(आलोक तिवारी)
(मथुरा)
√ धर्म नगरी में नशे के अवैध कारोबार को रोकने में पुलिस नही दिखा पा रही सख़्ती
जनपद में पुलिस के संरक्षण में नशे का कारोबार फल फूल रहा है।हालत तो यह हो चुकी है कि शहर से लेकर देहात तक मादक पदार्थ करोबारियों को पुलिस के संरक्षण के चलते युवा तेजी से नशेड़ी बनते जा रहे हैं।
धर्म की नगरी मथुरा, वृंदावन में नशे के कारोबारी बेखौफ होकर मादक पदार्थों का कारोबार बडे इत्मिनान से कर रहे हैं। स्मैक,चरस,गांजा,अफीम,और डोडा का करोबार पैर पसार रहा है लेकिन इलाकाई पुलिस है कि ड्रग सिंडिकेट की कारगुजारी पर अंकुश लगाने की बजाए मोटी कमाई के प्रयास में इन्हें संरक्षण दे रही है।
नशे की गिरफ्त में युवा वर्ग दिन प्रतिदिन फसता जा रहा है। आलम यह है कि 12 से 13 वर्ष के बच्चे भी नशे की चपेट में आते चले जा रहें हैं। यहां के अधिकांश क्षेत्र में नशे का सामान आसानी से उपलब्ध हो रहा है।
सूत्रों की माने तो इन दिनों स्मैक,गांजा, अवैध शराब,चरस अफीम और डोडा पाउडर के कोड वर्ड बना रखे है। ताज्जुब की बात यह है कि ड्रग सिंडिकेट का यह कारोबार मोबाइल फोन पर भी शुरू हो गया है। अधिक रेट मिलने पर ग्राहक द्वारा बताई गई ब्रांड की शराब या अन्य कोई मादक पदार्थ उसके द्वारा बताए गए ठिकाने पर सप्लाई किया जा रहा है। लेकिन इलाकाई पुलिस है कि जेब गर्म के चक्कर में नशे के अवैध कारोबारियों के विरूद्ध कार्रवाई करने के बजाय उन्हें संरक्षण प्रदान कर रही है।
जब भी कोई व्यक्ति नशे के कारोबारियों की शिकायत पुलिस से करता है तो उसका नाम कारोबारियों तक पहुँच जाता है, जिसके चलते लोगों ने पुलिस से शिकायत करना बंद कर दिया है।
वहीं अवैध नशा के शौकीन नशे की लत पूरी करने के लिए चोरी,छिनैती,लूट,जैसी आपराधिक वारदातों को अंजाम देते हैं। इस अवैध कारोबार को रोकने के लिए जिले के कई पुलिस अधीक्षक द्वारा लाख दावे तो किये गए लेकिन नशे का कारोबार दिन व दिन बढ़ता गया और सभी दावे खोखले नजर आये। मथुरा वृंदावन को धार्मिक स्थल घोषित होने के बाद वार्ड वार मादक पदार्थ, मास,मीट,अंडा और शराब के लिए पाबंदी लगा दी गई है लेकिन अवैध कारोबार करने वालों के लिए यह प्रतिबंध चांदी साबित हो गई है जिसके चलते अवैध कारोबार धडल्ले से चल रहे है।