भावउद्गम: डॉ. के. विक्रम राव
उमाकांत दीक्षित नाम था मेरे यार का
आज (२६ मार्च २०२४ को) नॉएडा आवास से वे अपनी अनंत यात्रा पर चले गए।
बड़ा सौम्य था गंभीर और विचारशील भी, बल्कि हम पञ्च की मित्रमंडली में विचार और भावना में वह संतुलन सवारता था | जब बी०ए० (B.A.) में लखनऊ विश्विद्यालय में, 1955 में, हम सब भर्ती हुए थे तो गाजीपुर से आये सत्यमित्र दुबे ने समाजवादी युवक सभा का गठन किया था, सुरेन्द्र विक्रम सिंह और साथ में लोहियावादी सोशलिस्ट पार्टी के नेता भी जुड़ गए | सुरेन्द्र के साले साहब हैं लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार आनंद वर्धन सिंह | उमाकांत बाद में राज्य नियंत्रक इंडियन आयल कारपोरेशन (I.O.C.) में चले गये | वहां जनसंपर्क के पद पर रहे |
सार्वजनिक उद्योग वाले निगमों में वह 1965 तक चलताऊ था | इंडियन आयल कारपोरेशन (I.O.C.) के जनसंपर्क के मुखिया के नाते उमाकांत ने बड़ी मेहनत की और संगठन बनाया | इस सरकारी उधम के अध्यक्ष श्री पी ए गोपालकृष्णन ने उमाकांत को बहुत प्रोत्साहित किया था | हालाँकि वे (I.C.S.) आई० सी० एस० के थे और राज्य नियंत्रण के पक्षधर भी थे | मगर नेहरु काबिना के तेल मंत्री, बस्ती जिला के केशव देव मालविया ने उमाकांत के नवाचार और तकनीक को मान दिया |
जनसंपर्क अधिकारियों के राष्ट्रीय संगठन के उमाकांत नीतिनिर्धारक भी थे |
उमाकांत का जन्म सीतापुर जिले के रियासत कस्मंडा में हुआ था | उनके पिता स्वर्गीय पंडित गुरुप्रसाद दीक्षित राज पुरोहित थे | उमाकांत के जयेष्ट भ्राता श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में थे | उनके दूसरे भाई लखनऊ विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के प्रोफ़ेसर थे | इन पंडित कमलाकांत दीक्षित ने मुझे बी०ए० (B.A.) में अंग्रेजी पढाई थी |
उमाकांत दीक्षित स्वयं लखीमपुर खीरी के युवराज दत्त दीक्षित कॉलेज में अंग्रेजी के प्राध्यापक थे |
उमाकांत की पत्नी रमा व पुत्र विमल व पुत्री विनीता, नॉएडा में रहते हैं | उन्हें मेरी व मेरे परिवार की विनम्र श्रधान्जलि अर्पित है |

(लेखक IFWJ के नेशनल प्रेसिडेंट व वरिष्ठ पत्रकार/स्तंभकार हैं)