लेखक- अमित सिंघल
एक आलोचना देखने को मिलती है कि मोदी सरकार ने पहले कार्यकाल में संसद में वक्फ बोर्ड संशोधन या समाप्ति का बिल नहीं लाए, संसद में यह नहीं किया, वह नहीं किया।
इस विषय को समझने का प्रयास करते है।
क्या आप जब अपने घर का निर्माण करवाना चाहते है तो क्या शुरुवात में ही छत डाल देते है? या फिर दीवार खड़ी कर देते है? नहीं, सबसे पहले एक घर की परिकल्पना करते है, नक्शा बनवाते है, फिर बजट की व्यवस्था करते है, इसके बाद इंजीनियर, ठेकेदार, मिस्त्री, बढ़ई, इलेक्ट्रीशियन, प्लम्बर एवं लेबर की व्यवस्था करते है। साथ ही, जो दैत्य समाज होता है, जो कहता है कि भूमि उसकी है, या नपाई ठीक से नहीं हुई है या भवन निर्माण के समय बाहर पड़ा बालू-ईंट चुरा लेता है, या नक्शा पास करने में बाधाएं डालता है, उसे अप्रभावी करने का प्रयास करते है।
अब 2014 में सरकार बनाने के बाद सर्वप्रथम प्रधानमंत्री मोदी को दिल्ली के गलियारे की थाह लेनी थी। संसदीय प्रक्रिया, बाबुओ की पकड़, लुट्येन्स के दलालो का गेम पकड़ना था, साथ ही spoilers – जिनका काम खेल बिगाड़ना होता है (अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा से डील करने वाले स्पॉयलर्स का प्रयोग बहुधा करते है) से भी निपटना था।
2014 जुलाई में मोदी सरकार का पहला बजट प्रस्तुत हुआ। तुरंत ही जन-धन योजना की घोषणा कर दी गयी जिसके अंतर्गत हर व्यक्ति को फाइनेंसियल व्यवस्था से जोड़ना था। बैंको को सभी लोगो का अकाउंट खोलने के लिए 5 महीने की डेडलाइन दी गयी थी।
उसी वर्ष अक्टूबर में स्वच्छ भारत मिशन शुरू कर दिया गया। बाद में Make in India लांच किया गया।
प्रधानमंत्री नेपाल, भूटान, अमेरिका, म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया, फिजी इत्यादि राष्ट्र की सरकारी यात्रा पर गए। कई देशो के प्रमुखों को भारत में रिसीव किया।
फिर राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक संसद एवं 50% से अधिक विधायिका से पारित करवाया गया था जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने निरस्त कर दिया।
अगले वर्षो में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, तीन तलाक कानून, GST कानून (जिसे 50% से अधिक विधायिका से भी पास करवाना था), दिवालिया कानून (Insolvency and Bankruptcy कोड), आधार कानून, नोटबंदी, GST लांच किया गया।
इसी बीच पता चला कि सरकारी बैंक दिवालिया होने की कगार पर थे; तब बैंकिंग सुधार द्वारा 27 बैंको को मिलाकर 12 बैंक बनाये गए। बजट के घाटे को FCI इत्यादि का लोन दिखाकर छुपाने की प्रथा को समाप्त किया गया। डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दिया गया और आज सबसे अधिक भुगतान भारत में होता है ।
पहले कार्यकाल में अति महत्वपूर्ण मंत्रालयों (रक्षा, वित्त, विदेश) के तीन मंत्री – मनोहर पर्रीकर, अरुण जेटली एवं सुषमा स्वराज जी – गंभीर स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे थे।
अगले कार्यकाल में 370 हटाया गया, कश्मीर का पुनर्गठन किया गया, CAA लाया गया। कृषि सुधार में एक वर्ष नष्ट हो गया। न्याय संहिता पास कराई गयी जो अब लागू हो गयी है। राम मंदिर बना।
रफाल को लेकर अनावश्यक रूप से भारी विवाद क्रिएट किया गया। शताब्दी में एक बार आने वाली महामारी – कोविड – में दो वर्ष खप गए।
इस बीच वन रैंक वन पेंशन लाई गयी। अग्निवीर योजना लांच किया गया। नयी पेंशन व्यवस्था – जो सोनिया काल में जारी रही – में सुधार किया गया।
हाँ, इसी समय तीन सर्जिकल स्ट्राइक (एक म्यांमार में किया गया) की गयी; गलवान का मुंहतोड़ उत्तर दिया गया; चीन सीमा पर कोरोना के समय 50000 सैनिक तैनात किये गए।
हज़ारो भारतीय नागरिको को सूडान, यमन, यूक्रेन से वापस भारत लाया गया।
पहली बार भारत को इंडियन ओशन के परे, Quad के द्वारा, एक पैसिफिक शक्ति के रूप में पहचान मिली है। पहली बार भारत ने अपने पड़ोस को खाड़ी क्षेत्र एवं पूर्वी एशिया तक बड़ा दिया है (extended neighbourhood), जिसे मान्यता भी मिली है ।
सोलर ऊर्जा, हाईवे, नयी ट्रेन, मालगाड़ी के लिए अलग लाइन, बंदरगाह इत्यादि अलग से बनाये गए।
सभी को घर, शौचालय, नल से जल, कुकिंग गैस, मिल गया है या मिलने वाला है। 25 करोड़ लोगो को भीषण निर्धनता से बाहर ले आये है।
और आप पहले 10 वर्षो में वक्फ बोर्ड संशोधन या समाप्ति का बिल नहीं लाने की आलोचना कर रहे है ।

(लेखक रिटायर्ड IRS ऑफिसर हैं और यह उनके निजी विचार हैं)