लेखक: मार्कण्डेय स्वर्णकार
क्या आपने कभी दो बिलियन डॉलर के न्यूक्लियर बॉम्बर्स को 30 सेकंड में नष्ट होते देखा है, नहीं देखा है तो यूक्रेन द्वारा “ऑपरेशन स्पाइडर्स वेब”के तहत पिछले दिनों रूस के एयर बेस पर खड़े युद्धक विमान को घातक ड्रोन के जरिए उड़ा दिया गया।
आज पुरे इंटरनेट पर जो फुटेज आप देख रहे हैं, इस समय पूरी दुनिया में वायरल हो रही है। नीचे दिखाई दे रहे विमान रूस के न्यूक्लियर स्ट्रैटेजिक बॉम्बर्स हैं। ऐसे विमान भारत के पास नहीं हैं—दुनिया में गिनती के दो-तीन देशों के पास ही ऐसी सामरिक क्षमता है।
यूक्रेन ने सस्ते लेकिन उन्नत ड्रोन भेजकर रूस के अंदर ही इन बमवर्षकों को एक-एक कर के ध्वस्त कर दिया। यूक्रेन की मानें तो यह नुकसान लगभग 2 बिलियन डॉलर के बराबर है। कुल 40 विमान नष्ट किए गए हैं। रूस से जो दृश्य सामने आ रहे हैं, वे अत्यंत चौंकाने वाले हैं।
ड्रोन हमले की यह फुटेज स्वयं यूक्रेन सरकार ने जारी की है। यह हमला एक आत्मघाती ड्रोन द्वारा किया गया, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से विमान के सबसे कमजोर हिस्से—उसके पंख—को पहचानकर हमला किया गया।
यह जो आप देख रहे हैं, वह रूस का TU-95 न्यूक्लियर बॉम्बर है। इसकी लोकेशन रूस के साइबेरिया क्षेत्र में है—चीन की सीमा के समीप। यानी यह हमला यूक्रेन ने रूस की गहराई में घुसकर किया है।
भारत सरकार को भी इस रणनीति का गंभीरता से अध्ययन करना चाहिए, क्योंकि यही तकनीक और रणनीति कल हमारे किसी दुश्मन द्वारा हम पर भी इस्तेमाल की जा सकती है।
यूक्रेनी ड्रोन बेहद सस्ते लेकिन घातक हैं,वे रूस के एयरबेस तक ट्रकों में छिपाकर पहले से पहुंचा दिए गए थे। और फिर जब समय आया, तो एक-एक कर ये ड्रोन एयरबेस पर सक्रिय किए गए और उन्होंने भारी तबाही मचाई।
यह हमला सिर्फ एक जगह नहीं हुआ पूरे रूस में अलग-अलग सैन्य ठिकानों पर इस तरह के हमले किए गए। रूस के उत्तरी क्षेत्र, साइबेरिया, समुद्री बंदरगाहों और यहां तक कि मॉस्को के पास के इलाकों तक को निशाना बनाया गया है।
अब आप सोचेंगे कि ड्रोन यूक्रेन से उड़कर इतनी दूर रूस तक कैसे पहुंचे? यह “ऑपरेशन स्पाइडर्स वेब” का हिस्सा था, जिसकी डेढ़ साल तक योजना बनाई गई थी।
यूक्रेन ने पहले ही ड्रोन को चुपचाप रूस की धरती पर तस्करी से पहुंचा दिया था—ट्रकों और स्थानीय सहयोगियों की मदद से। और जब सभी ड्रोन तैनात हो गए, तो वे एक साथ सक्रिय कर दिए गए।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आपात बैठक बुलाई है, और यह कहा जा रहा है कि यह अब तक का सबसे महंगा हमला है जिसमें रूस को अरबों डॉलर का नुकसान हुआ है।
रूसी जनता का गुस्सा अब सरकार और पुतिन पर फूट रहा है। सोशल मीडिया पर लोग खुलकर कह रहे हैं—”क्या न्यूक्लियर हथियार सजाने के लिए रखे हैं?” “यूक्रेन को अब स्थायी रूप से समाप्त करना होगा।”
हाल ही में यूक्रेन पर हुए भीषण हमले के बाद एक पुरानी घटना एक बार फिर चर्चा में आ गई है—डोनाल्ड ट्रंप की वह ट्वीट जिसमें उन्होंने रूस को चेतावनी दी थी। इस ट्वीट में उन्होंने कहा था:
“जो बात व्लादिमीर पुतिन शायद नहीं समझ पा रहे हैं, वह यह है कि अगर मेरी जगह कोई और होता तो रूस के साथ कई बुरी घटनाएं अब तक हो चुकी होतीं—और मेरा मतलब है वास्तव में बहुत बुरी। वह अब आग से खेल रहे हैं।”
ट्रंप का यह बयान अब एक नई रोशनी में देखा जा रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप के कार्यकाल में उन्होंने यूक्रेन और रूस के बीच संतुलन बनाए रखने की भरसक कोशिश की थी। ट्रंप का दावा रहा है कि उन्होंने कई बार स्थितियों को और अधिक बिगड़ने से रोका।
इस ट्वीट के सन्दर्भ में, कुछ विशेषज्ञ यह अनुमान लगा रहे हैं कि यूक्रेन लंबे समय से इस प्रकार के किसी बड़े सैन्य प्रतिकार की योजना बना रहा था, लेकिन उन्हें अमेरिका की हरी झंडी का इंतजार था। अब जब यह प्रतीत होता है कि अमेरिका का समर्थन प्राप्त हो चुका है, तो यह हमला एक नियोजित प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है।
अंततः, ट्रंप की इस बात की ओर भी ध्यान खींचा जा रहा है कि “अगर पुतिन मेरी बात नहीं मान रहे हैं, तो अब जो करना है, वह कर डालो।” यह कथन एक तरह से अमेरिका की नीति में हुए बदलाव का संकेत भी माना जा रहा है, जिसमें रूस को लेकर पहले की तुलना में अधिक आक्रामक रुख अपनाया गया है।
यह घटनाक्रम सिर्फ वर्तमान संकट को ही नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति में शक्ति संतुलन और रणनीतिक सोच के बदलते स्वरूप को भी उजागर करता है।
अब रूस की आने वाली प्रतिक्रिया खतरनाक हो सकती है। अमेरिका भले ही दावा कर रहा हो कि उसका इस हमले से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन बिना सैटेलाइट इंटेलिजेंस के ऐसा हमला संभव नहीं लगता।भारत में भी जब 14 फरवरी का पुलवामा हमला हुआ, वो भी सेटेलाइट इमेजनरी अमेरिका ने ही आइएसआई को दिए थे।
भारतीय परिप्रेक्ष्य से यह और भी चिंताजनक है। भारत में आज के समय लगभग 15 से ज्यादा ऐसे व्यक्तियों पर जांच चल रही है जिन पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का आरोप है। कुछ ने पैसों के लालच में, तो कुछ ने तो ऑनलाइन प्रेम-संबंधों में फंसकर भारतीय नौसेना की 12 से ज्यादा बन रही वारशीप की गोपनीय जानकारी पाकिस्तान को लीक कर दी हैं ।
यह बेहद गंभीर मामला है। अगर रसिया की तरह ही भारत के भीतर ही कोई दुश्मन देश ड्रोन रख दे, तो हमारे मिसाइल डिफेंस सिस्टम भी उसे पहले डिटेक्ट नही कर सकते है, और निष्क्रिय हो सकते हैं।
यह एक केस स्टडी है जिसे भारत सहित दुनिया के सभी देशों को गहराई से अध्ययन करना चाहिए। क्योंकि यह सिर्फ एक सैन्य हमला नहीं, एक साइकोलॉजिकल और टेक्नोलॉजिकल स्ट्राइक है—जो बताता है कि युद्ध का चेहरा पूरी तरह बदल चुका है।
(लेखक सामरिक विशेषज्ञ हैं)