लेखक – सुभाषचंद्र
लोवर कोर्ट,दिल्ली हाई कोर्ट, और सुप्रीम कोर्ट में आए दिन दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल एक के बाद एक मुकदमा दायर करते हैं और वकीलों को मोटी कमाई करने का मौका दे रहे हैं। अरविन्द केजरीवाल, पूर्व कैबिनेट मंत्री मनीष सिसोदिया, पूर्व कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन और राजयसभा सदस्य संजय सिंह सभी के मुकदमों में वकीलों की फीस तो दिल्ली सरकार ही भर रही है और जनता का पैसा बर्बाद हो रहा है।
परसों केजरीवाल की तरफ से देश के बेहद महंगे वकील माने जाने वाले अभिषेक मनु सिंघवी ने दिल्ली हाई कोर्ट में उनकी CBI द्वारा की गई गिरफ़्तारी को चुनौती दी। उन्होंने कहा कि CBI ने वर्ष 2022 में केस दर्ज किया, तब कोई arrest की बात नहीं थी, फिर उसे वर्ष 2023 में summon करके 9 घंटे पूछताछ की और वर्ष 2024 में गिरफ्तार कर लिया जिसकी कोई जरूरत हाई नहीं थी।
अभिषेक मनु सिंघवी शायद याद नही रखना चाहते हैं कि वर्ष 2022 से वर्ष 2024 तक CBI के संज्ञान में कुछ तथ्य आए होंगे, तभी तो CBI ने कोर्ट से अनुमति मांगी केजरीवाल को गिरफ्तार करने की,और Rouse Avenue कोर्ट ने 3 दिन की custody दे दी और उसके बाद घोटाले के आरोपी केजरीवाल को 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
मतलब उसे CBI ने अपने आप गिरफ्तार नहीं किया बल्कि कोर्ट की अनुमति से किया और इसलिए अभिषेक मनु सिंघवी को तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश नही करना चाहिए।
कल एक और जमानत की अर्जी हाईकोर्ट में लगाई है केजरीवाल ने, जबकि Rouse Avenue कोर्ट से मिली जमानत पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी और सुनवाई लंबित है, ऐसे में उसी कोर्ट में जमानत लगाई जा सकती है यह विचारणीय प्रश्न है।
अब सवाल उठता है कि इतने सारे मुकदमों के बिल जनता के पैसे से क्यों भरे जाएं।जबकि घोटाला किया मुख्यमंत्री केजरीवाल और उनके साथी मंत्रियो ने।घोटाला ऐसे साबित होता है कि एक शराब नीति पहले से चल रही थी लेकिन केजरीवाल सरकार ने उसे बदल कर नई नीति बना कर लागू कर दी और उसी में जब घोटाला पकड़ा गया तो नई नीति हटा कर पुरानी फिर से शुरू कर दी।
इसका मतलब साफ़ है कि नई नीति में गड़बड़ तो की गई और तभी उसे Scrap किया गया अगर उसमे कुछ गलत नहीं होता तो वह नीति लागू रहती
सबसे बड़ी बात यह है कि केजरीवाल, सिसोदिया, जैन और संजय सिंह घोटाले में शामिल थे जिसकी वजह से वे सभी गिरफ्तार हुए और संजय सिंह को छोड़ कर किसी को जमानत नहीं मिल रही।
क्या कोई कानून इन लोगों को घोटाला करने की अनुमति देता है कभी नहीं,ऐसी अनुमति कोई कानून नहीं दे सकता लेकिन फिर भी घोटाला किया गया जिसका मतलब साफ़ है कि संवैधानिक पद का दुरुपयोग करके दिल्ली सरकार का पैसा लूटा गया।
लेकिन हर कोर्ट में शोर मचा रहे केजरीवाल और उनके साथी, आम आदमी पार्टी कि घोटाला हुआ है तो पैसा कहां गया, हमारे घर में तो एक चवन्नी भी नहीं मिली।
सब जानते हैं कि पैसा कभी हेराफेरी और घोटाले का धन घर में नहीं रखा जाता, उसे तो हाथों हाथ जहां पहुंचाना है, ठिकाने लगाना है लगा दिया जाता है।
इसलिए किसी भी गैर कानूनी काम करके उसके बचाव में लड़े जाने वाले मुकदमों पर सरकार का खर्च करना किसी तरह भी उचित नहीं है और इसका उपचार केवल यह है कि केजरीवाल की सरकार को बर्खास्त कर दिया जाए।
जिससे बर्खास्त होने के बाद दिल्ली सरकार कोई बिल का भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं होगी।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने LG को आप पार्टी के वकीलों के बिलों का भुगतान करने के जो आदेश दिए थे, वे अनुचित थे क्योंकि LG ने वकीलों का पैनल और उनकी फीस तय ही नहीं की थी ,फिर भुगतान कैसे किया जा सकता है!
(लेखक उच्चतम न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता हैं और यह उनके निजी विचार हैं)