(राजेश बैरागी)
(गौतम बुद्ध नगर)
नोएडा के सेक्टर-3 की यह सड़क अन्य सड़कों के मुकाबले अधिक व्यस्त है। इस सड़क पर प्राधिकरण द्वारा बनाए गए दो कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स होने के साथ इनमें से एक कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स में उपश्रमायुक्त का कार्यालय और बैंक भी है। इसके अलावा आमने-सामने सैकड़ों छोटी-छोटी औद्योगिक इकाइयां हैं। लोगों के भारी आवागमन के कारण यहां सड़क किनारे वेंडर जोन बनाया गया है जहां रेहड़ियों पर श्रमिकों और आगंतुकों को सस्ता खाना खिलाने वाले हैं। इस सब कारणों से यहां आने वाले लोगों के दोपहिया चारपहिया वाहनों से यह सड़क गुलजार रहती है।इन बेतरतीब और दोनों ओर खड़े वाहनों के बीच से होकर निकलना किसी कलाकारी से कम नहीं होता है।
प्राधिकरण ने इस समस्या से मुक्ति दिलाने के लिए यहां एक पार्क के नीचे भूमिगत पार्किंग बनाई है। इस पार्किंग में लगभग सात सौ कारें और सैकड़ों दोपहिया वाहन एक साथ खड़े किए जा सकते हैं। सड़कों पर खड़े वाहनों को टो कर पार्किंग में ले जाने के लिए एक गाड़ी भी दिनभर सक्रिय रहती है परंतु उपश्रमायुक्त कार्यालय वाले कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स के आगे और सामने लगभग पांच सौ मीटर के दायरे में पैदल निकलना भी किसी चुनौती से कम नहीं होता है। इसके लिए कौन कौन जिम्मेदार है? पार्किंग ठेकेदार कंपनी टेनिक्स इंफ्राटेक अपने यहां स्वत:आने वाली गाड़ियों से पार्किंग शुल्क और टो कर लाई जाने वाली गाड़ियों से एक हजार रुपए अर्थदंड वसूल कर अपनी जिम्मेदारियों की इतिश्री कर लेती है।
उसे औद्योगिक इकाइयों के आगे सड़क पर खड़ी रहने वाली कंपनी मालिकों की गाड़ियां कभी दिखाई नहीं देतीं। प्राधिकरण पार्किंग बनाकर और उसे ठेके पर उठाकर अपनी जिम्मेदारी पूरी समझ लेता है।उसे वहां दिनभर सड़क पर चलने वाले नागरिकों के कष्टों से क्या लेना-देना।रही बात कंपनी मालिकों और आम वाहन स्वामियों की तो अपने यहां बगैर डंडे के व्यवस्था को न मानने का रिवाज नया नहीं है।