लेखक~नीरज सिंह
♂÷जौनपुर नगर में गोमती तट पर स्थित शाही किले का निर्माण फिरोज शाह ने 1362 में कराया था। 661 साल पुराने शाही किले का भीतरी फाटक 26.5 फीट ऊंचा तथा 16 फीट चौड़ा है। केन्द्रीय फाटक 36 फीट उंचा है। इसके ऊपर एक विशाल गुम्बद बना है। इसका पूर्वी द्वार तथा अन्दर की तरफ मेहराबे आदि इसकी भव्यता की गाथा कहती है। इसके सामने के शानदार फाटक को मुनीम खां ने सुरक्षा की दृष्टि से बनवाया था तथा इसे नीले एवं पीले पत्थरों से सजाया गया था। अन्दर तुर्की शैली का हमाम एवं एक मस्जिद भी है।
इस किले से गोमती नदी एवं नगर का मनोहर दृश्य दिखायी देता है। इब्राहिम बरबक द्वारा बनवाई गई मस्जिद की बनावट में हिन्दू एवं बौद्ध शिल्प कला की छाप है। किले की ऊंचाईयों पर बैठकर शहर को निहारना आपको एक सुकून पल का अहसास जरूर कराता है। यहां आते ही माहौल में एक शांति कवच आपको घेर लेती है और दिमाग उलझनों से दूर अच्छी ठंडक महसूस करता है।
बचपन में इस शाही में आना त्योहार जैसा ही हम लोगों के लिए माना जाता था। घर यहां से बहुत दूर नहीं है, लेकिन बचपन में घर से ज्यादा दूर जाने की अनुमति भी नहीं थी। हां, मेरे घर के छत से किले की दिवारें जरूर दिखती हैं और शाही किले की दिवार से मेरा घर। उत्सुकता भरे सवालों का जवाब कई कहानियों से मिलता था। शाही किले को लेकर फिजाओं में तैर रही कहानियां हर बार नई उत्सकुता पैदा करती थीं। हालांकि यह कहानियां आज भी फिजाओं में अपनी मौजूदगी का अहसास कराती हैं।

कई सालों से मार्निंग वॉकर्स के लिए यह सबसे उपयुक्त स्थल माना जा रहा है। जिनके यहां निशुल्क प्रवेश है, बस एक बार पास बनवाना पड़ता है। बाकी देश-विदेश के लोगों के लिए निश्चित शुल्क का निर्धारण पुरतत्व विभाग की ओर से किया गया है। स्कूली बच्चों का पिकनिक भी अक्सर यहां होता है।

÷लेखक लखनऊ दैनिक जागरण में वरिष्ठ पत्रकार हैं÷
{अनकही_यादें
untold_memories}
बेस्ट क्लिक टाइम
मुख्य द्वार सुबह 6 से 10 बजे तक
भीतरी मस्जिद सुबह 6 से 10 बजे तक
भूल-भुलैया सुबह 6 से 6 बजे तक
पिछली दिवार से शहर, गोमती नदी, सद्भावना पुल सुबह 6 से 6 बजे तक