी शासकीय सर्वे नम्बर 3168 में से है।वर्तमान में सर्वे क्रमांक 3146 में तिलक सिंह जाटव एंव अन्य लोगों के मकान बने हुये हैं । प्रमोद कुमार एंव अशोक कुमार पुत्रगण शान्ती कुमार भू-माफिया हैं शासकीय भूमि को हड़पना इनका मुख्य पेशा है। शासकीय सर्वे क्रमांक 3168 को 3168/1 कायम कराके फर्जी रूप स अपने नाम करा लिया है और सर्वे क्रमांक 3168/2 को खन्ती के रूप मे इन्द्राज करा दिया था।इस फर्जीवाड़े की शिकायत एसडीएम गोहद, कलेक्टर भिण्ड एंव तहसीदार मौ को की गई थी।
शिकायत में इस इस बात का दस्तावेजीय उल्लेख किया गया कि उक्त भूमि शासकीय चरनोई है जिसका फर्जी विकय पत्र अशोक कुमार एवम प्रमोद कुमार ने अपने रिश्तेदारों बसंत कुमार आदि से वर्षो पहले अपने नाम से करा कर और विकय पत्र के आधार पर नामान्तरण करा लिया है। ऐसे फर्जी इन्द्राज के आधार पर भूमि के भूखंडों के रूप मे अन्य लोगों को विक्रय करना चाहते हैं।
उस वक्त की गई शिकायत पर कलेक्टर ने तहसीलदार मौ को जांच के आदेश दिए जिस पर पटवारी ने पूर्व के राजस्व रिर्कोड के अनुसार जांच की और जांच में सर्वे क्रमांक 3168 को आम रास्ता पाया गया।जांच रिपोर्ट के आधार पर तहसीलदार ने प्रकरण दर्ज कर सुनवाई की सुनवाई के दौरान प्रमोद एवम अशोक को 03/05/2024,से कईबार मौका दिया पर प्रमोद कुमार जैन ने नोटिस लेने से इंकार कर दिया साथ न ही सुनवाई में उपस्थित हुए और न ही प्रकरण में सुनवाई के दौरान कोई दस्तावेज पेश कर पाए।
इसलिए तहसीलदार का प्रकरण क्रमांक 0081 आदेश दिनांक 08/11/2011 एवं धारा संख्या 59 के अनुसार खसरा नंबर 3168/1 का क्षेत्रफल 3760 (वर्ग मी.) व्यपवर्तित किया गया।

तहसीलदार द्वारा प्र. क.0009/4-121/2024-25 एवं आदेश दिनांक 11/05/2024 के अनुसार दिनांक 24/06/2024 को निजी से शासकीय,नवैयत एवं खसरा टिप्पणी में परिवर्तन दर्ज कर दिया। चर्चा है कि बाद में भू माफिया ने अपने रिश्तेदार एसडीएम के माध्यम से कलेक्टर से गेम सेट कर लिया।कलेक्टर ने तहसीलदार का आदेश स्वयं संज्ञान निगरानी में ले लिया और कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव द्वारा प्र. क्र.0019/निगरानी/2024-25 एवं आदेश दिनांक 11/07/2024 के अनुसार दिनांक 26/07/2024 को शासकीय से निजी एवं खसरा टिप्पणी में परिवर्तन कराने के साथ ही भूमाफिया को दस्तावेज उपलब्ध कराने के आदेश ऑर्डर सीट पर दे दिए।
इसके अलावा तहसीलदार के विरुद्ध केस दर्ज करने के आदेश भी दिये।अब सवाल यह पैदा होता है कि जब 2019 तक उक्त भूमि की नवैयत चरनोई थी तो कलेक्टर को भू माफिया ने ऐसे कौन से दस्तावेज उपलब्ध कराए जिन से भूमि निजी साबित होती थी।इसके अलावा एक पीठासीन अधिकारी तहसीलदार के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध कराने का अधिकार कलेक्टर के पास होता है?
अब चट्टी,चौराहों पर यही चर्चे हैं कि कलेक्टर साहब हद कर दी आपने!