लेखक-राघवेंद्र पाठक
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप बढ़त बनाए हुए हैं। भारत के लिहाज से जो इस समय हमारी जियो पोलिटिकल स्थिति है, उसमें ट्रंप का व्हाइट हाउस में आना बेहद जरूरी भी है।
ट्रंप के आने पर हमारे लिए चीन, पाकिस्तान और बंगलादेश पर नकेल कसना ज्यादा आसान हो जाएगा। इस हद तक कि शायद इस बार पीओके भी हम ले पाएं।
भारत को अस्थिर करने के लिए डीप स्टेट की तरफ़ से लगातार जो कुटिल चालें चलीं जा रहीं हैं, उस पर अंकुश लगेगा।
लेकिन जैसा कि चुनाव अभियान के दौरान ट्रंप ने कहा था, चीन पर 60 प्रतिशत तक टैरिफ लगाया जा सकता है। उन्होंने टैरिफ भारत पर भी लगाने की बात कही थी। क्वाड और मजबूत होगा। इससे चीन पर नकेल कसने में और आसानी होगी।
लेकिन डेमोक्रेटिक पार्टी की सरकार के दौरान जिस तरह भारत के खिलाफ कुटिल चालें चलीं गईं उस पर बहुत हद तक रोक लगेगी।
रेडिकल इस्लामिस्टस के लिए ट्रंप की जीत कहीं ज्यादा कठोर साबित होगी।
चाइना के लिए बहुत बुरे दिन आने वाले हैं। साथ ही यदि ट्रंप जीतते हैं तो ईरान के लिए आने वाले चार साल और भी अधिक संघर्ष पूर्ण रहेंगे। वहीं, इजराइल के लिए अमेरिकी समर्थन और बढ़ेगा।
रूस- यूक्रेन युद्ध खत्म हो सकता है। ट्रंप की दक्षिणपंथी रिपब्लिकन पार्टी और भारत की सत्तारूढ़ दक्षिणपंथी सरकार के बीच बेहतर तालमेल और समन्वय हो सकेगा।
जिस तरह नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार, राष्ट्र प्रथम के एजेंडे पर पहले दिन से चल रही है और रोहिंग्या और बंगलादेश के अवैध अप्रवासियों के प्रति सख्त है, उसी तरह इमीग्रेशन के मुद्दे पर अमेरिका सख्त रहने वाला है खासकर मुस्लिम आप्रवासन पर।
निश्चित ही अमेरिका फर्स्ट डोनाल्ड ट्रंप की पहली प्राथमिक होगी, जिसमें अमेरिका विश्व की सबसे बड़ी महाशक्ति है, और उसका धूमिल हो रहा गौरव वापस दिलाने का विश्वास अमेरिकी नागरिकों में न केवल भरते दिखेंगे वरन् ऐसी नीतियां और निर्णय करते हुए भी साफ नजर आएंगे। जाहिर है इसमें किसी अन्य देश की असहमति का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)