(मुकेश सेठ)
(मुम्बई)
WFMH द्वारा वर्ष 2023 में’ मानसिक स्वास्थ्य एकसार्वभौमिक अधिकार है’ को बनाया है थीम ,बताया सुप्रसिद्ध मनोचिकित्सक ने
विश्व में हर 40 सेकेंड में डिप्रेशन की वजह से तनावग्रस्त लोग कर रहे सुसाइड
वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ़ मेंटल हेल्थ (WFMH) द्वारा इस साल विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2023 की थीम ‘मानसिक स्वास्थ्य एक सार्वभौमिक मानव अधिकार है‘।
उक्त जानकारी देते हुए सुप्रसिद्ध मानसिक रोग चिकित्सक डॉक्टर एम एन त्रिपाठी ने आगे बताया कि दुनियां भर में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर जागरूकता बढाने के उद्देश्य से हर साल 10 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और विश्व मानसिक स्वास्थ्य महासंघ (WFMH) द्वारा तेजी से बढ़ती मानसिक बीमारियों को देखते हुए लोगों के बीच इसके प्रति जागरूकता फैलाने और अपने अंदर के व्यक्तित्व विकार और मानसिक विकृतियों को पहचानने के उद्देश्य से हर साल इसे 10 अक्टूबर को पूरे वैश्विक स्तर पर विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।
इसके साथ ही इसका मुख्य मकसद मेंटल हेल्थ की सुरक्षा, इसके बारे में लोगों को शिक्षित करना और उन्हें इनसे संबंधित विकारों से छुटकारा दिलाना भी है।
बीएचयू के पूर्व चिकित्सक डॉक्टर त्रिपाठी कहते हैं कि आँकड़े बताते है कि हर सातवाँ भारतीय नागरिक मानसिक स्वास्थ सम्बंधित समस्या से पीड़ित है । विश्व में हर चालीस सेकंड में एक व्यक्त्ति आत्महत्या की वजह से अपनी जान गवां देता है । सन् २०१७ के आँकड़े बताते है की सिर्फ़ भारत में १९ से २० कारोड़ लोग मानसिक विकार से ग्रसित है जो कि १९९० के आँकड़ो की तुलना में दोगुना से भी ज़्यादा है ।
मनोचिकित्सक ने जानकारी दी कि कुछ प्रमुख मानसिक रोग जैसे डिप्रेशन , एंजाइटी, स्किजोफेर्निया , बाइपोलर डिसऑर्डर , ओ सी डी, ऑटिज़म , अल्ज़ाइमर्स डिमेंशिया , नशे की लत सम्बन्धित अन्य बीमारियाँ शामिल है ।
2019 कोविड महामारी के बाद मानसिक रोग की तादात में और ज़्यादा इजाफ़ा हुवा है। अत्यधिक मोबाइल , सोशल मीडिया , और आनलाइन गेम की लत भी मानसिक तौर पर लोगो को बीमार बना रही है ।
मानसिक स्वास्थ्य सबसे ज्यादा नकारा जाने वाला स्वास्थ्य क्षेत्र रहा है जिस पर ज्यादातर लोग ध्यान नहीं देते।
मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझते हुए “नेशनल मेंटल हेल्थ प्रोग्राम” की शुरुआत 1982 में की गई , और इसको और ज़ोर शोर से लोगो की पहुँच में लाने के लिये “ डिस्ट्रिक्ट मेंटल हेल्थ प्रोग्राम “ 1996 की स्थापना हर ज़िले में की गई लेकिन लोग आज भी झाड़ फूंक और फर्जी बाबाओं, ओझाओं, तांत्रिकों के चक्कर में फ़सें हुए है ।
रिपोर्ट के अनुसार ज्यादतर मानसिक रोगों में से लगभग 50 फ़ीसदी मामले 14 वर्ष की आयु तक शुरू होते हैं, ऐसे में हमें इस विषय पर ख़ासा ध्यान देने की आवश्यकता है और जल्द ही इस पर ठीक प्रकार से काम नहीं किया गया तो आने वाले समय में स्थिति और खराब हो सकती है।
मेंटल स्वास्थ को प्रभावित करने वाले कारक
स्ट्रेस यानि चिंता, अकेलापन, साथियों का दबाव, पारिवारिक तनाव, आत्मसम्मान में कमी, परिवार में मृत्यु या तलाक।
दुर्घटना, चोट, हिंसा या बलात्कार आदि से मनोवैज्ञानिक आघात पहुचना।
आनुवंशिक कारण
मस्तिष्क की चोट
शराब और ड्रग्स जैसे मादक पदार्थों का सेवन।
डॉक्टर एम एन त्रिपाठी ने लोगो से अपील की है कि किसी में भी इन लक्षणों के दिखने पर अविलंब मनोचिकित्सक को अवश्य दिखाएं जिससे समय रहते उनका स्मुचित इलाज किया जा सके, जिससे कि वह एक स्वस्थ व खुशहाल जीवन जी सके।
डॉ एम एन त्रिपाठी